नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने का निर्देश नहीं दे सकता क्योंकि यह 11 जजों की बेंच के फैसले का खंडन करेगा, जिसमें कहा गया था कि पहचान राज्य स्तर पर की जानी चाहिए. न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट की पीठ धार्मिक गुरु देविकानंद ठाकुर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने तर्क दिया कि हिंदू विभिन्न स्थानों पर अल्पसंख्यक हैं और इसलिए उन्हें भी अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए.
अदालत ने कहा कि 'याचिकाकर्ता आंशिक रूप से यह कहने में सही हो सकता है कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, केरल आदि में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन पहचान के संबंध में कानून पहले से ही है. कोर्ट ने कहा कि सामान्य आधार पर पहचान नहीं की जा सकती. अदालत ने कहा, 'यदि आप हमें ठोस उदाहरण दें जैसे कि हिंदू अल्पसंख्यक कहां हैं, तो हम देख सकते हैं. लेकिन आप आम तौर पर कह रहे हैं कि हिंदुओं को भी अल्पसंख्यक घोषित किया जाना चाहिए, यह संभव नहीं है.'
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि 'आप किसी भी तरह से एक मामला सामने लाना चाहते हैं, जबकि ऐसा कोई मामला नहीं है. अदालत सामान्य आदेश पारित नहीं कर सकती.' हालांकि, देविकानंद ठाकुर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के आग्रह पर अदालत ने सितंबर के पहले सप्ताह में इसी तरह की याचिका के साथ मामले को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की.
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