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मवेशी संरक्षण विधेयक असम विधानसभा में पेश

मवेशी का वध, उपभोग और उन्हें एक जिले से दूसरे में ले जाने से रोकने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने विधानसभा में विधेयक पेश किया. जानिए क्या प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

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Published : Jul 12, 2021, 7:47 PM IST

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा

गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मवेशी का वध, उपभोग और परिवहन विनियमित करने के लिए एक विधेयक सोमवार को असम विधानसभा में पेश किया.

सरमा ने कहा कि नए कानून का उद्देश्य सक्षम अधिकारियों द्वारा अनुमत स्थानों के अलावा अन्य जगहों पर बीफ की बिक्री और खरीद पर रोक लगाना है.

सरमा ने सदन में असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 पेश करने के बाद यह भी बताया कि कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उन क्षेत्रों में अनुमति नहीं दी जाए जहां मुख्य रूप से हिंदू, जैन, सिख और बीफ नहीं खाने वाले समुदाय रहते हैं अथवा वे स्थान किसी मंदिर और अधिकारियों द्वारा निर्धारित किसी अन्य संस्था के पांच किलोमीटर के दायरे में आते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ धार्मिक अवसरों के लिए छूट दी जा सकती है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक नया कानून बनाने और पूर्व के असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1950 को निरस्त करने की आवश्यकता थी जिसमें मवेशियों के वध, उपभोग और परिवहन को विनियमित करने के लिए पर्याप्त कानूनी प्रावधानों का अभाव था.

प्रमाणपत्र लेना होगा जरूरी

अधिनियमित हो जाने पर कानून किसी व्यक्ति को मवेशियों का वध करने से निषिद्ध करेगा, जब तक कि उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो.

विधेयक के अनुसार पशु चिकित्सा अधिकारी केवल तभी प्रमाण पत्र जारी करेगा जब उसकी राय में मवेशी, जो कि गाय नहीं है और उसकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो. गाय, बछिया या बछड़े का तभी वध किया जा सकता है जब वह स्थायी रूप से अपाहिज हो.

विधेयक के अनुसार साथ ही, उचित रूप से लाइसेंस प्राप्त या मान्यता प्राप्त बूचड़खानों को मवेशियों को काटने की अनुमति दी जाएगी. यदि अधिकारियों को वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो नया कानून राज्य के भीतर या बाहर गोवंश के परिवहन पर रोक लगाएगा. हालांकि, एक जिले के भीतर कृषि उद्देश्यों के लिए मवेशियों को ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.

पढ़ें- असम सरकार पर अधिकारों के उल्लंघन का आरोप, NHRC में शिकायत

जिले के भीतर बिक्री और खरीद के उद्देश्य से पंजीकृत पशु बाजारों से मवेशियों के परिवहन के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. इस नए कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे.

दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन साल की कैद या 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. नए कानून के तहत अगर कोई दोषी दूसरी बार उसी या संबंधित अपराध का दोषी पाया जाता है तो सजा दोगुनी हो जाएगी. कानून पूरे असम में लागू होगा और 'मवेशी' शब्द बैल, बैल गाय, बछिया, बछड़े, नर और मादा भैंस और भैंस के कटड़ों पर लागू होगा.

(पीटीआई-भाषा)

गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मवेशी का वध, उपभोग और परिवहन विनियमित करने के लिए एक विधेयक सोमवार को असम विधानसभा में पेश किया.

सरमा ने कहा कि नए कानून का उद्देश्य सक्षम अधिकारियों द्वारा अनुमत स्थानों के अलावा अन्य जगहों पर बीफ की बिक्री और खरीद पर रोक लगाना है.

सरमा ने सदन में असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 पेश करने के बाद यह भी बताया कि कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उन क्षेत्रों में अनुमति नहीं दी जाए जहां मुख्य रूप से हिंदू, जैन, सिख और बीफ नहीं खाने वाले समुदाय रहते हैं अथवा वे स्थान किसी मंदिर और अधिकारियों द्वारा निर्धारित किसी अन्य संस्था के पांच किलोमीटर के दायरे में आते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ धार्मिक अवसरों के लिए छूट दी जा सकती है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक नया कानून बनाने और पूर्व के असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1950 को निरस्त करने की आवश्यकता थी जिसमें मवेशियों के वध, उपभोग और परिवहन को विनियमित करने के लिए पर्याप्त कानूनी प्रावधानों का अभाव था.

प्रमाणपत्र लेना होगा जरूरी

अधिनियमित हो जाने पर कानून किसी व्यक्ति को मवेशियों का वध करने से निषिद्ध करेगा, जब तक कि उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो.

विधेयक के अनुसार पशु चिकित्सा अधिकारी केवल तभी प्रमाण पत्र जारी करेगा जब उसकी राय में मवेशी, जो कि गाय नहीं है और उसकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो. गाय, बछिया या बछड़े का तभी वध किया जा सकता है जब वह स्थायी रूप से अपाहिज हो.

विधेयक के अनुसार साथ ही, उचित रूप से लाइसेंस प्राप्त या मान्यता प्राप्त बूचड़खानों को मवेशियों को काटने की अनुमति दी जाएगी. यदि अधिकारियों को वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो नया कानून राज्य के भीतर या बाहर गोवंश के परिवहन पर रोक लगाएगा. हालांकि, एक जिले के भीतर कृषि उद्देश्यों के लिए मवेशियों को ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.

पढ़ें- असम सरकार पर अधिकारों के उल्लंघन का आरोप, NHRC में शिकायत

जिले के भीतर बिक्री और खरीद के उद्देश्य से पंजीकृत पशु बाजारों से मवेशियों के परिवहन के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. इस नए कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे.

दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन साल की कैद या 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. नए कानून के तहत अगर कोई दोषी दूसरी बार उसी या संबंधित अपराध का दोषी पाया जाता है तो सजा दोगुनी हो जाएगी. कानून पूरे असम में लागू होगा और 'मवेशी' शब्द बैल, बैल गाय, बछिया, बछड़े, नर और मादा भैंस और भैंस के कटड़ों पर लागू होगा.

(पीटीआई-भाषा)

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