कोलकाता : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा (post poll violence ) के मामले में अभी शुरुआती जांच शुरू की है लेकिन हिंसा की शिकायतों को लेकर पुलिस की लापरवाही उजागर होने लगी है. सीबीआई के अधिकारियों ने विशेष रूप से हत्या और दुष्कर्म के मामलों में राज्य पुलिस ने जो प्राथमिकी दर्ज की हैं उनमें कई विसंगतियों की पहचान की है. ऐसे में कई पुलिस अधिकारी केंद्रीय जांच एजेंसी की जांच के दायरे में आ गए हैं.
31 एफआईआर दर्ज
सीबीआई अधिकारियों ने पहले से ही मामलों से संबंधित प्राथमिकी दर्ज करना शुरू कर दिया है. अब तक उन्होंने कुल 31 प्राथमिकी दर्ज की हैं, जिनमें से छह दुष्कर्म से संबंधित हैं, 15 हत्या से संबंधित हैं और शेष दस छेड़छाड़, हत्या की धमकी, संपत्तियों को नष्ट करने और इलाकों में आतंक पैदा करने के मामलों से संबंधित हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. उम्मीद है कि कोर्ट के आदेश देने के छह महीने के भीतर सीबीआई स्थिति रिपोर्ट सौंप देगी. शुरुआत में सीबीआई अधिकारियों को लगा कि स्टेटस रिपोर्ट में करीब 84 एफआईआर का जिक्र होगा. सीबीआई के एक अधिकारी ने नाम न छापने की सख्त शर्त पर कहा, 'लेकिन अब ऐसा लगता है कि स्टेटस रिपोर्ट में दर्ज की जाने वाली एफआईआर की संख्या 100 से ज्यादा होगी.'
साथ ही यह भी स्पष्ट है कि सीबीआई जांच में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, मौके पर जांच के अलावा जांच अधिकारी केस डायरी पर खास जोर दे रहे हैं. इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से सीबीआई के सात अधिकारियों को विशेष रूप से भेजा जा रहा है, जिनके पास वाटर टाइट केस डायरी दाखिल करने में महारत है.
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सीबीआई की टीमें चार जोन के आधार पर जांच कर रही हैं. एक कैंप दुर्गापुर है, जहां टीम बांकुरा, बीरभूम और पश्चिमी मिदनापुर जैसे जिलों में मामलों की जांच कर रही है. दूसरा शिविर उत्तरी बंगाल के कूचबिहार में है जिस जिले में चुनाव के बाद हिंसा की सबसे अधिक घटनाएं हुई हैं. सीबीआई अधिकारी ने कहा, 'कोलकाता में केंद्रीय रूप से तैनात होना और दूर के जिलों में काम करना संभव नहीं है इसलिए हम योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहे हैं.'
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