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भ्रामक एड की वजह से चश्मा बनाने वाली कंपनी पर जुर्माना - fine imposed on spectacle making company

भ्रामक विज्ञापन जारी करने की वजह से उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने श्योर विजन इंडिया कंपनी पर जुर्माना लगाया है. कंपनी चश्मा बनाती है. कंपनी ने अपने विज्ञापन में क्या दावा किया था, जानने के लिए पढे़ं पूरी खबर.

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श्योर विजन
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Published : Mar 28, 2022, 7:34 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने चश्मा, लेंस (आई वियर) बनाने वाली कंपनी श्योर विजन इंडिया पर भ्रामक विज्ञापन के लिए 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सीसीपीए ने कंपनी के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की.

गौरतलब है कि सीसीपीए ने 25 फरवरी, 2022 को आदेश पारित करते हुए महानिदेशक (जांच) को कंपनी द्वारा विज्ञापन में किए गए दावों की जांच करने का निर्देश दिया गया था. उल्लेखनीय है कि श्योर विजन ने अपने विज्ञापन में भ्रामक दावा करते हुए कहा था कि उसके उत्पाद स्वाभाविक रूप से आंखों की रोशनी में सुधार करते हैं और आंखों के तनाव को खत्म करते हैं. साथ ही विज्ञापन में दावा किया गया था कि यह दुनिया का सबसे अच्छा यूनिसेक्स सुधार उपकरण है.

सीसीपीए के अनुसार, कंपनी विज्ञापन में अपने उत्पादों को लेकर किए गए दावों को प्रमाणित करने में विफल रही. महानिदेशक की जांच रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के दावे अनावश्यक हैं और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि कंपनी या किसी अन्य संगठन द्वारा विज्ञापन वाले उत्पाद पर किए गए किसी भी शोध का कोई संदर्भ प्रस्तुत नहीं किया गया है.

सीसीपीए ने श्योर विजन इंडिया को अपने उत्पाद के विज्ञापनों को बंद करने का निर्देश देते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 21 (1) और (2) के प्रावधानों के तहत 10,00,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

ये भी पढे़ं : बैंक एजेंट और उपभोक्ता के बीच जमकर चली चप्पलें, Video Viral

नई दिल्ली : केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने चश्मा, लेंस (आई वियर) बनाने वाली कंपनी श्योर विजन इंडिया पर भ्रामक विज्ञापन के लिए 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सीसीपीए ने कंपनी के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की.

गौरतलब है कि सीसीपीए ने 25 फरवरी, 2022 को आदेश पारित करते हुए महानिदेशक (जांच) को कंपनी द्वारा विज्ञापन में किए गए दावों की जांच करने का निर्देश दिया गया था. उल्लेखनीय है कि श्योर विजन ने अपने विज्ञापन में भ्रामक दावा करते हुए कहा था कि उसके उत्पाद स्वाभाविक रूप से आंखों की रोशनी में सुधार करते हैं और आंखों के तनाव को खत्म करते हैं. साथ ही विज्ञापन में दावा किया गया था कि यह दुनिया का सबसे अच्छा यूनिसेक्स सुधार उपकरण है.

सीसीपीए के अनुसार, कंपनी विज्ञापन में अपने उत्पादों को लेकर किए गए दावों को प्रमाणित करने में विफल रही. महानिदेशक की जांच रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के दावे अनावश्यक हैं और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि कंपनी या किसी अन्य संगठन द्वारा विज्ञापन वाले उत्पाद पर किए गए किसी भी शोध का कोई संदर्भ प्रस्तुत नहीं किया गया है.

सीसीपीए ने श्योर विजन इंडिया को अपने उत्पाद के विज्ञापनों को बंद करने का निर्देश देते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 21 (1) और (2) के प्रावधानों के तहत 10,00,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

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