कोटा. भारत में चीता प्रोजेक्ट आने के बाद राजस्थान के दो रिजर्व, कोटा जिले के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और बारां जिले की शेरगढ़ सेंचुरी में भी चीते छोड़े जाने की चर्चा है. इससे पहले मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीते छोड़े गए थे, जिसमें से अब तक तीन की मौत हो चुकी है. इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी राजस्थान में चीता छोड़ने को लेकर केंद्र को विचार करने को कहा है.
साउथ अफ्रीका और नामीबिया जैसा मुकुंदरा का जंगल: कोटा के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एसपी सिंह का कहना है कि देश में चीता रिइंट्रोडक्शन की जब बात हो रही थी, तब साउथ अफ्रीका और नामीबिया के एक्सपर्ट भारत आए थे. उन्होंने सभी संभावित क्षेत्रों का दौरा किया था, जिसमें मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व भी शामिल था. इस पूरे दौरे के बाद उन्होंने यहां के एंक्लोजर को चीता के लिए बेहतरीन हैबिटेट बताया था. साथ ही उन्होंने यहां के प्राकृतिक क्षेत्र और अफ्रीका के लैंडस्केप में समानता होने का दावा किया था.
इसे भी पढ़ें - चीतों की मौत पर SC ने जताई चिंता, चीतों को राजस्थान शिफ्ट करने पर विचार करे केंद्र
कम होगा ह्यूमन इंटरेक्शन: सीसीएफ सिंह के अनुसार मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व पूरी तरह से फेंस रिजर्व है. इसके चारों तरफ बाउंड्री वॉल बनाई गई है, जिसके ऊपर भी एक ऊंची फेंसिंग की हुई है. कोई भी व्यक्ति सीधा मुकुंदरा में प्रवेश नहीं कर सकता है, यानी ह्यूमन इंटरेक्शन को कम किया जा सकता है. इसके साथ ही छोटे एनक्लोजर भी हैं, जहां पर चीता को जरूरत पड़ने पर रखा जा सकता है.
शेरगढ़ के जंगल में है खुले घास के मैदान: सीसीएफ एसपी सिंह का मानना है कि शेरगढ़ का लैंडस्केप थोड़ा अलग है. उसमें सघन जंगल के बीच ग्रासलैंड हैं. राजस्थान के अन्य क्षेत्रों की तुलना में वहां के ग्रासलैंड ज्यादा खुले हैं और उनमें कम ऊंचाई की घास हैं. यह काफी ज्यादा संख्या में हैं, इसलिए यह भी चीता के लिए काफी अच्छा आवास बन सकता है.
मेरिट की जगह राजनीति से चुना गया कूनो: विधायक भरत सिंह का दावा है कि सबसे अच्छी और मुफीद मुकुंदरा टाइगर रिजर्व की 82 स्क्वायर किलोमीटर के एरिया को माना गया था. हालांकि चीता कोटा में नहीं बसाया गया. कूनो में बसाए गए चीतों में से तीन चीतों की मौत हो गई है. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने भी राजस्थान में चीतों को बसाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि यह पूरा मसला मेरिट से हटकर राजनीति की तरफ चला गया, जो होना नहीं चाहिए. उनका कहना है कि स्पीकर ओम बिरला प्रयास करेंगे, तो मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में जरूर चीता आएंगे.
इसे भी पढ़ें - Cheetah Death in Kuno: कूनो नेशनल पार्क में तीसरे चीते की मौत, मेटिंग के दौरान आपस में भिड़े चीते
स्टाफ से लेकर अधिकारियों तक को देनी होगी ट्रेनिंग: भरत सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के चीता रीट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट की मार्गदर्शन समिति में शामिल एमके रंजीत सिंह सभी जंगल को घूम चुके हैं, जिसमें उन्होंने कोटा के मुकुंदरा की तारीफ की थी. नामीबिया और साउथ अफ्रीका से चीता के साथ एक्सपर्ट भी आए हुए हैं. ऐसे में वे ही इस पूरे प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. साथ ही कोटा के मुकुंदरा और बारां के शेरगढ़ सेंचुरी के स्टाफ को चीता के संबंध में ट्रेनिंग दी जानी होगी. इसके अलावा शेरगढ़ में काफी कार्य भी करवाना होगा.
राज्य सरकार आगे होकर भेजे प्रस्ताव: बाघ मित्र संस्था के बृजेश विजयवर्गीय का मानना है कि शेरगढ़ में पैंथर और मुकुंदरा में बाघ और पैंथर पहले से मौजूद हैं. ऐसे में चीता को बसाने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी. दोनों ही रिजर्व के नजदीक नदियां बहती हैं. इन जंगलों में पानी की पर्याप्त व्यवस्था भी है. यह भी चीता की बसावट के लिए मददगार रहेगा.
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सीसीएफ और फील्ड डायरेक्टर एसपी सिंह का कहना है कि चीतों को बसाने का प्रोजेक्ट एनटीसीए की ओर से चलाया जा रहा है. भारत सरकार और राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त होने के बाद ही मुकुंदरा या शेरगढ़ में चीता बसाने की कार्रवाई होगी. अभी तक राज्य सरकार या एनटीसीए की तरफ से उन्हें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई है.