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पश्चिम बंगाल चुनाव : सुरक्षित मतदान के लिए पोलिंग बूथ पर वीडियोग्राफी की मांग

मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में चुनाव आयोग की टीम ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया. इस दौरान चुनाव आयोग की टीम ने राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की. जिसमें ज्यादातर दलों ने सुरक्षित मतदान के लिए पोलिंग बूथ पर वीडियोग्राफी की मांग की.

सुनील अरोड़ा
सुनील अरोड़ा
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Published : Jan 22, 2021, 6:06 PM IST

Updated : Jan 22, 2021, 7:40 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में अप्रैल और मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में चुनाव आयोग की टीम ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया.

इस दौरान चुनाव आयोग की टीम ने राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की. जिसमें ज्यादातर दलों ने सुरक्षित मतदान के लिए पोलिंग बूथ पर वीडियोग्राफी की मांग की.

इसके अलावा राजनीतिक दलों की मांग है कि निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की जाए.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए भी कहा.

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग धनबल एवं बाहुबल के साथ ही सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करता है.

सीईसी ने यह भी कहा कि चुनाव में किसी भी नागरिक पुलिस स्वयंसेवक की तैनाती नहीं की जाएगी.

चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ वर्तमान समय में विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए राज्य में है, जो अप्रैल-मई में होने की संभावना है. आयोग ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकें कीं.

राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले हिंसा की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर आरोड़ा ने कहा कि हम गंभीर अपराधिक घटनाओं की समीक्षा करना चाहेंगे, जिनका राजनीतिक मकसद है और मामला दर मामला आधार पर उनकी जांच करेंगे.

राजनीतिक रैलियों और जुलूसों में पथराव की घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ चुनाव आयोग द्वारा कार्रवाई करने के बारे में पूछे गए एक सवाल पर सीईसी ने कहा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद ही आयोग कार्य कर सकता है. हम कई तरह के उपाय करेंगे और आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद बाइक रैली निकालने की अनुमति नहीं देंगे.

विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले राजनीतिक हिंसा होने का दावा करते हुए चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि राज्य में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों.

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीएसएफ राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों को एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में वोट डालने के लिए धमका रहा है.

पढ़ें :- टीएमसी का आरोप : भाजपा प. बंगाल के लोगों को डराने के लिए तैनात कर रही है बीएसएफ

बीएसएफ ने हालांकि तृणमूल कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि यह आधारहीन और सच्चाई से परे है.

अरोड़ा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के खिलाफ एक राजनीतिक दल द्वारा लगाए गए आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह देश के सबसे बेहतरीन बलों में से एक है.

उन्होंने कहा कि संबंधित राजनीतिक दल को अपने आरोपों का समर्थन करने के लिए तथ्यों के साथ आना चाहिए.

सीईसी ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव और गृह सचिव ने कहा कि वे चुनाव आयोग के निर्देशों का अक्षरश: पालन कर रहे हैं.

सीईसी ने कहा कि राज्य के कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर कई दलों ने चिंता व्यक्त की है, जबकि सोशल मीडिया पर फर्जी समाचार और सांप्रदायिक रूप से उत्तेजक नारे जैसे मुद्दों को भी उनके द्वारा उल्लेखित किया गया है.

इन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि 2018 के पंचायत चुनावों में बड़ी संख्या में मतदाताओं को वोट नहीं डालने दिया गया था, अरोड़ा ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराता है.

पढ़ें :- प.बंगाल में भाजपा को दिखा 'भय का माहौल', लगाई केंद्रीय बलों की तैनाती की गुहार

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि कोई अनियमितता न हो और प्रत्येक मतदाता को विधानसभा चुनाव में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से वोट डालने की अनुमति हो. हम जानते हैं कि इसे यहां कैसे कराना है.

अरोड़ा ने कहा कि ईसीआई की पूर्ण पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव और गृह सचिव को राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए सोशल मीडिया में फर्जी सूचना के मुद्दों पर गौर करने के लिए कहा.

सीईसी के अनुसार, राज्य के मुख्य सचिव और गृह सचिव ने कहा कि वे चुनाव आयोग के निर्देशों का अक्षरश: पालन कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य में 2021 के विधानसभा चुनाव के लिए 1,01,790 मतदान केंद्र होंगे और प्रत्येक बूथ को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में अप्रैल और मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में चुनाव आयोग की टीम ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया.

इस दौरान चुनाव आयोग की टीम ने राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की. जिसमें ज्यादातर दलों ने सुरक्षित मतदान के लिए पोलिंग बूथ पर वीडियोग्राफी की मांग की.

इसके अलावा राजनीतिक दलों की मांग है कि निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की जाए.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए भी कहा.

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग धनबल एवं बाहुबल के साथ ही सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करता है.

सीईसी ने यह भी कहा कि चुनाव में किसी भी नागरिक पुलिस स्वयंसेवक की तैनाती नहीं की जाएगी.

चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ वर्तमान समय में विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए राज्य में है, जो अप्रैल-मई में होने की संभावना है. आयोग ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकें कीं.

राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले हिंसा की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर आरोड़ा ने कहा कि हम गंभीर अपराधिक घटनाओं की समीक्षा करना चाहेंगे, जिनका राजनीतिक मकसद है और मामला दर मामला आधार पर उनकी जांच करेंगे.

राजनीतिक रैलियों और जुलूसों में पथराव की घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ चुनाव आयोग द्वारा कार्रवाई करने के बारे में पूछे गए एक सवाल पर सीईसी ने कहा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद ही आयोग कार्य कर सकता है. हम कई तरह के उपाय करेंगे और आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद बाइक रैली निकालने की अनुमति नहीं देंगे.

विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले राजनीतिक हिंसा होने का दावा करते हुए चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि राज्य में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों.

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीएसएफ राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों को एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में वोट डालने के लिए धमका रहा है.

पढ़ें :- टीएमसी का आरोप : भाजपा प. बंगाल के लोगों को डराने के लिए तैनात कर रही है बीएसएफ

बीएसएफ ने हालांकि तृणमूल कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि यह आधारहीन और सच्चाई से परे है.

अरोड़ा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के खिलाफ एक राजनीतिक दल द्वारा लगाए गए आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह देश के सबसे बेहतरीन बलों में से एक है.

उन्होंने कहा कि संबंधित राजनीतिक दल को अपने आरोपों का समर्थन करने के लिए तथ्यों के साथ आना चाहिए.

सीईसी ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव और गृह सचिव ने कहा कि वे चुनाव आयोग के निर्देशों का अक्षरश: पालन कर रहे हैं.

सीईसी ने कहा कि राज्य के कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर कई दलों ने चिंता व्यक्त की है, जबकि सोशल मीडिया पर फर्जी समाचार और सांप्रदायिक रूप से उत्तेजक नारे जैसे मुद्दों को भी उनके द्वारा उल्लेखित किया गया है.

इन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि 2018 के पंचायत चुनावों में बड़ी संख्या में मतदाताओं को वोट नहीं डालने दिया गया था, अरोड़ा ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराता है.

पढ़ें :- प.बंगाल में भाजपा को दिखा 'भय का माहौल', लगाई केंद्रीय बलों की तैनाती की गुहार

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि कोई अनियमितता न हो और प्रत्येक मतदाता को विधानसभा चुनाव में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से वोट डालने की अनुमति हो. हम जानते हैं कि इसे यहां कैसे कराना है.

अरोड़ा ने कहा कि ईसीआई की पूर्ण पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव और गृह सचिव को राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए सोशल मीडिया में फर्जी सूचना के मुद्दों पर गौर करने के लिए कहा.

सीईसी के अनुसार, राज्य के मुख्य सचिव और गृह सचिव ने कहा कि वे चुनाव आयोग के निर्देशों का अक्षरश: पालन कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य में 2021 के विधानसभा चुनाव के लिए 1,01,790 मतदान केंद्र होंगे और प्रत्येक बूथ को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए.

Last Updated : Jan 22, 2021, 7:40 PM IST
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