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सरहुल महोत्सव 2022: मांदर की थाप पर जमकर झूमे सीएम हेमंत सोरेन...

रांची के सिरम टोली स्थिति सरना स्थल पर केंद्रीय सरना समिति की ओर से सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहुंचे और मांदर की थाप पर जमकर झूमे. इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय भी कार्यक्रम में शामिल हुए

hemant soren in sarhul festival
सरहुल महोत्सव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
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Published : Apr 5, 2022, 8:11 AM IST

रांचीः झारखंड में प्राकृति पर्व सरहुल की धूम है. प्रकृति को संरक्षित करने के लिए मनाया जानेवाला यह त्योहार आदिवासियों के लिए खास है. इस अवसर पर सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रांची के आदिवासी हॉस्टल और सिरमटोली स्थिति केंद्रीय सरना समिति की ओर से आयोजित सरहुल शोभायात्रा में शामिल हुए. इस शोभायात्रा में मुख्यमंत्री के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने पारंपरिक तरीके से पूजन अर्चन कर लोगों को सरहुल की बधाई दी.

केंद्रीय सरना समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मांदर की थाप पर जमकर झूमे. इस दौरान बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाओं एवं पुरुषों ने मुख्यमंत्री के साथ पारंपरिक गीतों पर नृत्य भी किया. इस अवसर पर आदिवासी परिधान पहने मुख्यमंत्री ने छोटे बच्चों के साथ फोटो खिंचवाई. इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय भी कार्यक्रम में शामिल हुए और सरहुल की प्रासंगिता बताते हुए कहा कि प्रकृति को संरक्षित करना बहुत जरूरी है.

वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों को सरहुल की बधाई देते हुए कहा कि सरहुल पर्व आदिवासियों की सभ्यता और संस्कृति की पहचान है. उन्होंने कहा कि, आदिवासी द्वेष और घृणा से दूर होकर प्रकृति की पूजा करते हैं. यही वजह है कि आदिवासी शब्द से ही हमारी पहचान प्रकृति रक्षक के रुप में होती है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जल, जंगल और जमीन हमारा है. यह समाप्त हो जायेगा तो आदिवासी की पहचान समाप्त हो जायेगी. हमारी सरकार ने सिरमटोली सरना स्थल का जीर्णोद्धार करने का निर्णय लिया है, ताकि आनेवाले पीढ़ी हमारी संस्कृति को जान सके.

यह भी पढ़ें-झारखंड की महागठबंधन सरकार में मतभेद!, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, मंत्री समेत 30 नेता दिल्ली तलब

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हम समाज के जड़ में रहने वाले लोग हैं. हमारा दायित्व है अपनी सभ्यता को बचाकर रखें. राज्य के सभी सरना स्थल को संरक्षित करने के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं. मैं भगवान से यही प्रार्थना करुंगा कि इस मौके पर यहां आनेवाले सभी को सकुशल रखें. बता दें कि प्रकृति पर्व सरहुल को लेकर उत्साह चरम पर है. रांची की सड़कों पर झूमते नाचते गाते लोगों की यह टोली प्रकृति को संरक्षित करने के लिए आह्वान कर रहे हैं. आदिवासी परिधानों में सजी महिलाओं और पुरुषों की टोलीयां जल, जंगल और जमीन को बचाने का संदेश दे रही हैं. इस दौरान घरों और सरना स्थलों पर पारंपरिक रूप से पूजा अर्चना की और विभिन्न सरना समितियों की ओर से शोभायात्रा निकाली गई.

रांचीः झारखंड में प्राकृति पर्व सरहुल की धूम है. प्रकृति को संरक्षित करने के लिए मनाया जानेवाला यह त्योहार आदिवासियों के लिए खास है. इस अवसर पर सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रांची के आदिवासी हॉस्टल और सिरमटोली स्थिति केंद्रीय सरना समिति की ओर से आयोजित सरहुल शोभायात्रा में शामिल हुए. इस शोभायात्रा में मुख्यमंत्री के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने पारंपरिक तरीके से पूजन अर्चन कर लोगों को सरहुल की बधाई दी.

केंद्रीय सरना समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मांदर की थाप पर जमकर झूमे. इस दौरान बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाओं एवं पुरुषों ने मुख्यमंत्री के साथ पारंपरिक गीतों पर नृत्य भी किया. इस अवसर पर आदिवासी परिधान पहने मुख्यमंत्री ने छोटे बच्चों के साथ फोटो खिंचवाई. इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय भी कार्यक्रम में शामिल हुए और सरहुल की प्रासंगिता बताते हुए कहा कि प्रकृति को संरक्षित करना बहुत जरूरी है.

वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों को सरहुल की बधाई देते हुए कहा कि सरहुल पर्व आदिवासियों की सभ्यता और संस्कृति की पहचान है. उन्होंने कहा कि, आदिवासी द्वेष और घृणा से दूर होकर प्रकृति की पूजा करते हैं. यही वजह है कि आदिवासी शब्द से ही हमारी पहचान प्रकृति रक्षक के रुप में होती है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जल, जंगल और जमीन हमारा है. यह समाप्त हो जायेगा तो आदिवासी की पहचान समाप्त हो जायेगी. हमारी सरकार ने सिरमटोली सरना स्थल का जीर्णोद्धार करने का निर्णय लिया है, ताकि आनेवाले पीढ़ी हमारी संस्कृति को जान सके.

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इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हम समाज के जड़ में रहने वाले लोग हैं. हमारा दायित्व है अपनी सभ्यता को बचाकर रखें. राज्य के सभी सरना स्थल को संरक्षित करने के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं. मैं भगवान से यही प्रार्थना करुंगा कि इस मौके पर यहां आनेवाले सभी को सकुशल रखें. बता दें कि प्रकृति पर्व सरहुल को लेकर उत्साह चरम पर है. रांची की सड़कों पर झूमते नाचते गाते लोगों की यह टोली प्रकृति को संरक्षित करने के लिए आह्वान कर रहे हैं. आदिवासी परिधानों में सजी महिलाओं और पुरुषों की टोलीयां जल, जंगल और जमीन को बचाने का संदेश दे रही हैं. इस दौरान घरों और सरना स्थलों पर पारंपरिक रूप से पूजा अर्चना की और विभिन्न सरना समितियों की ओर से शोभायात्रा निकाली गई.

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