नई दिल्ली : दिल्ली सरकार द्वारा डीटीसी (दिल्ली परिवहन निगम) द्वारा एक हज़ार लो फ्लोर बसों की खरीद में कथित घोटाले के जांच केंद्रीय जांच एजेंसी करेगी. इस संबंध में गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव विजय देव को सूचित किया है.
दिल्ली सरकार ने डीटीसी की 1000 लो फ्लोर बसें 890 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए टेंडर जारी किया था, इसके साथ ही बसों के रखरखाव के लिए भी 3500 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया था. ऐसा आजतक नहीं हुआ था. रोहिणी से बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल सरकार द्वारा 1000 डीटीसी बसों की खरीद और मेंटिनेंस कॉन्ट्रैक्ट में अनियमितताएं की गई हैं. वह लगातार जांच की मांग कर रहे थे. इस मुद्दे को लेकर बीजेपी के विधायक मुख्यमंत्री निवास से लेकर विधानसभा तक विरोध प्रदर्शन किया था. साथ ही उपराज्यपाल से भी सीबीआई जांच कराने की मांग की थी.
दिल्ली के उपराज्याल ने मंजूरी दी
गत जुलाई महीने में डीटीसी बस खरीद मामले में डीटीसी लो फ्लोर बसों की कथित घोटाले की जांच सीबीआई को भेजने की बीजेपी की अर्जी को दिल्ली के उपराज्याल ने मंजूर कर लिया था. उपराज्यपाल ने आगे की कार्रवाई के लिए फ़ाइल गृह मंत्रालय को भेजी, जहां से अब सीबीआई जांच कराने की स्वीकृति मिल गयी है. दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी सरकार अभी तक अपने कार्यकाल में डीटीसी की एक भी बसें नहीं खरीद पाई है. गत वर्ष दिल्ली सरकार ने 1000 बसें खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन जिन शर्तों के साथ बसों को खरीदना तय हुआ, विपक्ष ने आपत्ति जताई.
3500 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर जारी किया
बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि डीटीसी बस के रखरखाव का काम सभी जगह उसकी वारंटी के बाद दिया जाता है, लेकिन दिल्ली में 1000 बसों की 890 करोड़ रुपये में खरीदी जाने वालों बसों के साथ ही उसके रखरखाव के लिए भी 3500 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया था. ऐसा आजतक नहीं हुआ है. केजरीवाल सरकार ने बसों को हासिल किए बिना ही वर्क आर्डर लागू कर दिया. इसके बाद बीजेपी की लगातार आपत्तियां के बाद एक समिति ने बसों के रखरखाव के वर्क आर्डर को रद्द करने का सुझाव दिया था. समिति का यह सुझाव सरकार को बचाने के लिए रास्ता देने की कोशिश हुई. लेकिन इसके पीछे कौन है अब सीबीआई जांच में सामने आ जाएगा.
उन्होंने कहा कि 890 करोड़ रुपये का एक हजार लो फ्लोर बसों के खरीद वर्क का आर्डर दो निजी कंपनियों को तीन साल की वारंटी पर दिया गया था. तीन साल की वारंटी के बावजूद, दिल्ली सरकार ने बसों के खरीदे जाने के पहले दिन से ही 350 करोड़ रुपये सालाना का आदेश, इन बसों के रखरखाव के लिए दिया. मतलब साफ है कि दिल्ली सरकार, बस आपूर्तिकर्ता निजी कंपनियों को अतिरिक्त रुपये बसों के रखरखाव के लिए देने जा रही थी. दिल्ली सरकार मिलीभगत कर, दोनों कंपनियों को दी जाने वाली कीमत पर वर्क ऑर्डर जारी कर रही थी.
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