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Watch Video : इसरो के पूर्व वैज्ञानिक बोले- भारत को चंद्रमा पर खोज के लिए सक्रिय खिलाड़ी बनना होगा

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Published : Jul 14, 2023, 8:42 PM IST

Updated : Jul 14, 2023, 9:08 PM IST

इसरो ने शुक्रवार दोपहर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में हैवी लिफ्ट LVM3-M4 रॉकेट पर अपने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुरई ने इस महत्वपूर्ण मिशन पर ईटीवी भारत से बात की. जानिए उन्होंने क्या कहा.

Mayisamy Annadurai
मायलस्वामी अन्नादुरई
खास बातचीत

चेन्नई : निकट भविष्य में चंद्रमा पर कॉलोनियां स्थापित की जाएंगी, चंद्रमा पर अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना वास्तविकता बन जाएगी तो भारत को पीछे नहीं रहना चाहिए. इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुरई (Mayisamy Annadurai) का कहना है कि देश को ऐसे प्रयासों का हिस्सा होना चाहिए और चंद्रयान-3 चंद्र मिशन मानवयुक्त चंद्रमा मिशनों के लिए हमारी क्षमता को बढ़ाने के अलावा उस दिशा में एक कदम है.

चंद्रयान और मंगलयान मिशन में अन्नादुरई का विशेष योगदान था. उन्होंने चंद्रयान सीरीज को एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (technology demonstrator) के रूप में बताया है जिसमें विशाल व्यावसायिक संभावनाएं हैं.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार दोपहर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में हैवी लिफ्ट LVM3-M4 रॉकेट पर अपने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है.

अन्नादुरई ने कहा कि 'चंद्रयान सीरीज को आगे बढ़ाते हुए भारत न केवल मानवयुक्त चंद्र मिशनों के करीब एक कदम आगे बढ़ रहा है, बल्कि पानी और खनिज संसाधनों की उपलब्धता के बारे में और अधिक खोज करने का दायरा भी बढ़ा रहा है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जहां वर्तमान लैंडिंग की योजना बनाई गई है, उसका बड़ा वैज्ञानिक और रणनीतिक महत्व है. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसका चयन किया गया है.'

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक के अनुसार, प्रक्षेपण यान को पृथ्वी की परिक्रमा करने और फिर चंद्रमा की कक्षा में धकेलने की सफल विधि मंगलयान मिशन में भी नियोजित की गई थी.

उन्होंने कहा कि 'यह संयुक्त राज्य अमेरिका की अपोलो श्रृंखला के विपरीत लागत प्रभावी है, जिसे चंद्रमा पर उतरने और पृथ्वी पर लौटने में केवल आठ दिन लगे.'

इस आलोचना का जवाब देते हुए कि क्या भारत, जिसका एक बड़ा वर्ग अभी भी गरीबी के नीचे है उसे ऐसे मिशन शुरू करने चाहिए. उन्होंने कहा कि 'इसरो में हम वाणिज्यिक प्रक्षेपणों और अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी को आगे बढ़ाने में जितना खर्च करते हैं, उससे अधिक कमा रहे हैं.

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चेन्नई : निकट भविष्य में चंद्रमा पर कॉलोनियां स्थापित की जाएंगी, चंद्रमा पर अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना वास्तविकता बन जाएगी तो भारत को पीछे नहीं रहना चाहिए. इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुरई (Mayisamy Annadurai) का कहना है कि देश को ऐसे प्रयासों का हिस्सा होना चाहिए और चंद्रयान-3 चंद्र मिशन मानवयुक्त चंद्रमा मिशनों के लिए हमारी क्षमता को बढ़ाने के अलावा उस दिशा में एक कदम है.

चंद्रयान और मंगलयान मिशन में अन्नादुरई का विशेष योगदान था. उन्होंने चंद्रयान सीरीज को एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (technology demonstrator) के रूप में बताया है जिसमें विशाल व्यावसायिक संभावनाएं हैं.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार दोपहर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में हैवी लिफ्ट LVM3-M4 रॉकेट पर अपने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है.

अन्नादुरई ने कहा कि 'चंद्रयान सीरीज को आगे बढ़ाते हुए भारत न केवल मानवयुक्त चंद्र मिशनों के करीब एक कदम आगे बढ़ रहा है, बल्कि पानी और खनिज संसाधनों की उपलब्धता के बारे में और अधिक खोज करने का दायरा भी बढ़ा रहा है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जहां वर्तमान लैंडिंग की योजना बनाई गई है, उसका बड़ा वैज्ञानिक और रणनीतिक महत्व है. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसका चयन किया गया है.'

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक के अनुसार, प्रक्षेपण यान को पृथ्वी की परिक्रमा करने और फिर चंद्रमा की कक्षा में धकेलने की सफल विधि मंगलयान मिशन में भी नियोजित की गई थी.

उन्होंने कहा कि 'यह संयुक्त राज्य अमेरिका की अपोलो श्रृंखला के विपरीत लागत प्रभावी है, जिसे चंद्रमा पर उतरने और पृथ्वी पर लौटने में केवल आठ दिन लगे.'

इस आलोचना का जवाब देते हुए कि क्या भारत, जिसका एक बड़ा वर्ग अभी भी गरीबी के नीचे है उसे ऐसे मिशन शुरू करने चाहिए. उन्होंने कहा कि 'इसरो में हम वाणिज्यिक प्रक्षेपणों और अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी को आगे बढ़ाने में जितना खर्च करते हैं, उससे अधिक कमा रहे हैं.

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Last Updated : Jul 14, 2023, 9:08 PM IST
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