नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने चुनावी बॉन्ड को लेकर भाजपा पर निशाना साधा. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिले चंदे का उल्लेख किया. मंगलवार को उन्होंने कहा कि यह चंदा और इसकी एवज में लाभ गोपनीय तरीके से दिया और लिया जाता है. पूर्व वित्त मंत्री ने कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि हमारा गुमनाम लोकतंत्र जिंदाबाद. उन्होंने ट्वीट किया कि अब तक 12,000 करोड़ रुपये की कीमत के चुनावी बॉन्ड बिके हैं. इनका ज्यादातर हिस्सा कारोबारी समूहों ने खरीदा और भाजपा को गुपचुप तरीके से चंदा दे दिया.
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Corporate donation is the way to express their thanks to the Government for the numerous favours they had got in the past years
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
It is a neat arrangement. Favours are done quietly. Rewards are received secretly. Long live our anonymous Democracy
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कांग्रेस नेता ने कहा कि कारोबारी समूह गैर-पारदर्शी चुनावी बॉन्ड व्यवस्था के जरिये चंदा देने के लिए आतुर क्यों हैं? कॉरपोरेट समूह चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा इसलिए नहीं देते कि वे लोकतंत्र से प्यार करते हैं. कॉरपोरेट चंदा उन लाभ का आभार जताने का एक माध्यम होता है, जो उन्हें अतीत के वर्षों में मिले हैं. चिदंबरम ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह स्पष्ट समझौता है. लाभ गुपचुप ढंग से पहुंचाए जाते हैं. इनाम भी गोपनीय तरीके से मिलता है. हमारा गुमनाम लोकतंत्र जिंदाबाद.
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गौरतलब है कि पूर्व सीईसी ओपी रावत ने भी चुनावी बॉण्ड में पारदर्शिता के लिए 'इंडिपेंडेंट वाचडॉग' नियुक्त किये जाने की बात कही थी. सोमवार को उन्होंने कहा था कि चुनावी बॉण्ड में पारदर्शिता का अभाव बना हुआ है. चुनावी फंडिंग की इस योजना को दुरुस्त करने के लिए एक 'स्वतंत्र निगरानीकर्ता' (इंडिपेंडेंट वाचडॉग) की नियुक्ति की आवश्यकता है, जिसे सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून से बाहर रखा जाना चाहिए. रावत ने 'भाषा' को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि चुनावी बॉण्ड का मामला फिलहाल उच्चतम न्यायालय में लंबित है.
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उन्होंने कहा कि वही इस बारे में आगे का रुख तय करेगा लेकिन उनके सुझाव के माध्यम से इस योजना को बेहतर बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि चुनावी बॉण्ड में अभी जो पारदर्शिता का अभाव है, इसे अगर दुरुस्त करना है तो इसका एक ही तरीका नजर आता है. कोई एक ऐसा स्वतंत्र वाचडॉग हो जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से केवाईसी के रिकार्ड को देखकर यह प्रमाणित करे कि सभी चीजें योजना के प्रवाधानों के अनुरूप हो रही हैं. उन्होंने कहा कि यह निगरानीकर्ता यह भी सुनिश्चित करेगा कि चाहे वह सत्ताधारी पार्टी हो या कोई दूसरा दल, किसी को भी कोई अवांछित जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है.
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(पीटीआई-भाषा)