कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने एक और नाबालिग के गर्भपात की इजाजत दे दी है (HC Orders Abortion). 13 साल की छठी कक्षा की छात्रा का 34 वर्षीय व्यक्ति ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया जिससे वह गर्भवती हो गई. फिलहाल, लड़की पूर्वी मेदिनीपुर के एक घर में है.
न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने गुरुवार को पूर्वी मेदिनीपुर के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को लड़की को तुरंत कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल लाने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अस्पताल लड़की की जांच के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक विशेष टीम बनाएगा. अगर उन्हें लगता है कि लड़की का गर्भपात कराना संभव है तो 24 घंटे के अंदर गर्भपात करा लें.
लड़की के माता-पिता प्रवासी श्रमिक के रूप में काम करते हैं और असम में रहते हैं. यहां घर पर वह और उसकी छोटी बहन रहते हैं. आरोप है कि स्थिति का फायदा उठाकर पड़ोस के घर के एक व्यक्ति ने उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया. डर के कारण वह किसी को बता नहीं सकी.
स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर लड़की को 12 अगस्त को दीघा जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टर ने बताया कि लड़की गर्भवती है. अस्पताल ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
बाद में पुलिस ने उसे पूर्वी मेदिनीपुर की शिशु कल्याण समिति को सौंप दिया. कई मेडिकल टेस्ट के बाद उन्हें पता चला कि लड़की इस वक्त करीब 26 हफ्ते की गर्भवती है. इस पर गर्भपात की अनुमति के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
जज ने टिप्पणी की '13 साल की लड़की के लिए यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यहां तक कि उसके माता-पिता को भी इस घटना के बारे में पता नहीं है. लड़की मानसिक पीड़ा और डर से गुजर रही है, ऐसे में उसे प्रशासन और अन्य अधिकारियों से हर तरह का सहयोग मिलना चाहिए.'
न्यायाधीश ने एसएसकेएम अस्पताल को लड़की का गर्भपात अत्यंत सावधानी से करने का निर्देश दिया. ताकि उसे कोई शारीरिक परेशानी ना हो. इस वक्त घर पर उसकी सिर्फ एक छोटी बहन है.
न्यायाधीश ने ईस्ट मेदिनीपुर चाइल्ड केयर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कोई समस्या न हो. साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि मुश्किल वक्त में बाल कल्याण सोसायटी को लड़की पर हमेशा कड़ी निगरानी रखनी चाहिए.