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नक्सलियों की अब खैर नहीं, ड्रोन से रखी जाएगी नजर, खरीदे जाएंगे 15 ड्रोन

Chhattisgarh police to deploy drones: छत्तीसगढ़ में अब नक्सलियों की खैर नहीं है. नक्सलियों की गतिविधयों पर आसमान से नजर रखी जाएगी. इसके लिए 15 ड्रोन खरीदने की तैयारी की जा रही है, ताकि घने जंगलों में छिपे नक्सलियों की हर मूवमेंट की जानकारी मिल सके. इससे नक्सल ऑपरेशन पर निकले जवानों को भी मदद मिलेगी. गश्त पर निकले जवानों की सुरक्षा भी ड्रोन से की जाएगी. ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है. इसमें छोटे और मध्यम ड्रोन के साथ ही दो बड़े ड्रोन भी खरीदे जाएंगे. इसके लिए विभाग ने कंपनियों को ड्रोन के सैंपल मांगे हैं. Naxalites tracked by drone in Chhattisgarh

Chhattisgarh police to deploy drones
नक्सल इलाकों में ड्रोन तैनात करेगी छत्तीसगढ़ पुलिस
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Published : Sep 8, 2022, 8:23 PM IST

रायपुर: नक्सल ऑपरेशन में तैनात जवानों को जल्द ही ड्रोन उपलब्ध कराया जाएगा. ड्रोन खरीदने के लिए पुलिस विभाग की प्रक्रिया चल रही है. विभाग ने विभिन्न कंपनियों से अलग अलग तरह के ड्रोन के सैंपल मांगे हैं. इसके बाद विभाग की टेक्नीकल टीम इसका परीक्षण करेगी. यदि सभी मानकों में कंपनी सफल रही तो उन्हें ड्रोन की आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. Naxalites tracked by drone in Chhattisgarh

बस्तर आईजी पी सुंदरराज के मुताबिक ''पुलिस मुख्यालय की ओर से नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को जल्द ही ड्रोन मिल जाएगा. मुख्यालय ने करीब 15 ड्रोन खरीदने की तैयारी की है. इसे कहां से ऑपरेट किया जाएगा. सुरक्षा के लिहाज से बताना उचित नहीं है. हालांकि ड्रोन मिलने से नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को फायदा जरूर मिलेगा.''

अधिकारियों की मानें तो नक्सल ऑपरेशन में टेक्नीकल टीम को भी शामिल किया जाएगा ताकि ड्रोन को सही ढंग से चलाया जा सके. घने जंगल और ऊंची पहाड़ियों पर समय रहते चिकित्सकीय या अन्य सामान पहुंचाने में भी ड्रोन का सहारा लिया जाएगा.

ड्रोन से क्या फायदा: नक्सल इलाकों में माओवादी घने जंगलों और पहाड़ियों में अपना डेरा जमाए होते हैं. माओवादी जंगल के हर एक रास्ते को बखूबी समझते हैं. जिसके चलते उन्हें पकड़ पाना जवानों के लिए मुश्किल होता है. कई दफा जवान पगडंडियों में ही खो जाते थे, जिसका नक्सलियों को फायदा होता था. अब जवानों को ड्रोन मिलने से न केवल उनके कैंपों, बल्कि उनके हर एक मूवमेंट की भी जानकारी मिल जाएगी.

बस्तर में सरेंडर नक्सली का अपहरण कर जनअदालत

10 से 30 किलो वजनी ले जा सकते हैं सामान: पुलिस विभाग हाइटेक ड्रोन की मदद लेकर नक्सलियों के हर एक मूवमेंट को सर्विलांस में रखते हुए आगे की रणनीति तैयार करने में जुटी हुई है. इसमें लगे हुए पावरफुल कैमरे से रात के समय भी आसानी से देखा जा सकेगा. अफसरों की मानें तो विभाग ऐसा ड्रोन खरीद रहा है, जो छोटे और मध्यम के साथ ही मददगार भी है. इसी कड़ी में छोटे और मध्यम आकार के ड्रोन 2 किमी तक की ऊंचाई और 5 से 10 किमी के दायरे में उड़ान भर सकेंगे. इनकी बैटरी बैकअप करीब डेढ़ घंटे तक की होगी. बड़े ड्रोन 10 से 30 किमी वजनी सामान ले जाने में भी सक्षम होंगे. यह 7 किमी तक की ऊंचाई और करीब 50 किमी तक उड़ान भर सकेगा. इसकी बैटरी बैकअप करीब तीन घंटे तक होगी. इन सभी ड्रोन में नाइट विजन कैमरे भी रहेंगे, जो आसारी से तस्वीरें ले सकेंगे.

300 कंपनियां, 90 हजार जवान तैनात: छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर अर्धसैनिक बल की 300 कंपनियां हैं. हर कंपनी में 220 जवान शामिल हैं. इस लिहाज से अर्धसैनिक बल के जवानों की संख्या 66 हजार है. जबकि छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स की बात की जाए तो डीआरजी और स्थानीय पुलिस को मिलाकर करीब 25 हजार जवान नक्सल मोर्चे पर तैनात हैं. ये सभी जवान नक्सलियों की मांद में घुसकर लोहा ले रहे हैं. ड्रोन कैमरे की बात की जाए तो वर्तमान में केंद्रीय सुरक्षाबलों के पास करीब 7 ड्रोन हैं, जिसके सहारे नक्सली गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं.

रायपुर: नक्सल ऑपरेशन में तैनात जवानों को जल्द ही ड्रोन उपलब्ध कराया जाएगा. ड्रोन खरीदने के लिए पुलिस विभाग की प्रक्रिया चल रही है. विभाग ने विभिन्न कंपनियों से अलग अलग तरह के ड्रोन के सैंपल मांगे हैं. इसके बाद विभाग की टेक्नीकल टीम इसका परीक्षण करेगी. यदि सभी मानकों में कंपनी सफल रही तो उन्हें ड्रोन की आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. Naxalites tracked by drone in Chhattisgarh

बस्तर आईजी पी सुंदरराज के मुताबिक ''पुलिस मुख्यालय की ओर से नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को जल्द ही ड्रोन मिल जाएगा. मुख्यालय ने करीब 15 ड्रोन खरीदने की तैयारी की है. इसे कहां से ऑपरेट किया जाएगा. सुरक्षा के लिहाज से बताना उचित नहीं है. हालांकि ड्रोन मिलने से नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को फायदा जरूर मिलेगा.''

अधिकारियों की मानें तो नक्सल ऑपरेशन में टेक्नीकल टीम को भी शामिल किया जाएगा ताकि ड्रोन को सही ढंग से चलाया जा सके. घने जंगल और ऊंची पहाड़ियों पर समय रहते चिकित्सकीय या अन्य सामान पहुंचाने में भी ड्रोन का सहारा लिया जाएगा.

ड्रोन से क्या फायदा: नक्सल इलाकों में माओवादी घने जंगलों और पहाड़ियों में अपना डेरा जमाए होते हैं. माओवादी जंगल के हर एक रास्ते को बखूबी समझते हैं. जिसके चलते उन्हें पकड़ पाना जवानों के लिए मुश्किल होता है. कई दफा जवान पगडंडियों में ही खो जाते थे, जिसका नक्सलियों को फायदा होता था. अब जवानों को ड्रोन मिलने से न केवल उनके कैंपों, बल्कि उनके हर एक मूवमेंट की भी जानकारी मिल जाएगी.

बस्तर में सरेंडर नक्सली का अपहरण कर जनअदालत

10 से 30 किलो वजनी ले जा सकते हैं सामान: पुलिस विभाग हाइटेक ड्रोन की मदद लेकर नक्सलियों के हर एक मूवमेंट को सर्विलांस में रखते हुए आगे की रणनीति तैयार करने में जुटी हुई है. इसमें लगे हुए पावरफुल कैमरे से रात के समय भी आसानी से देखा जा सकेगा. अफसरों की मानें तो विभाग ऐसा ड्रोन खरीद रहा है, जो छोटे और मध्यम के साथ ही मददगार भी है. इसी कड़ी में छोटे और मध्यम आकार के ड्रोन 2 किमी तक की ऊंचाई और 5 से 10 किमी के दायरे में उड़ान भर सकेंगे. इनकी बैटरी बैकअप करीब डेढ़ घंटे तक की होगी. बड़े ड्रोन 10 से 30 किमी वजनी सामान ले जाने में भी सक्षम होंगे. यह 7 किमी तक की ऊंचाई और करीब 50 किमी तक उड़ान भर सकेगा. इसकी बैटरी बैकअप करीब तीन घंटे तक होगी. इन सभी ड्रोन में नाइट विजन कैमरे भी रहेंगे, जो आसारी से तस्वीरें ले सकेंगे.

300 कंपनियां, 90 हजार जवान तैनात: छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर अर्धसैनिक बल की 300 कंपनियां हैं. हर कंपनी में 220 जवान शामिल हैं. इस लिहाज से अर्धसैनिक बल के जवानों की संख्या 66 हजार है. जबकि छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स की बात की जाए तो डीआरजी और स्थानीय पुलिस को मिलाकर करीब 25 हजार जवान नक्सल मोर्चे पर तैनात हैं. ये सभी जवान नक्सलियों की मांद में घुसकर लोहा ले रहे हैं. ड्रोन कैमरे की बात की जाए तो वर्तमान में केंद्रीय सुरक्षाबलों के पास करीब 7 ड्रोन हैं, जिसके सहारे नक्सली गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं.

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