पटना: बिहार समेत उत्तर भारत में मनाया जाने वाला महापर्व छठ के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया. छठ घाटों पर व्रतियां भगवान भास्कर को अर्घ्य देने पहुंची. वहीं, कई व्रतियों ने घर पर कृत्रिम तालाब बना छठी मईया की आराधना की. बिहार के कई जिलों से आई महापर्व की आस्था की तस्वीरें छठी माई पर विश्वास की अटूट गाथा बयां कर रहीं हैं. छठ महापर्व पर पीएम मोदी ने कहा, 'दीपावली के 6 दिन बाद, मनाया जाने वाला महापर्व छठ हमारे देश में सबसे अधिक नियम निष्ठा के साथ मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है, जिसमें खान-पान से लेकर वेशभूषा तक हर बात में पारंपारिक नियमों का पालन किया जाता है. छठ पूजा का अनुपम पर्व, प्रकृति से आप्रकृति की उपासना से पूरी तरह जुड़ा हुआ है.'
'सूर्य और जल, महापर्व छठ की उपासना के केंद्र में हैं तो बांस और मिट्टी से बने बर्तन और कंद मूल इनकी पूजन विधि से जुड़ी अभिन्न सामाग्रियां हैं. आस्था के इस पर्व में उगते और डूबते हुए सूर्य की आरधना का संदेश अद्वितीय संस्कार से परिपूर्ण है. दुनिया उगने वालों को पूजने में लगी रहती है लेकिन छठ पूजा हमें उनकी भी आराधना करने का संदेश देती है, जिनका डूबना भी प्राय: निश्चित है.'- पीएम नरेंद्र मोदी
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सूर्य की आराधना के महापर्व छठ की समस्त देशवासियों को बहुत-बहुत मंगलकामनाएं। छठी मइया सभी के जीवन में सुख-समृद्धि और सूर्यदेव के ओज का संचार करें। pic.twitter.com/MK1j3jkhXk
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— Narendra Modi (@narendramodi) November 20, 2020सूर्य की आराधना के महापर्व छठ की समस्त देशवासियों को बहुत-बहुत मंगलकामनाएं। छठी मइया सभी के जीवन में सुख-समृद्धि और सूर्यदेव के ओज का संचार करें। pic.twitter.com/MK1j3jkhXk
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पीएम मोदी ने कहा कि हमारे जीवन में स्वच्छता के महत्व की अभिव्यक्ति भी इस पर्व में समाहित है. छठ के पहले पूरे घर की सफाई, साथ ही नदी, पोखर और तलाब के किनारे यानी घाटों की सफाई भी सभी जोश और उत्साह के साथ सभी लोग जुड़कर करते हैं. सूर्य वंदना या छठ पूजा, पर्यावरण संरक्षण, रोग निवारण और अनुशासन का पर्व है.
महान परंपरा पर गर्व- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, 'सामान्य रूप से लोग कुछ मांगकर लेने को हीन भाव समझते हैं. लेकिन छठ पर्व के सुबह के अर्घ्य के बाद लोग प्रसाद मांगकर लेते हैं. इसकी एक विशेष परंपरा रही है. प्रसाद मांगने की इस परंपरा के पीछे, यह मान्यता भी बताई जाती है कि इससे अहंकार भी नष्ट होता है. एक ऐसी भावना जो व्यक्ति की प्रगति की राह की में बाधक बनती है. भारत की इस महान परंपरा के प्रति हर किसी को गर्व होना बहुत स्वभाविक है.'
छठ महापर्व के तीसरे दिन राजधानी पटना की सड़कों पर क्या आम, क्या खास, छठ महापर्व में लोगों की उत्साह देखते बन रहा है. छठ मईया के प्रति आस्था ही है कि लोग घरों से दंड करते हुए भी घाट तक गए. पूरा पटना छठ मय हो चुका है. सड़कें साफ हैं और जगह-जगह छठी माई के गीत बज रहे हैं. पूरे परिवार के साथ छठ व्रती पटना के गंगा घाटों की ओर गई और अर्घ्य देकर वापस लौटीं. शनिवार की सुबह व्रतियां सूर्योदय के पहले छठ घाट का रुख करेंगी.
गोपालगंज में छठ का उत्साह
जिले में छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य को जल में खड़े होकर अर्घ्य दिया. शहर में करीब 33 जगहों पर बने घाटों पर हजारों की संख्या में व्रतियों ने सूर्य भगवान की आराधना की. व्रतियां दोपहर के 3 बजते ही अपने घर से निकलने लगीं. रंग-बिरंगे परिधान में छठ व्रतियों और उनके परिजनों ने त्योहार पर चार चांद लगा दिए. इस दौरान घाटों पर छठी माई के गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया.
मधेपुरा में महापर्व
मधेपुरा में छठ पर्व का खासा उत्साह देखने को मिला. यहां निर्धारित समय पर छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया. वहीं, जिन व्रतियों की मनोकामना छठी माई ने पूरी की, उन्होंने घाट तक का सफर दंडवत पूरा किया.
मोक्ष की नगरी गया जी में छठ पूजा
शहर के केंदुई घाट, झारखंडे घाट, देवघाट, पिता महेश्वर घाट, मौर्या घाट, राय बिंदेश्वरी घाट, लखीबाग पूर्वी घाट, महादेव घाट, सूर्यकुंड, सूर्य पोखरा, सिंगरा स्थान सहित कई घाटो पर श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान छठ व्रतियों ने पवित्र फल्गु नदी के जल में डुबकी लगाई और पूरे धार्मिक विधि-विधान से छठ माता की पूजा की.
कोरोना को मात
बगहा में छठ महापर्व पर कोरोना महामारी से बचाव को लेकर प्रशासन ने मास्क और सैनिटाइजर का वितरण करवाया. इसके साथ ही घाटों पर पहुंची छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए. बगहा में नारायणी गण्डक नदी के तट पर दर्जनों छठ घाट बनाया गया है, जहां छठ व्रतियों की भारी भीड़ उमड़ी.
देव सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़
औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड मुख्यालय पर स्थित देव सूर्य मंदिर और देव तालाब पर जहां हर वर्ष 15 लाख के लगभग श्रद्धालु छठ पूजा करने पहुंचते थे. इस बार कोरोना के कारण श्रद्धालुओं को आने पर रोक लगाई गई. बावजूद इसके, लगभग 25 से 30 हजार श्रद्धालुओं ने यहां सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर छठ पूजा की परंपरा को पूरा किया. इस दौरान प्रशासन मास्क वितरण, सैनेटाइजेशन करवाया. वहीं, जगह-जगह स्वास्थ्य शिविर लगाए गये.