रायपुर: मंत्री कवासी लखमा ने कहा, हम लोग आदिकाल से रहने वाले लोग हैं. हम लोग जंगल में रहते हैं, पूजा-पाठ करते हैं. हिंदू अलग करता है, हम अलग करते हैं. आदिवासी अगर शादी करता है, तो गांव के पुजारी से पानी डलवाते हैं, हम किसी पंडित से पूजा नहीं कराते हैं. इसलिए हम लोग हिंदू से अलग हैं. हम जंगल में रहने वाले आदिवासी हैं. बिरसा मुंडा हो, वीर नारायण सिंह हों, चाहे हमारे गुंडाधुर हों, इस लड़ाई में भी ये लोग अलग रहे हैं.
भानुप्रतापपुर में भी दिया था बड़ी बयान: इसके पहले शुक्रवार को भानुप्रतापपुर में गोंडवाना समाज के एक दिवसीय वार्षिक सम्मेलन के दौरान भी आबकारी मंत्री ने कुछ इसी तरह का बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि "हम आदिवासी लोग हैं, आदिवासी लोगों को भाजपा बोलती है वनवासी. हम वनवासी नहीं हैं, हम यहां के रहने वाले लोग हैं. इस धरती में पैदा हुए लोग हैं. आजादी से पहले या आजादी के बाद जंगल की रक्षा आदिवासी करता रहा है. देश की रक्षा आदिवासी करता रहा है. चाहे गुंडाधुर हो चाहे, वीर नारायण सिंह हो, आदिवासी लोग आजादी के लिए लड़े हैं." जब कवासी लखमा ने मंच से अपना यह उद्बोधन दिया था, तो कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद थे.
विवादास्पद बयानों से लखमा का रहा है नाता: बीते वर्ष लखमा ने एक और विवादास्पद बयान सामने आया है. आबकारी मंत्री ने कहा था कि "छत्तीसगढ़ मजदूरों और किसानों का प्रदेश है. मेहनत करने वालों को शराब की जरूरत पड़ती है. इससे ताकत बढ़ता है. कवासी लखमा ने कहा था कि "बच्चा एक दिन में तो पैदा नहीं होता ना, फिर एक दिन में बैकिंग सुविधा कैसे मिल सकती है? नवंबर 2022 में कवासी लखमा ने नक्सली समस्या पर कहा कि "हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं. एक झटके में नक्सली समस्या का अंत हो जाए."