रायपुर : छत्तीसगढ़ में एक बार फिर धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है. इस बार धर्मांतरण मामले की गूंज दिल्ली के संसद में भी सुनने को (Chhattisgarh conversion issue raised in Parliament) मिली. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से भाजपा से लोकसभा सांसद गोमती साय ने राज्य में ईसाई मशीनरी द्वारा आदिवासियों के धर्मांतरण का मुद्दा (Tribal conversion issue) उठाया. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल धार्मिक आधार पर ईसाई बनाने का नहीं है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है.
आदिवासी का कोई धर्म नहीं होता
वही संसद में साय के उठाए सवाल पर ईसाई समाज ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक राजनीतिक मुद्दा बताया (Christian missionary and Congress made serious allegations against BJP) है. छत्तीसगढ़ी ईसाई फोरम के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पन्नालाल (Arun Pannalal state president of Chhattisgarhi Christian Forum) का कहना है कि संसद में जो कानून लाया जा रहा है. उसका सबमें एक बड़ी विकृति है कि यदि कोई ईसाई से हिंदू बनता है तो उसे घर वापसी कहा जाता है. यदि कोई हिंदू ईसाई बनता है, तो उसे धर्मांतरण की संज्ञा दी जा रही है. देश में पहले ही कहा गया है कि आदिवासी का कोई धर्म नहीं होता है. ऐसे में यदि कोई आदिवासी ईसाई से हिन्दू बनते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. सबके लिए कानून एक होना चाहिए. जब तक यह मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक हम अपराधी है.
संसद में जो बातें उठायी गई है, वह सब अर्थहीन है
अरुण ने कहा कि अभी संसद में जो बातें उठाई गई है, वह सब अर्थहीन है. वे इसे मुद्दा बनाना चाहते हैं तो वह उनकी स्वतंत्रता है, इसे उठा सकते हैं. सवाल हमारा यह है कि किस बेस और डाटा के आधार पर यह संसद में लाया गया है. हमारी संख्या कम है, इसलिए हमें टारगेट किया जा रहा है. यह एक भावना भड़काने के सिवाय कुछ नहीं है.आज देश में तरक्की और विकास की बात नहीं होती है. सिर्फ धार्मिक उन्माद पैदा करने के साथ राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है.
पेसा एक्ट को लेकर कही बड़ी बात
उन्होंने बताया कि पेसा कानून में सबसे बड़ा सुझाव है कि यदि कोई ट्राइबल इसाई बनता है या कोई ट्राइबल हिंदू बनता है. तो वह एक अलग वर्ग हैं उसे एक अलग वर्ग बनाना चाहिए. इसमें काफी कानूनी दांवपेच है. अरुण ने कहा कि हिंदुस्तान के कानून में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति हिंदुस्तान के किसी भी कोने में जा सकता है. ऐसे में हमें बस्तर में जाने से क्यों रोका जा रहा है. गांव में जाने से हमें रोक दिया जाता है. इसे लेकर हमने एक रिट भी लगाई है.
परम्परा का दिया हवाला
उन्होंने कहा कि एक ओर आप उन्हें परंपरा का हवाला देते हुए उन्हें बांधकर रखे हैं. कोई परंपरा के नाम पर यह बोल दे कि मोबाइल और बाइक छोड़ दें और अपने परंपरागत तरीके से चले तो यह संभव नहीं है. इस मानसिकता के साथ काम नहीं होना चाहिए. आदिवासी और आदिवासी क्षेत्रों का विकास होना चाहिए.
यह भी पढ़ें- लोकसभा में उठा छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा, ईसाई मिशनरी पर बैन की मांग
भाजपा पर लगाया आरोप
वहीं, कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (State President of Congress Media Department Sushil Anand Shukla) का कहना है कि साय हो या अन्य भाजपा सांसद जनहित के मुद्दे पर उनकी बोलती बंद रहती है, लेकिन जब भाजपा के एजेंट की बात होती है. दूसरे एजेंडा को प्रसारित करने के लिए यह लोग जरूर बयान देते हैं. आज तक भाजपा के नौ सांसदों ने संसद में कभी उसना चावल लेने से रोका गया उस पर बात नहीं की. छत्तीसगढ़ में बारदाने के बारे में नहीं बोला, 30,000 करोड़ केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को नहीं दिया है. उस पर बात नहीं करेंगे, लेकिन धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर भाजपा के लगभग सभी सांसदों ने बयान दिया है. यह सभी छत्तीसगढ़ की फिजा को बर्बाद करना चाहते हैं.
यानी कि धर्मांतरण को लेकर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने है. अब देखने वाली बात है कि इस मामले को लेकर आगे क्या सियासी रंग देखने को मिलता है.