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Chandrayaan 3 Launching: HEC में बने एसएलपी से लॉन्च होगा चंद्रयान 3, इस प्रक्षेपण में झारखंड का है अहम योगदान - चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग

14 जुलाई का दिन, भारतीय इतिहास के लिए गौरव का क्षण बनने जा रहा. सिर्फ देश ही नहीं बल्कि ये पल झारखंड के लिए भी काफी अहम है. शुक्रवार को दोपहर 2:30 बजे इसरो के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के सेकेंड लॉन्च पैड (एसएलपी) से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान 3 के प्रक्षेपण को लेकर उल्टी गिनती गुरूवार को शुरू हो गई है. पूरे झारखंड और राजधानी रांची के लिए ये पल काफी खास और गौरव करने वाला क्षण होगा.

Chandrayaan 3 Satellite launching pad made at HEC of Ranchi in Jharkhand
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Published : Jul 14, 2023, 10:20 AM IST

Updated : Jul 14, 2023, 1:06 PM IST

रांचीः 14 जुलाई को अंतरिक्ष में भारत एक और आयाम स्थापित करने के लिए कदम बढ़ाने वाला है. भारतीय समय के अनुसार शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग की जाएगी. एलवीएम एम-3 रॉकेट के जरिये इसे अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. अंतरिक्ष में भारत की इस ऐतिहासिक यात्रा में कई वैज्ञानिक और कर्मचारी महीनों से जुटे हुए हैं. हर कोई अपना अहम योगदान दे रहा है. भारत के इस अंतरिक्ष की यात्रा में झारखंड का भी अहम योगदान है.

इसे भी पढ़ें- Chandrayaan-3: चांद पर फतह के लिए चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग आज, जानिए मिशन से जुड़ी बड़ी बातें

झारखंड के लिए गौरव का क्षणः चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग में झारखंड राज्य की अहम भूमिका है. झारखंड में संचालित तीन कंपनियों ने मिलकर इसरो के लिए लॉन्च पैड से लेकर कई महत्वपूर्ण उपकरणों को बनाया है. जो चंद्रयान की लॉन्चिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसरो को उपकरणों की आपूर्ति कर चंद्रयान मिशन को सफल बनाने में झारखंड की तीन बड़ी कंपनियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है. इन तीनों कंपनियों में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज कहा जाने वाला एचईसी, मेकॉन और टाटा शामिल है. लॉन्च पैड सहित कई महत्वपूर्ण उपकरणों के कागज पर डिजाइन, ड्रॉइंग से लेकर 84 मीटर ऊंचे लॉन्च पैड तक सब कुछ झारखंड की धरती पर ही तैयार हुआ है.

एचईसी, मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीजः सैटेलाइट लॉन्चिंग पैड (एसएलपी) के लिए जरूरी उपकरणों का निर्माण रांची के धुर्वा स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के वर्कशॉप में किया गया है. चंद्रयान-3 के लिए लॉन्चिंग पैड और सेटेलाइट संभालने वाला क्रेन एचइसी में बना है. सैटेलाइट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में इसका इस्तेमाल होता है, इसको मोबाइल लॉन्चिंग पैड भी कहा जाता है. एचईसी ने विशेषकर दूसरे लॉच पैड की बुनियादी ढांचे का निर्माण कर समय पर आपूर्ति किया. इसके साथ ही एचईसी ने 400/60 टन, 200/30 टन इओटी क्रेन, 10 टन टावर क्रेन, फोल्डिंग कम वर्टिकली रिपोजिशनेबल प्लेटफार्म, स्लाइडिंग दरवाजे, मोबाइल लॉन्चिंग पेडस्टल (वजन 800 टन), 6-एक्सिस सीएनसी डबल कॉलम वर्टिकल टर्निंग और बोरिंग मशीन, 3-एक्सिस सीएनसी सिगल कॉलम वर्टिकल टर्निंग एंड बोरिग मशीन की आपूर्ति की है. इससे पहले चंद्रयान-2 का लॉन्चिंग पैड भी रांची के एसईसी में ही बनाया गया था. इसके बाद अब तीसरा लॉन्चिंग पैड भी झारखंड की धरती पर ही बनाया जा रहा है.

सरायकेला के टाटा ग्रोथ शॉप की भी अहम भूमिकाः इसरो के एसएलपी के बोगी सिस्टम के लिए विशेष स्टील और कई उपकरणों का निर्माण सरायकेला के गम्हरिया स्थित टाटा ग्रोथ शॉप में किया गया है. इसरो के लिए जिस किसी उपकरण का निर्माण एचईसी और टाटा कंपनी ने किया है, उन सभी उपकरणों का ड्राइंग डिजाइन मेकॉन की टीम ने तैयार किया है.

मेकॉन की मुख्य बिल्डिंग में तैयार हुआ खाकाः झारखंड के मेकॉन के द्वारा डिजाइन किया गया सैटेलाइट लॉन्च पैड पूरी तरह से स्वदेशी है. चंद्रयान मिशन के लॉन्च का अहम हिस्सा माने जा रहे एसएलपी का ड्राइंग-डिजाइन रांची स्थित मेकॉन लिमिटेड ने किया है. एसएलपी में वर्तमान और भविष्य में उन्नत सैटेलाइट लॉन्च करने की क्षमता है. रांची के मेकॉन में एसएलपी प्रोजेक्ट के लिए मेकॉन प्रबंधन ने मेन बिल्डिंग के विंग बी के पांचवें फ्लोर पर यूनाइटेड विंग बनाया था. प्रोजेक्ट से जुड़े सभी लोग इसी विंग में बैठते थे. इस ऑफिस में बैठकर इससे जुड़े अधिकारी, वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट के विभिन्न उपरकरणों का खाका तैयार किया, उसकी ड्राइंग बनाकर उसे मूर्त रूप दिया. मेकॉन को इन उपकरणों को बनाने के लिए किसी भी एजेंसी से किसी तरह का कोई इनपुट नहीं मिला. मेकॉन ने पहली बार खुद से डिजाइन और ड्राइंग तैयार किया है. इसरो के लिए जिस किसी उपकरण का निर्माण एचईसी और टाटा कंपनी ने किया है, उन सभी उपकरणों का ड्राइंग डिजाइन मेकॉन की टीम ने तैयार किया है. आज जिसकी सराहना पूरी दुनिया में हो रही है.

चंद्रयान 3 प्रक्षेपण भारत के साथ साथ झारखंड के लिए गौरव की बात है. गुरूवार को चंद्रयान 3 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है. लगभग 2.30 बजे इसे लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन के तहत लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर 23 या 24 अगस्त को उतारा जा सकता है. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर मिशन की तैयारी का विश्लेषण पूरा कर लिया गया है. इसरो के बोर्ड ने भी प्रक्षेपण की अनुमति दे दी है.

(इनपुट- आईएएनएस)

रांचीः 14 जुलाई को अंतरिक्ष में भारत एक और आयाम स्थापित करने के लिए कदम बढ़ाने वाला है. भारतीय समय के अनुसार शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग की जाएगी. एलवीएम एम-3 रॉकेट के जरिये इसे अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. अंतरिक्ष में भारत की इस ऐतिहासिक यात्रा में कई वैज्ञानिक और कर्मचारी महीनों से जुटे हुए हैं. हर कोई अपना अहम योगदान दे रहा है. भारत के इस अंतरिक्ष की यात्रा में झारखंड का भी अहम योगदान है.

इसे भी पढ़ें- Chandrayaan-3: चांद पर फतह के लिए चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग आज, जानिए मिशन से जुड़ी बड़ी बातें

झारखंड के लिए गौरव का क्षणः चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग में झारखंड राज्य की अहम भूमिका है. झारखंड में संचालित तीन कंपनियों ने मिलकर इसरो के लिए लॉन्च पैड से लेकर कई महत्वपूर्ण उपकरणों को बनाया है. जो चंद्रयान की लॉन्चिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसरो को उपकरणों की आपूर्ति कर चंद्रयान मिशन को सफल बनाने में झारखंड की तीन बड़ी कंपनियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है. इन तीनों कंपनियों में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज कहा जाने वाला एचईसी, मेकॉन और टाटा शामिल है. लॉन्च पैड सहित कई महत्वपूर्ण उपकरणों के कागज पर डिजाइन, ड्रॉइंग से लेकर 84 मीटर ऊंचे लॉन्च पैड तक सब कुछ झारखंड की धरती पर ही तैयार हुआ है.

एचईसी, मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीजः सैटेलाइट लॉन्चिंग पैड (एसएलपी) के लिए जरूरी उपकरणों का निर्माण रांची के धुर्वा स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के वर्कशॉप में किया गया है. चंद्रयान-3 के लिए लॉन्चिंग पैड और सेटेलाइट संभालने वाला क्रेन एचइसी में बना है. सैटेलाइट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में इसका इस्तेमाल होता है, इसको मोबाइल लॉन्चिंग पैड भी कहा जाता है. एचईसी ने विशेषकर दूसरे लॉच पैड की बुनियादी ढांचे का निर्माण कर समय पर आपूर्ति किया. इसके साथ ही एचईसी ने 400/60 टन, 200/30 टन इओटी क्रेन, 10 टन टावर क्रेन, फोल्डिंग कम वर्टिकली रिपोजिशनेबल प्लेटफार्म, स्लाइडिंग दरवाजे, मोबाइल लॉन्चिंग पेडस्टल (वजन 800 टन), 6-एक्सिस सीएनसी डबल कॉलम वर्टिकल टर्निंग और बोरिंग मशीन, 3-एक्सिस सीएनसी सिगल कॉलम वर्टिकल टर्निंग एंड बोरिग मशीन की आपूर्ति की है. इससे पहले चंद्रयान-2 का लॉन्चिंग पैड भी रांची के एसईसी में ही बनाया गया था. इसके बाद अब तीसरा लॉन्चिंग पैड भी झारखंड की धरती पर ही बनाया जा रहा है.

सरायकेला के टाटा ग्रोथ शॉप की भी अहम भूमिकाः इसरो के एसएलपी के बोगी सिस्टम के लिए विशेष स्टील और कई उपकरणों का निर्माण सरायकेला के गम्हरिया स्थित टाटा ग्रोथ शॉप में किया गया है. इसरो के लिए जिस किसी उपकरण का निर्माण एचईसी और टाटा कंपनी ने किया है, उन सभी उपकरणों का ड्राइंग डिजाइन मेकॉन की टीम ने तैयार किया है.

मेकॉन की मुख्य बिल्डिंग में तैयार हुआ खाकाः झारखंड के मेकॉन के द्वारा डिजाइन किया गया सैटेलाइट लॉन्च पैड पूरी तरह से स्वदेशी है. चंद्रयान मिशन के लॉन्च का अहम हिस्सा माने जा रहे एसएलपी का ड्राइंग-डिजाइन रांची स्थित मेकॉन लिमिटेड ने किया है. एसएलपी में वर्तमान और भविष्य में उन्नत सैटेलाइट लॉन्च करने की क्षमता है. रांची के मेकॉन में एसएलपी प्रोजेक्ट के लिए मेकॉन प्रबंधन ने मेन बिल्डिंग के विंग बी के पांचवें फ्लोर पर यूनाइटेड विंग बनाया था. प्रोजेक्ट से जुड़े सभी लोग इसी विंग में बैठते थे. इस ऑफिस में बैठकर इससे जुड़े अधिकारी, वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट के विभिन्न उपरकरणों का खाका तैयार किया, उसकी ड्राइंग बनाकर उसे मूर्त रूप दिया. मेकॉन को इन उपकरणों को बनाने के लिए किसी भी एजेंसी से किसी तरह का कोई इनपुट नहीं मिला. मेकॉन ने पहली बार खुद से डिजाइन और ड्राइंग तैयार किया है. इसरो के लिए जिस किसी उपकरण का निर्माण एचईसी और टाटा कंपनी ने किया है, उन सभी उपकरणों का ड्राइंग डिजाइन मेकॉन की टीम ने तैयार किया है. आज जिसकी सराहना पूरी दुनिया में हो रही है.

चंद्रयान 3 प्रक्षेपण भारत के साथ साथ झारखंड के लिए गौरव की बात है. गुरूवार को चंद्रयान 3 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है. लगभग 2.30 बजे इसे लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन के तहत लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर 23 या 24 अगस्त को उतारा जा सकता है. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर मिशन की तैयारी का विश्लेषण पूरा कर लिया गया है. इसरो के बोर्ड ने भी प्रक्षेपण की अनुमति दे दी है.

(इनपुट- आईएएनएस)

Last Updated : Jul 14, 2023, 1:06 PM IST
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