पटना/भागलपुर: लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja 2021) पूजा धूमधाम से भागलपुर (Bhagalpur Chhath Puja) सहित पूरे बिहार में मनाया जा रहा है. बुधवार को भगवान सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया गया. शाम होते ही नदी, पोखर, नहर, गंगा घाटों पर श्रद्धालु उमड़ पड़े. व्रती महिलाओं ने घुटने भर पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य अर्पित किया. अब गुरुवार को उदयीमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य (Chhath Puja Second Arghya) देने की तैयारी चल रही है.
![महापर्व छठ](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/br-bgp-01-chhatparv2021-visual-pkgbh10034_10112021164524_1011f_1636542924_1100.jpg)
11 नवंबर को सूर्योदय का समय 6 बजकर 17 मिनट है. वहीं 5 बजकर 3 मिनट पर सूर्यास्त होगा. अर्घ्य देने के समय इन बातों का खास ख्याल रखें.
बांस की टोकरी में सभी सामान रखें.
![महापर्व छठ](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/br-bgp-01-chhatparv2021-visual-pkgbh10034_10112021164524_1011f_1636542924_1046.jpg)
सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएं.
फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें.
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बिहार में दिन रात छठ के गीत गूंज रहे हैं. छठ व्रत रखने वाली महिलाएं सोमवार सुबह नहाय खाय के दिन से तैयारी में लग गईं थीं. छठ पर्व को लेकर विविध प्रकार के पकवान बनाए गए. पूजा करके सूप को सजाया गया. फिर डाला लेकर श्रद्धालु छठ घाट पहुंचे. छठ के दौरान व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं.
![महापर्व छठ](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-sup-02-chhath-puja-visual-567890-bh10025_10112021164641_1011f_1636543001_846.jpg)
पहले अर्घ्य के समय छठ घाटों पर व्रतियों ने पूरे विधि- विधान के साथ भगवान सूर्य की उपासना की. सूप में धूप, अगरबत्ती व दीप प्रज्वलित कर छठी मईया की पूजा की गई. इसके बाद एक दीप गंगा मईया और एक दीप भगवान भास्कर को अर्पित किया गया. यह सब करने के बाद महिलाएं नदी, तालाब और पोखर में कमर भर पानी में जाकर खड़े हाेकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया.
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अर्घ्य देने के बाद व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर लौटीं. अब गुरुवार की सुबह सूर्याेदय के समय दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा. इसके साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाएगा. उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के विधि तो कई व्रत और त्योहारों में है, लेकिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा आमतौर पर केवल छठ व्रत में ही है.
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छठ व्रत, धर्म के साथ-साथ विज्ञान से भी जुड़ा है. छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है.
सूर्य की उपासना : सुबह, दोपहर और शाम को तीन समय सूर्य देव विशेष रूप से प्रभावी होते हैं. सुबह के वक्त सूर्य की आराधना से सेहत बेहतर होता है. दोपहर में सूर्य की आराधना से नाम और यश बढ़ता है. शाम के समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, इसलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देना तुरंत लाभ देता है. जो डूबते हुए सूर्य की उपासना करते हैं वे उगते हुए सूर्य की भी उपासना करते हैं.
ज्योतिषी के अनुसार उदित होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा इंसानी जिंदगी में हर तरह की परेशानी को दूर करने की शक्ति रखती है. सेहत से जुड़े हो या निजी जिंदगी से, दोनों में भगवान सूर्य की आराधना लाभकारी है.
बता दें कि चार दिवसीय महापर्व छठ 8 नवंबर 2021 सोमवार को नहाय खाय के साथ ही शुरू हो चुका है. 9 नवंबर मंगलवार के दिन खरना किया गया. 10 नंवबर बुधवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया गया. वहीं 11 नवंबर गुरुवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. पहला अर्घ्य संपन्न होने के बाद अब छठव्रती दूसरे अर्घ्य की तैयारियों में जुट गईं हैं.
छठ पूजा के लिए बिहार के सभी घाटों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है. जिला मुख्यालय के सभी छठ घाट पर व्रती व श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. सभी घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. जिस घाट पर पानी अधिक है, वहां बैरिकेटिंग की गई है. नगर परिषद द्वारा घाट पर चेंजिंग रूम व रोशनी की व्यवस्था की गई है.