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खराब सड़क के कारण पौष्टिक आहार से वंचित रह गए माहेर गांव के बच्चे - माहेर गांव की सड़क का बारिश में बुरा हाल

महाराष्ट्र के माहेर गांव का अक्सर बारिश के दौरान बाकी दुनिया से सम्पर्क टूट जाता है. सरपंच ने बताया कि इस साल सड़क की हालत इतनी खराब हो गई कि गांव के बच्चों के लिए एक आंगनवाड़ी से पौष्टिक भोजन लाने वाले एक टेम्पो को आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा और बच्चे पोषक आहार से वंचित रह गए.

बच्चे
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Published : Jun 23, 2021, 11:45 AM IST

Updated : Jun 23, 2021, 11:58 AM IST

औरंगाबाद : महाराष्ट्र के माहेर गांव के बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन (Nutritious food) ले जा रहे एक टेम्पो को क्षेत्र में खराब सड़क की वजह से आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा.

सरपंच विशाल भोसले ने बताया कि यहां से करीब 250 किलोमीटर दूर परभणी जिला स्थित माहेर गांव (Maher village) का अक्सर बारिश (rain) के दौरान बाकी दुनिया से सम्पर्क टूट जाता है, क्योंकि वहां उचित सड़क सम्पर्क नहीं है. माहेर गांव की आबादी करीब 500 है, जो पूर्ण तालुका में तड़कलास-पालम रोड से तीन किलोमीटर दूर स्थित है. यहां कभी कोई ऐसी सड़क नहीं बनी, जो हर मौसम में आवाजाही सुनिश्चित कर सके.

भोसले ने नाराजगी जताते हुए कहा, इस साल सड़क की हालत इतनी खराब (bad road condition) हो गई कि गांव के बच्चों के लिए एक आंगनवाड़ी (Anganwadi) (सरकार द्वारा संचालित महिला एवं बाल देखभाल केन्द्र) से पौष्टिक भोजन लाने वाले एक टेम्पो को आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा और बच्चे पोषक आहार से वंचित रह गए.

पढ़ें- चीन से लौट छात्र ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर मानसिक तनाव के शिकार

उन्होंने बताया कि माहेर के एक प्राथमिक विद्यालय (primary school) में बाहर से आने वाले शिक्षकों को भी कई बार काफी दूर तक पैदल चलकर आना पड़ता है, क्योंकि कीचड़ वाली सड़क पर दोपहिया वाहनों से आना-जाना मुश्किल है. अधिक बारिश होने पर सड़क डूब जाती है और कई बार शिक्षकों को उनके छात्रों को कंधे पर बैठाकर लाना पड़ता है.

गांव के प्रमुख ने कहा, पांच साल से मैं गांव को तड़कलास-पालम रोड से जोड़ने वाले इस तीन किलोमीटर लंबे हिस्से पर सड़क निर्माण के लिए अधिकारियों से सम्पर्क करने की कोशिश कर रहा हूं. कुछ साल पहले 500 मीटर लंबी, तारकोल की सड़क बनी थी, लेकिन आजादी के बाद से ही हमें कभी हर मौसम में टिकी रहने वाली सड़क नहीं मिली.

स्थानीय निवासी मोतीराम पाओल ने बताया कि लगातार बारिश होने पर वह लोग गांव में ही फंस जाते हैं. उन्होंने कहा, बारिश रुकने के दो-तीन दिन बाद भी हम बाहर नहीं निकल पाते.

पूर्णा की तहसीलदार (राजस्व अधिकारी) पल्लवी तेमकर ने कहा कि उन्हें माहेर गांव में सड़क की ऐसी स्थिति की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, मैं सरपंच से बात करूंगी और देखेंगे कि किस योजना के तहत हम उन्हें बेहतर सड़क मुहैया करा सकते हैं.

(भाषा)

औरंगाबाद : महाराष्ट्र के माहेर गांव के बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन (Nutritious food) ले जा रहे एक टेम्पो को क्षेत्र में खराब सड़क की वजह से आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा.

सरपंच विशाल भोसले ने बताया कि यहां से करीब 250 किलोमीटर दूर परभणी जिला स्थित माहेर गांव (Maher village) का अक्सर बारिश (rain) के दौरान बाकी दुनिया से सम्पर्क टूट जाता है, क्योंकि वहां उचित सड़क सम्पर्क नहीं है. माहेर गांव की आबादी करीब 500 है, जो पूर्ण तालुका में तड़कलास-पालम रोड से तीन किलोमीटर दूर स्थित है. यहां कभी कोई ऐसी सड़क नहीं बनी, जो हर मौसम में आवाजाही सुनिश्चित कर सके.

भोसले ने नाराजगी जताते हुए कहा, इस साल सड़क की हालत इतनी खराब (bad road condition) हो गई कि गांव के बच्चों के लिए एक आंगनवाड़ी (Anganwadi) (सरकार द्वारा संचालित महिला एवं बाल देखभाल केन्द्र) से पौष्टिक भोजन लाने वाले एक टेम्पो को आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा और बच्चे पोषक आहार से वंचित रह गए.

पढ़ें- चीन से लौट छात्र ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर मानसिक तनाव के शिकार

उन्होंने बताया कि माहेर के एक प्राथमिक विद्यालय (primary school) में बाहर से आने वाले शिक्षकों को भी कई बार काफी दूर तक पैदल चलकर आना पड़ता है, क्योंकि कीचड़ वाली सड़क पर दोपहिया वाहनों से आना-जाना मुश्किल है. अधिक बारिश होने पर सड़क डूब जाती है और कई बार शिक्षकों को उनके छात्रों को कंधे पर बैठाकर लाना पड़ता है.

गांव के प्रमुख ने कहा, पांच साल से मैं गांव को तड़कलास-पालम रोड से जोड़ने वाले इस तीन किलोमीटर लंबे हिस्से पर सड़क निर्माण के लिए अधिकारियों से सम्पर्क करने की कोशिश कर रहा हूं. कुछ साल पहले 500 मीटर लंबी, तारकोल की सड़क बनी थी, लेकिन आजादी के बाद से ही हमें कभी हर मौसम में टिकी रहने वाली सड़क नहीं मिली.

स्थानीय निवासी मोतीराम पाओल ने बताया कि लगातार बारिश होने पर वह लोग गांव में ही फंस जाते हैं. उन्होंने कहा, बारिश रुकने के दो-तीन दिन बाद भी हम बाहर नहीं निकल पाते.

पूर्णा की तहसीलदार (राजस्व अधिकारी) पल्लवी तेमकर ने कहा कि उन्हें माहेर गांव में सड़क की ऐसी स्थिति की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, मैं सरपंच से बात करूंगी और देखेंगे कि किस योजना के तहत हम उन्हें बेहतर सड़क मुहैया करा सकते हैं.

(भाषा)

Last Updated : Jun 23, 2021, 11:58 AM IST
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