नई दिल्ली : चीनी राज्य के स्वामित्व वाली मीडिया ने रविवार को अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत के भारतीय सीमा में घुसने की असामान्य घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. चीन ने कहा है कि भारतीय अधिकारियों को पूर्व सूचना के बिना भारतीय जल के अंदर नौकायन करके अमेरिका ने भारतीय समुद्री कानूनों को तोड़ और फिर आधिकारिक अमेरिकी नौसेना ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से इस घटना का प्रचार किया.
गौरतलब है कि भारतीय अधिकारियों को पूर्व सूचना के बिना बुधवार को अमेरिकी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक यूएसएस जॉन पॉल जोन्स, अरब सागर में लक्षद्वीप द्वीपसमूह से 130 समुद्री मील दूर पश्चिम में भारतीय जल क्षेत्र के अंदर घुस आया था.
राज्य के स्वामित्व वाली चीनी मीडिया में समाचार और ओपिनियन पीस में बीजिंग द्वारा कहा गया है कि चीन ने घटना आधिकारिक कम्युनिस्ट पार्टी निरीक्षण करने का फैसला किया है.
भारतीय नौसेना के समुद्री दावों को एक्सेसिव करार देते हुए, अमेरिकी नौसेना की एक विज्ञप्ति में अमेरिका ने दावा किया है कि उसने भारत की पूर्व सहमति के बिना अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के अंदर दाखिल करने को नौवहन अधिकार और स्वतंत्रता बताया है.
चेंग्दू इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स के अध्यक्ष लॉन्ग जिंगचुन हवाले से चीनी मुखपत्रक 'ग्लोबल टाइम्स में कहा गया कि भले ही अमेरिका ने भारत के साथ संबंधों को बढ़ावा दिया है. इसके बाद भी भारत इस क्षेत्र में अमेरिकी राष्ट्रीय हितों या अमेरिकी स्वतंत्रता को चुनौती नहीं दे सकता है.
इस लेख ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार का भी उपहास किया कि चीन ने शनिवार को वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के ट्वीट के हवाले से कहा कि जिन लोगों को इसके बारे में जानते हैं उन लोगों मे इस पर चिंता जताई है.
भाजपा के वरिष्ठ वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को ट्वीट कर मोदी सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्ति की थी कि अमेरिका को उसकी भाषा में जवाब क्यों नहीं दिया गया.
उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि अब बाइडेन सरकार ने भी बता दिया है कि वह भारत का सम्मान नहीं करती है. पंचतंत्र के चमगादड़ की तरह मोदी सरकार की दयनीय हालत हो गई है.
लेख में कहा गया है कि अमेरिका ने हमेशा से ही अपने वैश्विक आधिपत्य को बनाए रखने का प्रयास किया है. हिंद महासागर की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, अमेरिका आसानी से वहां अपना आधिपत्य नहीं छोड़ेगा और न ही किसी देश को इसके साथ साझा करने के लिए बर्दाश्त करेगा. इससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक हितों में टकराव होगा.
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मई 2019 से भारत और चीन के बीच सीमा रेखा पर तनाव चल रहा है. हालांकि यह तनाव कम हो गया है. क्योंकि भारत और चीन की सेनाएं पीछे हट रही हैं. पिछले वर्ष 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिक के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिससे भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. वहीं चीन के भी कई अधिकारी मारे गए थे.
अमेरिकी नौसेना के कदम पर भारत की प्रतिक्रिया से संबंधित सवाल पर पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि मैं कह सकता हूं कि नौसेना के विध्वंसक पोत यूएसएस जॉन पॉल जोन्स ने मालदीव गणतंत्र के नजदीक समुद्री क्षेत्र में सामान्य परिचालन के तहत अहानिकारक तरीके से गुजरते हुए अपने नौवहन अधिकारों एवं स्वतंत्रता का उपयोग किया और ऐसे में उसने बिना पूर्वानुमति के उसके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में परिचालन किया.
जिसके चलते भारत और चीन के बीच तल्खी बढ़ गई थी. तभी से दोनों देश के एक लाख सैनिक सीमाओं पर तैनात हैं.