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चंद्रयान-3 की लांचिंग टीम में यूपी के किसान का बेटा भी, पढ़ें उनका इसरो तक का सफर - Scientist Success Story

चंद्रयान-3 की लैंडिंग (Chandrayaan 3 Landing) पूरा देश ही नहीं विश्व भी बेसब्री से इंतजार कर रहा है. इसके लिए प्रार्थना और दुआओं का दौर जारी है. आईए आपको बताते हैं, चंद्रयान-3 की लांचिग टीम (Chandrayaan 3 Launching Team) के एक सदस्य धर्मेंद्र प्रताप सिंह यादव (Dharmendra Pratap Singh Yadav) के बारे में जो उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 23, 2023, 1:18 PM IST

साइंटिस्ट बेटे धर्मेंद्र प्रताप सिंह यादव की सफलता की कहानी बताते पिता शम्भू दयाल यादव

फिरोजाबाद: वैसे तो चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग का पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा है और जगह जगह प्रार्थनाओं, दुआओं का दौर जारी है. लेकिन यूपी के फिरोजाबाद जनपद के गांव टीकरी के लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. दरअसल, चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराने वाले वैज्ञानिकों की टीम में शामिल एक नाम धर्मेंद्र प्रताप सिंह यादव का है जो इस टीकरी गांव के रहने वाले हैं. धर्मेंद्र के गांव के लोग चंद्रयान-3 की लैंडिंग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और पल-पल की खबर भी ले रहे हैं.

चांद पर खोजबीन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की ओर से तैयार चंद्रयान-3 को हरिकोटा से 14 जुलाई को भेजा गया था. जो 23 जुलाई को भारतीय समय के मुताबिक शाम को छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा पर लैंड करेगा. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए न केवल वैज्ञानिकों ने पूरा जोर लगाया है, बल्कि पूरे देश में पूजा-पाठ, प्रार्थनाओं और दुआओं का दौर चल रहा है.

Chandrayaan 3
साइंटिस्ट धर्मेंद्र प्रताप सिंह यादव ने कहां से प्राप्त की शिक्षा

फिरोजाबाद जनपद के टीकरी गांव का भी इस अभियान से गहरा संबंध है. इसरो की टीम में शामिल वैज्ञानिक धर्मेंद्र प्रताप यादव इसी गांव के रहने वाले हैं. यहां के रहने वाले सभी लोग इस अभियान की सफलता के लिए टकटकी लगा कर देख रहे हैं. टीकरी गांव में भी जश्न का माहौल है. गांव में रहने वाले लोग, रिश्तेदार और मित्र धर्मेंद्र के पिता शम्भू दयाल यादव और उनकी माता कमला देवी को बधाई दे रहे हैं.

शंभू दयाल किसान हैं. बेटे की कामयाबी पर उनका भी सिर गर्व से ऊंचा हुआ है. पिता शंभू दयाल ने बताया कि धर्मेंद्र ने फिरोजाबाद शहर के ब्रजराज सिंह इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने मथुरा के हिंदुस्तान इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक और फिर जालंधर पंजाब से एमटेक की पढ़ाई की. इसके बाद धर्मेंद्र का चयन इसरो में वैज्ञानिक के तौर पर हुआ.

ये भी पढ़ेंः Chandrayaan-3 Mission: लांचिंग टीम में गाजीपुर के वैज्ञानिक भी शामिल, गांव में मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना

साइंटिस्ट बेटे धर्मेंद्र प्रताप सिंह यादव की सफलता की कहानी बताते पिता शम्भू दयाल यादव

फिरोजाबाद: वैसे तो चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग का पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा है और जगह जगह प्रार्थनाओं, दुआओं का दौर जारी है. लेकिन यूपी के फिरोजाबाद जनपद के गांव टीकरी के लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. दरअसल, चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराने वाले वैज्ञानिकों की टीम में शामिल एक नाम धर्मेंद्र प्रताप सिंह यादव का है जो इस टीकरी गांव के रहने वाले हैं. धर्मेंद्र के गांव के लोग चंद्रयान-3 की लैंडिंग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और पल-पल की खबर भी ले रहे हैं.

चांद पर खोजबीन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की ओर से तैयार चंद्रयान-3 को हरिकोटा से 14 जुलाई को भेजा गया था. जो 23 जुलाई को भारतीय समय के मुताबिक शाम को छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा पर लैंड करेगा. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए न केवल वैज्ञानिकों ने पूरा जोर लगाया है, बल्कि पूरे देश में पूजा-पाठ, प्रार्थनाओं और दुआओं का दौर चल रहा है.

Chandrayaan 3
साइंटिस्ट धर्मेंद्र प्रताप सिंह यादव ने कहां से प्राप्त की शिक्षा

फिरोजाबाद जनपद के टीकरी गांव का भी इस अभियान से गहरा संबंध है. इसरो की टीम में शामिल वैज्ञानिक धर्मेंद्र प्रताप यादव इसी गांव के रहने वाले हैं. यहां के रहने वाले सभी लोग इस अभियान की सफलता के लिए टकटकी लगा कर देख रहे हैं. टीकरी गांव में भी जश्न का माहौल है. गांव में रहने वाले लोग, रिश्तेदार और मित्र धर्मेंद्र के पिता शम्भू दयाल यादव और उनकी माता कमला देवी को बधाई दे रहे हैं.

शंभू दयाल किसान हैं. बेटे की कामयाबी पर उनका भी सिर गर्व से ऊंचा हुआ है. पिता शंभू दयाल ने बताया कि धर्मेंद्र ने फिरोजाबाद शहर के ब्रजराज सिंह इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने मथुरा के हिंदुस्तान इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक और फिर जालंधर पंजाब से एमटेक की पढ़ाई की. इसके बाद धर्मेंद्र का चयन इसरो में वैज्ञानिक के तौर पर हुआ.

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