ETV Bharat / bharat

नागरिकता: गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से आवेदन मांगने को लेकर आईयूएमएल ने न्यायालय का रुख किया

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सरकार द्वारा भारत में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाने संबंधी केंद्र की अधिसूचना को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है.

author img

By

Published : Jun 1, 2021, 5:37 PM IST

Updated : Jun 1, 2021, 5:47 PM IST

न्यायालय
न्यायालय

नई दिल्ली : गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों से भारतीय नागरिकता (Indian citizenship) के लिए आवेदन मंगाने संबंधी केंद्र की अधिसूचना को चुनौती देने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने उच्चतम न्यायालय (supreme court) का रुख किया है.

अंतरिम आवेदन में दलील दी गयी है कि केंद्र इस संबंध में शीर्ष अदालत को दिये गये उस आश्वासन के विरोधाभासी कदम उठा रहा है, जो उसने नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) 2019 के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए IUML द्वारा दायर लंबित याचिका के संबंध में दिया था.

आवेदन में कहा गया कि केंद्र ने आश्वासन दिया था कि CAA के नियम अभी तय नहीं हुए हैं इसलिए उस पर स्थगन लगाना जरूरी नहीं है.

CAA में 31 दिसंबर, 2014 तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ना सहने की वजह से भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों, जिनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं, को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.

पढ़ें -नागरिकता : 13 जिलों के गैर-मुस्लिम करेंगे आवेदन, पाक समेत इन देशों से आए लोगों को लाभ

ताजा आवेदन में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union home ministry) ने शुक्रवार को नागरिकता कानून 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाये गये नियमों के अनुरूप आदेश के इस संबंध में तत्काल क्रियान्वयन के लिए एक अधिसूचना जारी की थी, वहीं 2019 में लागू सीएए के तहत नियमों को गृह मंत्रालय ने अभी तक तैयार नहीं किया है. याचिका के अनुसार यह गैरकानूनी है और कानून के प्रावधानों के विरोधाभासी है. अधिसूचना में कहा गया है कि यह आदेश सीएए से नहीं जुड़ा है.

नई दिल्ली : गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों से भारतीय नागरिकता (Indian citizenship) के लिए आवेदन मंगाने संबंधी केंद्र की अधिसूचना को चुनौती देने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने उच्चतम न्यायालय (supreme court) का रुख किया है.

अंतरिम आवेदन में दलील दी गयी है कि केंद्र इस संबंध में शीर्ष अदालत को दिये गये उस आश्वासन के विरोधाभासी कदम उठा रहा है, जो उसने नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) 2019 के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए IUML द्वारा दायर लंबित याचिका के संबंध में दिया था.

आवेदन में कहा गया कि केंद्र ने आश्वासन दिया था कि CAA के नियम अभी तय नहीं हुए हैं इसलिए उस पर स्थगन लगाना जरूरी नहीं है.

CAA में 31 दिसंबर, 2014 तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ना सहने की वजह से भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों, जिनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं, को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.

पढ़ें -नागरिकता : 13 जिलों के गैर-मुस्लिम करेंगे आवेदन, पाक समेत इन देशों से आए लोगों को लाभ

ताजा आवेदन में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union home ministry) ने शुक्रवार को नागरिकता कानून 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाये गये नियमों के अनुरूप आदेश के इस संबंध में तत्काल क्रियान्वयन के लिए एक अधिसूचना जारी की थी, वहीं 2019 में लागू सीएए के तहत नियमों को गृह मंत्रालय ने अभी तक तैयार नहीं किया है. याचिका के अनुसार यह गैरकानूनी है और कानून के प्रावधानों के विरोधाभासी है. अधिसूचना में कहा गया है कि यह आदेश सीएए से नहीं जुड़ा है.

Last Updated : Jun 1, 2021, 5:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.