रायपुर : पिता, जिसका साथ मिले तो बेटी तो आसमान छू ले, सफलता की हर परिधि नाप ले और हिम्मत की मिसाल बन जाए. आईपीएस अंकिता शर्मा इसका उदाहरण हैं. छत्तीसगढ़ की पुलिस अधिकारी अंकिता शर्मा (ips ankita shrma) ने अपने काम करने के अंदाज की वजह से अलग पहचान बनाई है. फादर्स डे (Father's Day) पर ईटीवी भारत आपको मिलवा रहा है छत्तीसगढ़ की दमदार पुलिस अफसर अंकिता शर्मा से, जो हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं. आईपीएस ने ईटीवी भारत से अपने पिता, उनके संघर्ष और अपनी सफलता के बारे में खुलकर बात की है.
आईपीएस अंकिता शर्मा का जन्म दुर्ग जिले में हुआ था. वो 2018 बैच की आईपीएस हैं. वे यूपीएससी की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को मार्गदर्शन देती हैं. अंकिता बताती हैं कि जब वो तैयारी कर रही थीं तब उन्हें गाइडेंस मिलने में परेशानी होती थी. उसी वक्त उन्होंने ठान लिया था कि वे अपने तजुर्बे से दूसरों की मदद करेंगी.
सवाल: अंकिता से आईपीएस अंकिता तक के सफर में आपके पिता से आपको किस तरह का सपोर्ट और मोटिवेशन मिला ?
जवाब: मेरे जीवन में शुरू से ही मेरे आदर्श पिता रहे हैं. हम तीन बहने हैं, हमारा भाई नहीं है. घर में कोई पुरुष सदस्य था तो वे सिर्फ उनके पिता ही थे. कोई भी बच्चा अपने पिता को देखकर प्रेरित होता है और उनके जैसे बनने की कोशिश करता है. मैं भी उनमें से एक थी. मेरे जीवन में मेरे पिता का बहुत सपोर्ट रहा है. जबसे मैंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की थी, तब से शुरू से लेकर अंत तक उनका सपोर्ट बना रहा. माता-पिता आपके जीवन के वो कड़ी होते हैं, जो आपकी सफलताओं के साथ-साथ असफलताओं को भी करीब से देखते हैं और आप को गले लगाते हैं. अभिभावक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अदा करते हैं. मेरे पिता ने हर तरीके से मेरा सपोर्ट किया है.
सवाल: कभी पढ़ाई के दौरान आप डिमोटिवेट हुई हो उस दौरान आपके पिता जी ने कैसे आपको मोटिवेट किया ?
जवाब: जब हम किसी को अपना आदर्श मानते हैं तो उनकी कोई एक घटना या दो घटना से हम प्रेरित नहीं होते हैं. उनका जो जीवन चरित्र होता है और उनके जीवन जीने की जो शैली होती है उनकी सारी आदतों से हम प्रेरित होते हैं. मेरे पिताजी जिस तरह से बोल्ड हैं. उन्होंने अपना नाम अपने शहर में बनाया है, उन सभी चीजों से वह मोटिवेट होती थी. जो दमदारी मुझमें है, वो पिताजी से आई है इसलिए कभी भी किसी बात से डर नहीं लगता. कर्तव्य के प्रति निष्ठा मैंने अपने पिता से सीखी है. कमिटमेंट निभाना मैंने अपने पिता से सीखा है. मेरे पिता एक बिजनेसमैन हैं. बिजनेस में भी वे जमीनी स्तर से ऊपर उठे हैं. मेरे पिता का हार्ड वर्क मुझे इंस्पायर करता है. वे सुबह अपने काम पर निकलते थे और देर रात आते थे. एक ही वक्त खाना खाते थे.
सवाल: पिता से हमारा रिश्ता कई तरह का हो सकता है, चाहे वह गुरु का हो, चाहे वह दोस्त का हो, आपका अपने पिताजी के साथ कैसा रिश्ता है ?
जवाब: मेरे पिताजी ज्यादा बातें नहीं किया करते थे , थोड़ा कम ही बोलते हैं. अनुशासन और रिस्पेक्ट के कारण हम दोस्त जैसे नहीं हो पाते थे लेकिन जो भी हमारी जरूरत है. उसे बताते थे और वे जरूर से पूरा करते थे. पिताजी जब काम पर जाते थे और लौटकर आते थे तो उन्हें चाय बनाकर देना मुझे पसंद था. आज जब मैं एक आईपीएस बन गई हूं, तो बहुत सारी बातें और चर्चाएं अलग-अलग विषयों पर होती हैं. अब हमारी ज्यादा बातें होने लगी हैं. पहले पिताजी कम बोलने वाले व्यक्तियों में से थे.
सवाल: फादर्स डे के मौके पर आप अपने पिता से क्या कहना चाहेंगी ?
जवाब: मैं आज तक तो पूरी तरह अपने पिताजी को दर्शा नहीं पाई कि वह मेरे लिए क्या हैं. जिस प्रकार से मैंने उनकी गतिविधियों से समझा है कि वह मेरे लिए कितने महत्वपूर्ण है मुझे ऐसा लगता है कि मेरे काम से ऐसा महसूस हुआ होगा. मेरे पिताजी का जिस तरह से नाम है मैं यह चाहती थी कि उनके नाम में कम से कम एक अंश जोड़ पाऊं. मुझे लगा था कि यह सिविल सर्विस एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसे मैं हासिल कर लेती हूं तो शायद मेरे पिताजी का बहुत नाम होगा. एक तरह से इस सर्विस में आने की इंस्पिरेशन मेरे पिताजी ही थे. मैं जो भी हूं उनकी वजह से हूं. उसके लिए मैं अपने पिताजी को धन्यवाद देती उनको प्रणाम करती हूं.
सवाल: बाकी पैरेंट्स से क्या कहना चाहेंगी ?
जवाब: मैं सबसे कहना चाहती हूं आपके माता-पिता ने आपके लिए जो किया है, कष्ट सह कर किया है, उसे भूलिए मत. आप खुशकिस्मत होंगे अगर थोड़ा भी कर्ज उतार पाएं. भगवान से भी पहले अपने माता-पिता से प्रेम करिए.