बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court ) ने मंगलवार को सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) के ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) को कावेरी कॉलिंग परियोजना (Cauvery Calling project) के लिए जनता से धन एकत्र करने से रोकने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा (Acting Chief Justice Satish Chandra Sharma) और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम (Justice Sachin Shankar Magadum) की खंडपीठ ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे ईशा आउटरीच ने पेड़ लगाने का काम शुरू किया है.
उपरोक्त मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने वन की आवश्यकता और वनों के नुकसान के कारण हो रही आपदा पर सुनवाई की. इसलिए मानव जाति और पृथ्वी को बचाने के लिए उपलब्ध एकमात्र उपाय वनीकरण है. इसलिए हमें वनीकरण के मामले में प्रतिवादी द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करनी चाहिए. याचिका खारिज किए जाने लायक (Petition deserves to be dismissed) है.
कावेरी कॉलिंग परियोजना में सूख चुकी नदियों को पुनर्जीवित (revitalize rivers) करने के लिए कदम शामिल हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि परियोजना के तहत ईशा फाउंडेशन सरकारी जमीन (government land) पर पौधे लगा रही है और इसके लिए जनता से पैसे जुटा रही है.
अधिवक्ता एवी अमरनाथन (advocate AV Amarnathan) की याचिका में सरकार द्वारा परियोजना के फायदे और नुकसान का अध्ययन किए बिना पौधे लगाने के लिए एक निजी संगठन द्वारा अपनी जमीन का इस्तेमाल करने की अनुमति देने का मुद्दा उठाया गया था.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जनता से धन का संग्रह परेशान करने वाला है क्योंकि ईशा फाउंडेशन द्वारा के रूप में ₹10,626 करोड़ इकट्ठा करने की उम्मीद है.
अदालत ने अक्टूबर 2020 में याचिकाकर्ता को हटाने के बाद मामले को स्वत: संज्ञान लेने वाली याचिका (suo motu petition) के रूप में सुनने का फैसला किया था.
यह तब हुआ जब याचिकाकर्ता ने डिस्कवरी चैनल को कानूनी नोटिस भेजकर (legal notice to the Discovery Channel ) परियोजना पर एक कार्यक्रम प्रसारित नहीं करने के लिए कहा.
कोर्ट ने आज अपने फैसले में कहा कि बंजर भूमि में पेड़ लगाना (planting trees in a barren land) कोई अपराध नहीं है, हालांकि प्रतिवादी इसका सहारा नहीं ले रहे थे.
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बंजर भूमि पर पेड़ लगाना कोई अपराध नहीं है, हालांकि प्रतिवादी सरकारी जमीन पर एक भी पेड़ नहीं लगा रही है.
यदि ऐसा विचार किया जाता है कि सरकारी भूमि पर वृक्षारोपण निषिद्ध है, तो यह नुकसान पहुंचाएगा और देश में गैर सरकारी संगठनों द्वारा सरकारी भूमि पर बड़ी संख्या में वृक्षारोपण किया जा रहा है. इससे बिना किसी मकसद के एक ठहराव आ जाएगा.
अदालत ने याचिका को तुच्छ करार देते हुए कहा कि कावेरी कॉलिंग जैसी महान परियोजना में इस न्यायालय के हस्तक्षेप का सवाल ही नहीं उठता है.