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पंजाब होशियारपुर के चमन लाल बने बर्मिंघम के लॉर्ड मेयर - Chaman Lal

ब्रिटेन में बसे पंजाब के होशियारपुर से जन्मे रखने वाले चमन लाल (Chaman Lal) को बर्मिंघम का पहला ब्रिटिश-भारतीय लॉर्ड मेयर चुन लिया गया है. इससे पहले भारतीय मूल के सिख पार्षद जसवंत सिंह बिरदी ने वेस्ट मिडलैंड्स शहर कोवेंट्री के नए लॉर्ड मेयर का दायित्व संभाला था. पढ़िए पूरी खबर...

CHAMAN LAL OF HOSHIARPUR BECAME THE FIRST BRITISH INDIAN LORD MAYOR
पंजाब होशियारपुर के चमन लाल बने बर्मिंघम के लॉर्ड मेयर
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Published : May 30, 2023, 7:46 PM IST

हैदराबाद : भारत छोड़कर ब्रिटेन में बसे एक और पंजाबी ने इतिहास रच दिया है. होशियारपुर से संबंध रखने वाले चमन लाल (Chaman Lal) को बर्मिंघम शहर का पहला ब्रिटिश-भारतीय लॉर्ड मेयर चुना गया है. बता दें कि कुछ दिन पहले ही भारतीय मूल के सिख पार्षद जसवंत सिंह बिरदी ने इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स शहर कोवेंट्री के नए लॉर्ड मेयर के रूप में नियुक्त होकर इतिहास रच दिया था.

1994 में पार्षद चुने गए थे - ब्रिटिश सिखों के रविदासिया समुदाय से आने वाले चमन लाल का जन्म पंजाब के होशियारपुर में पखोवल गांव में हुआ था. बाद में वह ब्रिटेन आ गए थे जहां कई वर्षों तक स्थानीय पार्षद रहे. लेबर पार्टी के नेता को सबसे पहले 1994 में निर्वाचित किया गया था. हाल के स्थानीय चुनावों में सोहो और ज्वेलरी क्वार्टर वार्डों के लिए पार्षदों को फिर से चुना गया.

नहीं सोचा था कि मैं इस शहर का लॉर्ड मेयर बनूंगा- चमन लाल ने पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में अपने भाषण में कहा था, 'भारतीय मूल के आर्मी ऑफिसर के बेटे के तौर पर लॉर्ड मेयर चुना जाना मेरे और हमारे परिवार के लिए सम्मान की बात है. उन्होंने कहा, 'मैं गोद लिया हुआ 'ब्रुमी' हूं और मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन में अपने गोद लिए हुए शहर का लॉर्ड मेयर बनूंगा. मैं अपने और हमारे महान शहर के प्रथम नागरिक के रूप में मुझे चुनने के लिए साथी पार्षदों को धन्यवाद देना चाहता हूं जो किसी पार्षद को दी जाने वाली सर्वोच्च नागरिक भूमिका होती है.' गौरतलब है कि बर्मिंघम के लोगों को ब्रुमी भी कहा जाता है.

1954 में परिवार ब्रिटेन चला गया- चमन लाल के पिता सरदार हरनाम सिंह बंगा ब्रिटिश भारतीय सेना में एक अधिकारी थे. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इतालवी अभियान में भाग लिया था. चमन लाल के पिता 1954 में इंग्लैंड आ गए और कई वर्षों तक ब्रिटिश स्टील में काम किया और नौकरी के बाद बर्मिंघम में बस गए. चमन लाल 1964 में अपनी मां सरदारनी जय कौर और पिता के साथ रहने के लिए इंग्लैंड चले गए. तब से वे बर्मिंघम में रह रहे हैं.

1989 में लेबर पार्टी में शामिल हुए - चमन लाल की राजनीति में दिलचस्पी 1989 में शुरू हुई, जब वे लेबर पार्टी में शामिल हुए. उन्होंने समानता और भेदभाव को चुनौती देने के लिए कई सामाजिक न्याय अभियानों में भाग लिया. उन्होंने पिछले 29 वर्षों में अधिकांश स्थानीय परिषद समितियों में सेवा की है. इतना ही नहीं प्रमुख परिवहन परियोजनाओं के लिए कैबिनेट सलाहकार और हाल ही में स्थिरता और परिवहन निरीक्षण जांच समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.

ये भी पढ़ें - लंदन में 143 करोड़ में बिकी टीपू सुल्तान की तलवार, तोड़े नीलामी के सारे रिकॉर्ड

हैदराबाद : भारत छोड़कर ब्रिटेन में बसे एक और पंजाबी ने इतिहास रच दिया है. होशियारपुर से संबंध रखने वाले चमन लाल (Chaman Lal) को बर्मिंघम शहर का पहला ब्रिटिश-भारतीय लॉर्ड मेयर चुना गया है. बता दें कि कुछ दिन पहले ही भारतीय मूल के सिख पार्षद जसवंत सिंह बिरदी ने इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स शहर कोवेंट्री के नए लॉर्ड मेयर के रूप में नियुक्त होकर इतिहास रच दिया था.

1994 में पार्षद चुने गए थे - ब्रिटिश सिखों के रविदासिया समुदाय से आने वाले चमन लाल का जन्म पंजाब के होशियारपुर में पखोवल गांव में हुआ था. बाद में वह ब्रिटेन आ गए थे जहां कई वर्षों तक स्थानीय पार्षद रहे. लेबर पार्टी के नेता को सबसे पहले 1994 में निर्वाचित किया गया था. हाल के स्थानीय चुनावों में सोहो और ज्वेलरी क्वार्टर वार्डों के लिए पार्षदों को फिर से चुना गया.

नहीं सोचा था कि मैं इस शहर का लॉर्ड मेयर बनूंगा- चमन लाल ने पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में अपने भाषण में कहा था, 'भारतीय मूल के आर्मी ऑफिसर के बेटे के तौर पर लॉर्ड मेयर चुना जाना मेरे और हमारे परिवार के लिए सम्मान की बात है. उन्होंने कहा, 'मैं गोद लिया हुआ 'ब्रुमी' हूं और मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन में अपने गोद लिए हुए शहर का लॉर्ड मेयर बनूंगा. मैं अपने और हमारे महान शहर के प्रथम नागरिक के रूप में मुझे चुनने के लिए साथी पार्षदों को धन्यवाद देना चाहता हूं जो किसी पार्षद को दी जाने वाली सर्वोच्च नागरिक भूमिका होती है.' गौरतलब है कि बर्मिंघम के लोगों को ब्रुमी भी कहा जाता है.

1954 में परिवार ब्रिटेन चला गया- चमन लाल के पिता सरदार हरनाम सिंह बंगा ब्रिटिश भारतीय सेना में एक अधिकारी थे. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इतालवी अभियान में भाग लिया था. चमन लाल के पिता 1954 में इंग्लैंड आ गए और कई वर्षों तक ब्रिटिश स्टील में काम किया और नौकरी के बाद बर्मिंघम में बस गए. चमन लाल 1964 में अपनी मां सरदारनी जय कौर और पिता के साथ रहने के लिए इंग्लैंड चले गए. तब से वे बर्मिंघम में रह रहे हैं.

1989 में लेबर पार्टी में शामिल हुए - चमन लाल की राजनीति में दिलचस्पी 1989 में शुरू हुई, जब वे लेबर पार्टी में शामिल हुए. उन्होंने समानता और भेदभाव को चुनौती देने के लिए कई सामाजिक न्याय अभियानों में भाग लिया. उन्होंने पिछले 29 वर्षों में अधिकांश स्थानीय परिषद समितियों में सेवा की है. इतना ही नहीं प्रमुख परिवहन परियोजनाओं के लिए कैबिनेट सलाहकार और हाल ही में स्थिरता और परिवहन निरीक्षण जांच समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.

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