नई दिल्ली : केंद्र ने रविवार को उत्तर प्रदेश एवं बिहार को निर्देश दिया कि शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने पर रोक लगाई जाए तथा उनके सुरक्षित एवं सम्मानजनक अंतिम संस्कार पर जोर दिया जाए.
यह निर्देश ऐसे समय दिया गया है जब हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ने के बाद इन नदियों में अनेक शव तैरते मिले थे.
केंद्र ने 15-16 मई को हुई एक समीक्षा बैठक में कहा कि हाल ही में शवों, आंशिक रूप से जले एवं क्षत-विक्षत शव प्रवाहित करने के कई मामले सामने आए हैं जो 'अत्यंत अनुचित एवं चिंताजनक' है.
जलशक्ति मंत्रालय ने कहा, ' नमामि गंगे (मिशन) राज्यों को गंगा में शवों को प्रवाहित करने पर रोक लगाने और उनके सुरक्षित निस्तारण एवं सम्मानजनक अंतिम संस्कार पर बल देने निर्देश देता है.'
जलशक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में 15 मई को हुई बैठक में इस संबंध में उत्तर प्रदेश और बिहार द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई तथा आगे की कार्रवाई के बिन्दुओं पर निर्णय किया गया.
जल शक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार ने 15 मई को उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में की गई स्थिति और कार्रवाई की समीक्षा की, जिसमें राज्यों ने नवीनतम स्थिति से अवगत कराया और आगे की कार्रवाई के बिंदु तय किए गए.
सचिव ने पहले से दिए गए निर्देशों पर प्रकाश डाला और शीघ्र कार्रवाई की मांग की और साथ ही गंगा और अन्य नदियों के साथ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी घटनाओं पर समान ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया.
शवों के डंपिंग को रोकने के साथ-साथ उनके सुरक्षित निपटान और पानी की गुणवत्ता के संरक्षण पर युद्ध स्तर पर ध्यान देना होगा.
उन्होंने कहा कि राज्यों से प्रगति जानने के बाद सीडब्ल्यूसी, सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी अपनी प्रतिक्रिया और कार्य योजना देंगे.
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर बार-बार पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संपूर्ण निगरानी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों का मार्गदर्शन करने एवं इस विषय में उच्चस्तरीय मूल्यांकन करने का जिम्मा सौंपा गया है.
मंत्रालय ने कहा कि अंतिम संस्कार के वास्ते सहयोग को उच्च प्राथमिकता देने की जरूरत है, साथ ही सरकारी आदेशों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की जरूरत है तथा ये सारे काम अविलंब किए जाएं.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा द्वारा 11 मई को इस संबंध में जिलाधिकारियों को परामर्श जारी किया गया था. वहीं, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि बिहार के उन्नाव, कानपुर ग्रामीण, गाजीपुर, बलिया और बक्सर, सारण जैसे कई जिलों में स्थिति पर नजर रखी जा रही है. हालांकि कुछ मामले दूसरे जिलों से भी सामने आ रहे हैं. उन्होंने राज्य मिशनों से सभी जिलों के साथ की गई कार्रवाई का पालन करने को कहा.
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन को मजबूत करने, सतर्कता बनाए रखने और शवों के दाह संस्कार के लिए परिवारों की सुविधा और समर्थन के लिए सक्रिय कार्रवाई करने की आवश्यकता है और राज्य मिशनों को इस पर विशेष रूप से रिपोर्ट करने के लिए कहा.
यदि आवश्यक हो, तो परियोजना निदेशक एनएमसीजी को सूचित करते हुए उनके पास उपलब्ध एनएमसीजी निधियों में से जिला गंगा समितियों का आकलन और समर्थन भी कर सकते हैं.
उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव, शहरी विकास और अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, जल शक्ति, उत्तर प्रदेश सरकार और परियोजना निदेशक, राज्य गंगा मिशन ने किया.
इसके बाद नदियों में शवों को फेंके जाने से रोकने तथा कोविड-19 के मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार पर्यावरण दिशा-निर्देशों के अनुसार सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिवों को पत्र लिखा गया.
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श्रीवास्तव ने साझा किया कि राज्यों के सभी जिलाधिकारियों को इस मुद्दे के बारे में सतर्क कर दिया गया है और एनएमसीजी के निर्देश साझा किए गए हैं. गंगा में शवों को फेंकने से रोकने के लिए ये जिलाधिकारी पेट्रोलिंग करवा रहे हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि नमामि गंगे के तहत मौजूदा शवों के अलावा 13 शवदाह गृह भी शवों के दाह संस्कार के लिए उपलब्ध कराए गए हैं. बताया गया कि शहरी क्षेत्रों में वित्तीय सहायता के आदेश जारी कर दिए गए हैं.
दुबे ने बताया कि पंचायती राज विभाग द्वारा शहरी क्षेत्रों के समान ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी 5000 रुपये की वित्तीय सहायता के लिए इसी तरह के आदेश जारी किए गए हैं, और एसडीआरएफ और अन्य बलों को भी गश्त करने के लिए कहा गया है. प्राधिकरण पंचायतों और यूएलबी के संपर्क में है.
बिहार सरकार ने बताया कि राज्य ने निर्णय लिया है कि COVID-19 के कारण मरने वाले लोगों का दाह संस्कार या दफनाने का खर्च बिहार सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.
शहरी विकास और परियोजना के निदेशक आनंद किशोर ने कहा कि राज्य गंगा मिशन ने कहा कि भले ही मृतक की 'संक्रमण की सकारात्मक रिपोर्ट' न हो और उसमें कोरोना के लक्षण दिखाई दें, तो भी परिवार को यह सहायता प्रदान की जाएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि नदी में शवों को और अधिक फेंके जाने को रोकने के लिए विशेष रूप से बक्सर और सारण (छपरा) जैसे संवेदनशील जिलों में गश्त की जा रही है. बक्सर में शवों का पता लगाने और निकालने के लिए महाजाल का इस्तेमाल किया जा रहा है.
उन्हें डाउनस्ट्रीम जिलों सहित पुलों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों पर निगरानी रखने के लिए कहा गया था.
केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष हलदर ने यह भी बताया कि वे अपने स्टेशनों के माध्यम से प्रवाह और पानी की गुणवत्ता की निगरानी कर रहे हैं और आवृत्ति में और वृद्धि करेंगे.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव श्री प्रशांत गर्गव ने बताया कि बोर्ड ने गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे सभी जल निगरानी स्टेशनों को चेतावनी दी है.