नई दिल्ली : 22 जुलाई अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए बड़ा दिन है. अंतरिक्ष की गहराइयों और चांद तारों की चाल पर नजर रखने वालों के लिए 22 जुलाई का दिन इतिहास में एक बड़ी घटना के साथ दर्ज है. दरअसल 2019 को आज ही के दिन चंद्रमा के अनछुए पहलुओं का पता लगाने के लिए चंद्रयान-2 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से शान के साथ रवाना किया गया था.
चंद्रयान दो को 'बाहुबली' नाम के सबसे ताकतवर और विशाल राकेट जीएसएलवी-मार्क ... के जरिए प्रक्षेपित किया गया. इसे देश के अंतरिक्ष इतिहास की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा गया.
चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया था. यह चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया था, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर था. विक्रम के पास बैंगलोर के नजदीक बयालू में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ संवाद करने की क्षमता था. लैंडर को चंद्र सतह पर सफल लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था.
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चंद्रयान 2 मिशन के कुछ अहम पड़ाव
- 2007: चंद्रयान 2 को लेकर रूस से समझौता
- 2011: रूस ने जताई असमर्थता
- 2013: भारत ने अकेले पूरा करने का लिया निर्णय
- 22.07.2019: चंद्रयान 2 मिशन लॉन्च
- 22.09.2019 विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से हुआ अलग
चंद्रयान-2 का रोवर एआई-संचालित 6-पहिया वाहन था, इसका नाम 'प्रज्ञान' था, जो संस्कृत के ज्ञान शब्द से लिया गया है. इसका वजन 27 किग्रा है और इसमें 50 वॉट बिजली पैदा करने की क्षमता थी. यह 500 मीटर (आधा किमी) तक यात्रा करने में सक्षम था और काम करने के लिए इसमें सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने का इंतजाम किया गया था. यह लैंडर के साथ संवाद कर सकता था. इसरो के मुताबिक अभियान सफल होने की स्थिति में यह लैंडर को जानकारी भेजता और लैंडर बेंगलुरु के पास ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क को जानकारी प्रसारित करता.
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सात सितंबर के दिन चंद्रयान-2 अभियान को झटका लगा था, जब लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था. इसके बाद पीएम मोदी ने हौसला बढ़ाया था और कहा था, ये कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. देश आप पर गर्व करता है.
आपकी मेहनत ने बहुत कुछ सिखाया है. मैं पूरी तरह आपके साथ हूं, हिम्मत के साथ चलें. आप ही के पुरुषार्थ से देश फिर से खुशी मनाने लग जाएगा. उन्होंने कहा, वैज्ञानिकों ने बताया कि संपर्क होने पर इससे बहुत कुछ मिलेगा.
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लैंडर विक्रम के साथ संपर्क टूटने पर इसरो प्रमुख के सिवन भावुक हो गए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मौके पर मौजूद थे. उन्होंने इसरो मुख्यालय से देश को संबोधित किया था. इस दौरान इसरो चीफ के. सिवन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गले लगकर भावुक हो गए और रोने लगे. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो चीफ को हौसला देते हुए उनकी पीठ थपथपाई.
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देश दुनिया के इतिहास में 22 जुलाई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1731 : स्पेन ने वियना संधि पर हस्ताक्षर किए.
- 1918 : भारत के पहले कुशल पायलट इन्द्रलाल राय प्रथम विश्वयुद्ध के समय लंदन में जर्मनी से हुई लड़ाई में मारे गए.
- 1969 : सोवियत संघ ने स्पूतनिक 50 और मोलनिया 112 संचार उपग्रहों का प्रक्षेपण किया.
- 1981 : भारत के पहले भूस्थिर उपग्रह एप्पल ने कार्य करना शुरू किया.
- 1988 : अमेरिका के 500 वैज्ञानिकों ने पेंटागन में जैविक हथियार बनाने के शोध का बहिष्कार करने की प्रतिज्ञा ली.
- 1999 : अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा समान कार्य के लिए समान पारिश्रमिक की कार्य योजना लागू.
- 2001 : शेर बहादुर देउबा नेपाल के नये प्रधानमंत्री बने
- 2001 : समूह-आठ के देशों का जिनेवा में सम्मेलन सम्पन्न.
- 2003 : इराक में हवाई हमले में तानाशाह सद्दाम हुसैन के दो बेटे मारे गए.
- 2012 प्रणव मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति निर्वाचित.
- 2019: श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण.