नई दिल्ली : भारत और बांग्लादेश के बीच 53वें महानिदेशक स्तर का सीमा समन्वय सम्मेलन रविवार से आयोजित किया गया है. सम्मेलन में सीमा सुरक्षा बल (BSF) और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) का प्रतिनिधिमंडल भाग लेगा. चार दिवसीय सम्मेलन के दौरान सीमा पार अपराधों पर अंकुश लगाने के साथ ही दोनों सीमा सुरक्षा बलों के बीच सूचनाओं को समय पर साझा करने जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा. इसी क्रम में बांग्लादेश का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को यहां पहुंच गया.
इस बारे में बीएसएफ के प्रवक्ता ने बताया कि सीमा समन्वय सम्मेलन नई दिल्ली के बीएसएफ कैंप छावला में 11 से 14 जून तक आयोजित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सम्मेलन के भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक सुजॉय लाल थाउसेन करेंगे. जबकि बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) का नेतृत्व महानिदेशक मेजर जनरल एकेएम नजमुल हसन करेंगे. प्रवक्ता ने कहा कि सम्मेलन का आयोजन सीमा संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने और दोनों सीमा सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय के लिए किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान, विभिन्न सीमा-पार अपराधों पर संयुक्त रूप से अंकुश लगाने और दोनों सीमा सुरक्षा बलों के बीच समय पर जानकारी साझा करने पर चर्चा की जाएगी. इसके अलावा विकासात्मक और बुनियादी ढांचे के कार्यों, समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (CBMP) और विश्वास निर्माण उपायों (CBMs) के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संयुक्त प्रयासों पर विचार-विमर्श होगा.
बता दें कि पिछला बीएसएफ-बीजीबी सीमा समन्वय सम्मेलन ढाका में 17 से 21 जुलाई 2022 तक आयोजित किया गया था. सीमा प्राधिकरणों के लिए संयुक्त भारत-बांग्लादेश दिशा-निर्देश 1975 में यह परिकल्पना की गई है कि तत्काल प्रशासनिक चिंता के मामलों पर चर्चा करने के लिए दोनों संबंधित देशों के सीमा अधिकारियों के बीच लगातार संपर्क होना चाहिए. इसी क्रम में बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक अश्विनी कुमार के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल और मेजर जनरल क़ाज़ी गुलाम दस्तगीर, पूर्व महानिदेशक बीडीआर (अब बीजीबी) के नेतृत्व में बांग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल ने 2 दिसंबर, 1975 को पहली बार चर्चा के लिए कोलकाता में मुलाकात की थी. गौरतलब है कि 1993 में ढाका में आयोजित भारत और बांग्लादेश के गृह सचिवों के बीच चर्चा के दौरान इस बात पर सहमति हुई थी कि बीएसएफ और बीजीबी के महानिदेशक स्तर की बैठकें द्वि-वार्षिक होनी चाहिए.
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