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'पिछले 3 सालों में 2.15 लााख करोड़ के प्रस्तावों के पूंजीगत अधिग्रहण को मंजूरी'

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा, 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत सरकार ने घरेलू स्तर पर रक्षा उपकरणों के विकास में मदद देने के लिए कई कदम उठाए हैं. पिछले तीन वित्तीय वर्षों अर्थात वर्ष 2018-19 से 2020-2021 तक सरकार ने पूंजीगत अधिग्रहण की विभिन्न श्रेणियों के तहत लगभग 2,15,690 करोड़ रूपये मूल्य के 119 रक्षा प्रस्तावों को आवश्यकता हेतु स्वीकृति प्रदान की है. यह स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देता है.

पूंजीगत अधिग्रहण
पूंजीगत अधिग्रहण
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Published : Jul 19, 2021, 8:57 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार (central government) ने आज (सोमवार) बताया कि स्वदेश विनिर्माण को बढ़ावा (promotion of indigenous manufacturing) देने के लिए पिछले तीन वित्तीय वर्षों में 2,15,690 करोड़ रुपये मूल्य के 119 रक्षा प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है.

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा, 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत सरकार ने घरेलू स्तर पर रक्षा उपकरणों के विकास में मदद देने के लिए कई कदम उठाए हैं.

उन्होंने कहा, पिछले तीन वित्तीय वर्षों अर्थात वर्ष 2018-19 से 2020-2021 तक सरकार ने पूंजीगत अधिग्रहण की विभिन्न श्रेणियों के तहत लगभग 2,15,690 करोड़ रूपये मूल्य के 119 रक्षा प्रस्तावों को आवश्यकता हेतु स्वीकृति प्रदान की है. यह स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देता है.

पढ़ें- क्या है पेगासस स्पाइवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार की 'मेक-इन-इंडिया' पहल के तहत देश में 155 एमएम तोपखाना बन्दूक प्रणाली 'धनुष', ब्रिज लेइंग टैंक, टी-72 टैंक हेतु थर्मल इमेंजिंग साइट मार्क-II, हल्का युद्धक विमान 'तेजस', 'आकाश' सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, पनडुब्बी 'आईएनएस कलवरी', 'आईएनएस चेन्नई, पनडुब्बी रोधी युद्ध कार्वेट (एएसडब्ल्यूसी), अर्जुन कवचित मरम्मत एवं रिकवरी वाहन, लैन्डिंग क्राफ्ट यूटिलिटी आदि सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उत्पादन किया गया है.

इसके अलावा, स्वदेशी रक्षा उपकरण का उत्पादन और उसमें निहित नवाचार एक गतिक प्रक्रिया है और उनका विकास सशस्त्र सेनाओं की संक्रित्यात्मक आवश्यकताओं के आधार पर निर्धारित किया जाता है.

एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जोखिम अवधारणा, संक्रियात्मक चुनौतियों और तकनीकी परिवर्तनों के आधार पर तथा सैन्य बलों को तैयारी की स्थिति में रखने के लिए रक्षा उपस्करों की पूंजीगत खरीद विभिन्न घरेलू तथा विदेशी विक्रेताओं से की जाती है.

पढ़ें- अगस्ता वेस्टलैंड : Delhi HC ने सीबीआई, ईडी से बिचौलिये की जमानत पर मांगा जवाब, जानिए पूरा मामला

उन्होंने कहा, भारत सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' की पहल के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है कि पूंजीगत अधिग्रहण के लिए 1,11,463.21 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए 71,438.36 करोड़ रुपये की धनराशि अलग से रखी जाए.

उन्होंने कहा कि विगत तीन वित्त वर्षों के दौरान एयरक्राफ्टों, मिसाइलों, टैंकों, बुलेट प्रूफ जैकेटों, बंदूकों, नौसेना जलयानों, रडारों, नेटवर्क इत्यादि जैसे रक्षा उपकरणों की पूंजीगत खरीद के लिए भारतीय विक्रेताओं के साथ 102 संविदाओं पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

पिछले साल अगस्त में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की थी कि भारत 101 हथियारों परिवहन एयरक्राफ्ट, हल्के लड़ाई हेलीकॉटर, पारंपरिक पंडुब्बी और क्रूज मिसाइलों जैसे सैन्य मंचों का 2024 तक आयात नहीं करेगा.

इसी प्रकार की दूसरी सूची मई 2021 में जारी की गई थी, जिसमें 108 मदें शामिल थीं. इन सूचियों का अभिप्रेत इस प्रतिबंध को दिसम्बर 2025 तक चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करना है.

(भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र सरकार (central government) ने आज (सोमवार) बताया कि स्वदेश विनिर्माण को बढ़ावा (promotion of indigenous manufacturing) देने के लिए पिछले तीन वित्तीय वर्षों में 2,15,690 करोड़ रुपये मूल्य के 119 रक्षा प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है.

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा, 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत सरकार ने घरेलू स्तर पर रक्षा उपकरणों के विकास में मदद देने के लिए कई कदम उठाए हैं.

उन्होंने कहा, पिछले तीन वित्तीय वर्षों अर्थात वर्ष 2018-19 से 2020-2021 तक सरकार ने पूंजीगत अधिग्रहण की विभिन्न श्रेणियों के तहत लगभग 2,15,690 करोड़ रूपये मूल्य के 119 रक्षा प्रस्तावों को आवश्यकता हेतु स्वीकृति प्रदान की है. यह स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देता है.

पढ़ें- क्या है पेगासस स्पाइवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार की 'मेक-इन-इंडिया' पहल के तहत देश में 155 एमएम तोपखाना बन्दूक प्रणाली 'धनुष', ब्रिज लेइंग टैंक, टी-72 टैंक हेतु थर्मल इमेंजिंग साइट मार्क-II, हल्का युद्धक विमान 'तेजस', 'आकाश' सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, पनडुब्बी 'आईएनएस कलवरी', 'आईएनएस चेन्नई, पनडुब्बी रोधी युद्ध कार्वेट (एएसडब्ल्यूसी), अर्जुन कवचित मरम्मत एवं रिकवरी वाहन, लैन्डिंग क्राफ्ट यूटिलिटी आदि सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उत्पादन किया गया है.

इसके अलावा, स्वदेशी रक्षा उपकरण का उत्पादन और उसमें निहित नवाचार एक गतिक प्रक्रिया है और उनका विकास सशस्त्र सेनाओं की संक्रित्यात्मक आवश्यकताओं के आधार पर निर्धारित किया जाता है.

एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जोखिम अवधारणा, संक्रियात्मक चुनौतियों और तकनीकी परिवर्तनों के आधार पर तथा सैन्य बलों को तैयारी की स्थिति में रखने के लिए रक्षा उपस्करों की पूंजीगत खरीद विभिन्न घरेलू तथा विदेशी विक्रेताओं से की जाती है.

पढ़ें- अगस्ता वेस्टलैंड : Delhi HC ने सीबीआई, ईडी से बिचौलिये की जमानत पर मांगा जवाब, जानिए पूरा मामला

उन्होंने कहा, भारत सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' की पहल के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है कि पूंजीगत अधिग्रहण के लिए 1,11,463.21 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए 71,438.36 करोड़ रुपये की धनराशि अलग से रखी जाए.

उन्होंने कहा कि विगत तीन वित्त वर्षों के दौरान एयरक्राफ्टों, मिसाइलों, टैंकों, बुलेट प्रूफ जैकेटों, बंदूकों, नौसेना जलयानों, रडारों, नेटवर्क इत्यादि जैसे रक्षा उपकरणों की पूंजीगत खरीद के लिए भारतीय विक्रेताओं के साथ 102 संविदाओं पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

पिछले साल अगस्त में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की थी कि भारत 101 हथियारों परिवहन एयरक्राफ्ट, हल्के लड़ाई हेलीकॉटर, पारंपरिक पंडुब्बी और क्रूज मिसाइलों जैसे सैन्य मंचों का 2024 तक आयात नहीं करेगा.

इसी प्रकार की दूसरी सूची मई 2021 में जारी की गई थी, जिसमें 108 मदें शामिल थीं. इन सूचियों का अभिप्रेत इस प्रतिबंध को दिसम्बर 2025 तक चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करना है.

(भाषा)

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