नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मणिपुर के हालात की तुलना बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान से करने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर राज्य में सरकार शांति बहाल करने में 'नाकाम' हो गई है, जबकि केंद्र 'स्वप्रेरित कोमा' में चला गया है. भाजपा पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार में महिलाओं पर हुए अत्याचार के मामले उठा रही है और इन्हें लेकर विपक्ष की 'चुप्पी' पर सवाल खड़े कर रही है, जबकि विपक्ष इसे हिंसा प्रभावित मणिपुर की स्थिति पर बहस से बचने के लिए ध्यान भटकाने की भाजपा की रणनीति बता रहा है.
चिदंबरम ने रविवार को ट्वीट किया, 'चलिए मान लेते हैं कि बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं हुई हैं. इससे मणिपुर में लगातार जारी हिंसा कैसे माफ हो सकती है?' पूर्व गृह मंत्री ने कहा, "क्या घाटी में कोई कुकी बचा है? क्या चुराचांदपुर और मणिपुर के अन्य पहाड़ी जिलों में कोई मैतेई बचा है?" उन्होंने कहा, "यदि रिपोर्ट सच है, तो मणिपुर में जातीय सफाया लगभग पूरा हो चुका है."
चिदंबरम ने कहा कि वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन के अनुसार, मणिपुर में संवैधानिक सरकार का पतन हो गया है. उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों की हुकूमत उनके घरों और दफ्तरों से आगे नहीं चलती. उन्होंने कहा, "मणिपुर की स्थिति की तुलना बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान की स्थिति से कैसे की जा सकती है? केंद्र सरकार न केवल अक्षम और पक्षपातपूर्ण रही है, बल्कि जब वह घृणित तुलनाओं के पर्दे के पीछे छिपती है तो वह संवेदनहीन और क्रूर भी हो जाती है." उन्होंने कहा कि यदि बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है, तो राज्य सरकारों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश निश्चित रूप से दें, लेकिन इससे मणिपुर में हो रही बर्बरता को माफ नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, "मणिपुर की सरकार नाकाम हो गई है. भारत सरकार स्वप्रेरित कोमा में है."
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गौरतलब है कि मणिपुर में बुधवार को चार मई की एक घटना का वीडियो सामने आने के बाद देशभर में आक्रोश है. इस वीडियो में आदिवासी समुदाय की दो महिलाओं को विरोधी समुदाय के पुरुषों का एक समूह निर्वस्त्र कर घुमाता और उनका यौन उत्पीड़न करता नजर आ रहा है. बता दें कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
(पीटीआई-भाषा)