अमृतसर: कनाडा से 700 भारतीय छात्र अब नहीं निकाले जाएंगे. कनाडा सरकार ने अपने डिपोर्टेशन यानी निर्वासन के फैसले पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने ऐसा आम आदमी पार्टी के सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी के कहने पर किया है. दरअसल, बीते कई दिनों से कनाडा सरकार द्वारा कथित फर्जी एडमिट कार्ड मामले में सैकड़ों भारतीय छात्रों को कनाडा से डिपोर्ट करने की खबरें आ रही थीं. इससे जहां एक ओर भारतीय अभिभावक परेशान थे, वहीं छात्रों का भविष्य भी संकट में नजर आ रहा था.
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Some Indian students who had gone to Canada during 2017-2019 have been threatened with deportation for allegedly submitting fraudulent admission letters. The actual number is much less than the 700 which is being reported in the media. After completing their studies, some of the…
— ANI (@ANI) June 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) June 10, 2023
इससे पहले ओंटारियो (कनाडा) की प्रांतीय संसद के सदस्य अमरजोत संधू (ब्रैम्पटन वेस्ट), ग्राहम मैकग्रेगर (ब्रैम्पटन नॉर्थ), हरदीप ग्रेवाल (ब्रैम्पटन ईस्ट), चारमाइन विलियम्स (ब्रैम्पटन सेंटर) और प्रभामित सरकारिया (ब्रैम्पटन साउथ) के नेतृत्व में संयुक्त रूप से कनाडा के आप्रवासन, शरणार्थियों और नागरिकता मंत्री शॉन फ्रेजर को एक पत्र लिखा था. पत्र में अपील की गई थी कि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, ताकि छात्रों का भविष्य बर्बाद न हो.
पत्र के माध्यम से अमरजोत संधू, ग्राहम मैकग्रेगर, हरदीप ग्रेवाल, चारमाइन विलियम्स और प्रभजीत सरकारिया ने कनाडा सरकार से अपील की है कि हाल ही में कनाडा में कथित जालसाजी वे संघीय सरकार से प्रवेश पत्र मामले में शामिल भारतीय छात्रों के निर्वासन को निलंबित करने का अनुरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि ब्रैम्पटन अपनी विविधता के लिए जाना जाता है और कई भारतीय छात्रों का घर है. इन छात्रों ने हमारे समुदाय के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जबकि हम अपनी आप्रवासन प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने की आवश्यकता को भी पहचानते हैं. हम यह भी मानते हैं कि इस मामले में उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण का उपयोग करना महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि इन छात्रों को देश से निकालने से पहले यह भी सोचना चाहिए कि इन छात्रों का भविष्य बर्बाद हो सकता है. उन्होंने कहा कि यह सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से भरकर छात्रों के भविष्य, उनके शैक्षिक और पेशेवर अवसरों को प्रभावित कर सकता है. उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह इस फैसले के वैकल्पिक समाधान पर विचार करे. भारतीय छात्रों ने कनाडा सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा है कि सभी छात्रों को एक साथ निकाले जाने के आदेशों को अस्थायी रूप से निलंबित किया जाए और प्रभावित छात्रों को अपनी स्थिति को सुधारने का मौका मिले. साथ ही मामले-दर-मामले के आधार पर मामले का मूल्यांकन करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
गौरतलब है कि लगभग 700 छात्रों को कनाडा से निकाले जाने की खबरें सामने आ रही हैं लेकिन विश्वस्त सूत्रों के अनुसार वर्तमान में एक लड़के और एक लड़की को निर्वासित करने का आदेश दिया गया है. वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि एक लड़के को स्टे तो मिल गया है लेकिन दूसरी छात्रा की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है. इसके अलावा इस कथित फर्जी प्रवेश पत्र मामले में एक-एक कर मामले की जांच की जा रही है. फिलहाल देखना होगा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा छात्रों को निष्पक्ष जांच और भारत सरकार के हस्तक्षेप के आश्वासन के बाद क्या कनाडा सरकार प्रभावितों को कोई राहत देती है या नहीं?