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आंतरिक असहजता के बाद भी वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था स्थापित करने में जुटा ब्रिक्स

ब्रिक्स समूह नए सदस्यों के रूप में ईरान और अर्जेंटीना के साथ विस्तार करने के लिए तैयार है. यह कागज पर शक्तिशाली प्रतीत हो रहा है. लेकिन अंतर्निहित आंतरिक अंतर्विरोधों से भरे हुए ब्रिक्स के भविष्य की चुनौतियों के बारे में बता रहे हैं ईटीवी भारत के वरीष्ठ संवाददाता संजीब बर बरुआ लिखते हैं...

BRICS engaged in establishing alternative economic system despite internal discomfort
आंतरिक असहजता के बाद भी वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था स्थापित करने में जुटा ब्रिक्स
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Published : Jun 30, 2022, 9:53 AM IST

नई दिल्ली : ब्राजील, रूस, भारत और चीन के संस्थापक सदस्यों के रूप में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मंच के आकार लेने के तेरह साल बाद दक्षिण अफ्रीका में शामिल हो गया. ब्रिक्स अब वैश्विक क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका के लिए तैयार है. इसके अलावा चीन में आयोजित होने वाले 14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ईरान और अर्जेंटीना ने भी आवेदन दिया है. इस बात की प्रबल संभावना है कि एशिया, यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में उपस्थिति के साथ यह समूह पश्चिम एशिया और दक्षिण लैटिन अमेरिका में अपने प्रभाव को और बढ़ा सकता है. यह अमेरिका के नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था के लिए एक नई चुनौती बन सकता है.

ऊर्जा व्यापार को सुरक्षित करने के विचारों पर आधारित ईरान और वेनेज़ुएला की भूमिका भी महत्वपूर्ण निभा सकते हैं. लेकिन संस्थापक सदस्यों के बीच निहित प्रमुख अंतर्विरोध समूह की एकता और अखंडता को खतरे में डाल रही है. जिनका समाधान इस समय मुश्किल दिख रहा है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और अविश्वास की स्थिति भी इस संगठन के लिए अच्छा नहीं है. 1962 की लड़ाई और 2020 में सीमा पर हिंसा की घटनाएं विश्व के लिए चिंता का कारण है. 2020 के बाद 15 दौर की राजनयिक वार्ता भी असफल रही है.

भारत और ईरान के बीच पारंपरिक संबंधों में भी हाल के दिनों में कुछ दूरी देखी गई थी. क्योंकि भारत तत्कालिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के साथ निकट दिख रहा था. बीते कुछ वर्षों ने ईरान ने अपने पारंपरिक भारत समर्थक रुख को त्याग दिया और कश्मीर के मुद्दे पर भारत की तीखी आलोचना की है. दूसरी ओर रूस और चीन इन वर्षों में काफी करीब आ गये हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और रूस की दोस्ती सिर्फ पारस्परिक आर्थिक लाभ के गठबंधन के रूप में देखा जा रहा है. इस दोस्ती को अमेरिका विरोधी गठबंधन के रूप में बी देखा जाता है. हालांकि अभी इस गठबंधन की क्षमता को कम नहीं आंका जा सकता है.

पढ़ें: चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने एकपक्षीय प्रतिबंधों का दुरुपयोग रोकने की अपील की

43.3 % जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है ब्रिक्स : भारत- 17.7%, चीन- 18.47%, ब्राजील- 2.73%, रूस - 1.87%, दक्षिण अफ्रीका- 0.87%, अर्जेंटीना (संभावित सदस्य)- 0.58%, ईरान (संभावित सदस्य)- 1.08%. जबकि यूरोपिय संघ 9.8% और 30-सदस्यीय नाटो गठबंधन 12.22% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता हैं.

वहीं दुनिया की जीडीपी में योगदान के पैमाने पर देखें तो हम पाते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष विश्व आर्थिक आउटलुक द्वारा दिए गए 2021 के लिए संयुक्त अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (26.43%) में चीन- 17.8%, भारत- 3.1%, ब्राजील- 1.73%, रूस- 1.74%, दक्षिण अफ्रीका- 0.44%, अर्जेंटीना- 0.48% और ईरान- 1.14% का योगदान दे रहे हैं. दूसरी ओर इसमें 2020 में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी कुल अनुमानित 15.4% थी. वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में जी -7 देशों की हिस्सेदारी 31% थी जबकि जी -20 का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का हिस्सा 42% था.

सैन्य शक्ति : 2020 में राष्ट्रों की सैन्य शक्ति की गणना 'ग्लोबल फायरपावर' द्वारा की गई, जो अमेरिका को दुनिया की सबसे शक्तिशाली शक्ति के रूप में रैंक करती है. इसमें रूस दूसरे स्थान पर, चीन तीसरे और भारत चौथे स्थान पर है. अन्य देशों में ब्राजील 10वें, दक्षिण अफ्रीका 29वें, ईरान 14वें और अर्जेंटीना 43वें स्थान पर है. चार ब्रिक्स देश सबसे शक्तिशाली सेनाओं की शीर्ष दस सूची में शामिल हैं.

ईरान का 'युआन पूल' : शुक्रवार (24 जून) को, ब्रिक्स बिजनेस फोरम वर्चुअल समिट में बोलते हुए, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा कि अनूठी भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक स्थिति के कारण उनका देश ब्रिक्स देशों के समूह को ऊर्जा चोकपॉइंट्स और दुनिया भर के प्रमुख बाजारों से जोड़ने में मदद कर सकता है. उन्होंने कहा कि हम अपनी सभी क्षमताओं को साझा करने के लिए तैयार हैं, जिसमें लघु और सस्ते परिवहन और पारगमन नेटवर्क, प्रशिक्षित जनशक्ति की असाधारण संपत्ति और साथ ही साथ ब्रिक्स को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक मदद शामिल है.

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि अपने 'आधिपत्य' को बनाए रखने के लिए पश्चिम 'प्रतिबंधों का दुरुपयोग' कर रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स में बढ़ता सहयोग प्रतिबंधों को दरकिनार करने में सक्षम होगा. 1979 से ईरान को अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने का अनुभव है. चीन के साथ ईरान का युआन-केंद्रित व्यवहार है. ईरान चीन को युआन में तेल बेचता है. जो एक 'युआन-पूल' बनाने वाले चीन के बैंक में जमा होता है.

जमा किए गए युआन का उपयोग ईरान को चीनी आयात के भुगतान के लिए किया जाता है. दिलचस्प बात यह है कि 9 अप्रैल को ब्रिक्स मंत्रिस्तरीय बैठक में, रूसी वित्त मंत्री एंटोन सिलुआनोव ने व्यापार के लिए अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करते हुए ब्रिक्स देशों की भुगतान प्रणालियों के एकीकरण का आह्वान किया था. सिलुआनोव ने कहा था कि यह हमें निर्यात-आयात संचालन के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग, भुगतान प्रणालियों और कार्डों का एकीकरण, हमारी अपनी वित्तीय संदेश प्रणाली और एक स्वतंत्र ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी का निर्माण करणा चाहिए.

नई दिल्ली : ब्राजील, रूस, भारत और चीन के संस्थापक सदस्यों के रूप में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मंच के आकार लेने के तेरह साल बाद दक्षिण अफ्रीका में शामिल हो गया. ब्रिक्स अब वैश्विक क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका के लिए तैयार है. इसके अलावा चीन में आयोजित होने वाले 14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ईरान और अर्जेंटीना ने भी आवेदन दिया है. इस बात की प्रबल संभावना है कि एशिया, यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में उपस्थिति के साथ यह समूह पश्चिम एशिया और दक्षिण लैटिन अमेरिका में अपने प्रभाव को और बढ़ा सकता है. यह अमेरिका के नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था के लिए एक नई चुनौती बन सकता है.

ऊर्जा व्यापार को सुरक्षित करने के विचारों पर आधारित ईरान और वेनेज़ुएला की भूमिका भी महत्वपूर्ण निभा सकते हैं. लेकिन संस्थापक सदस्यों के बीच निहित प्रमुख अंतर्विरोध समूह की एकता और अखंडता को खतरे में डाल रही है. जिनका समाधान इस समय मुश्किल दिख रहा है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और अविश्वास की स्थिति भी इस संगठन के लिए अच्छा नहीं है. 1962 की लड़ाई और 2020 में सीमा पर हिंसा की घटनाएं विश्व के लिए चिंता का कारण है. 2020 के बाद 15 दौर की राजनयिक वार्ता भी असफल रही है.

भारत और ईरान के बीच पारंपरिक संबंधों में भी हाल के दिनों में कुछ दूरी देखी गई थी. क्योंकि भारत तत्कालिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के साथ निकट दिख रहा था. बीते कुछ वर्षों ने ईरान ने अपने पारंपरिक भारत समर्थक रुख को त्याग दिया और कश्मीर के मुद्दे पर भारत की तीखी आलोचना की है. दूसरी ओर रूस और चीन इन वर्षों में काफी करीब आ गये हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और रूस की दोस्ती सिर्फ पारस्परिक आर्थिक लाभ के गठबंधन के रूप में देखा जा रहा है. इस दोस्ती को अमेरिका विरोधी गठबंधन के रूप में बी देखा जाता है. हालांकि अभी इस गठबंधन की क्षमता को कम नहीं आंका जा सकता है.

पढ़ें: चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने एकपक्षीय प्रतिबंधों का दुरुपयोग रोकने की अपील की

43.3 % जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है ब्रिक्स : भारत- 17.7%, चीन- 18.47%, ब्राजील- 2.73%, रूस - 1.87%, दक्षिण अफ्रीका- 0.87%, अर्जेंटीना (संभावित सदस्य)- 0.58%, ईरान (संभावित सदस्य)- 1.08%. जबकि यूरोपिय संघ 9.8% और 30-सदस्यीय नाटो गठबंधन 12.22% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता हैं.

वहीं दुनिया की जीडीपी में योगदान के पैमाने पर देखें तो हम पाते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष विश्व आर्थिक आउटलुक द्वारा दिए गए 2021 के लिए संयुक्त अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (26.43%) में चीन- 17.8%, भारत- 3.1%, ब्राजील- 1.73%, रूस- 1.74%, दक्षिण अफ्रीका- 0.44%, अर्जेंटीना- 0.48% और ईरान- 1.14% का योगदान दे रहे हैं. दूसरी ओर इसमें 2020 में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी कुल अनुमानित 15.4% थी. वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में जी -7 देशों की हिस्सेदारी 31% थी जबकि जी -20 का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का हिस्सा 42% था.

सैन्य शक्ति : 2020 में राष्ट्रों की सैन्य शक्ति की गणना 'ग्लोबल फायरपावर' द्वारा की गई, जो अमेरिका को दुनिया की सबसे शक्तिशाली शक्ति के रूप में रैंक करती है. इसमें रूस दूसरे स्थान पर, चीन तीसरे और भारत चौथे स्थान पर है. अन्य देशों में ब्राजील 10वें, दक्षिण अफ्रीका 29वें, ईरान 14वें और अर्जेंटीना 43वें स्थान पर है. चार ब्रिक्स देश सबसे शक्तिशाली सेनाओं की शीर्ष दस सूची में शामिल हैं.

ईरान का 'युआन पूल' : शुक्रवार (24 जून) को, ब्रिक्स बिजनेस फोरम वर्चुअल समिट में बोलते हुए, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा कि अनूठी भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक स्थिति के कारण उनका देश ब्रिक्स देशों के समूह को ऊर्जा चोकपॉइंट्स और दुनिया भर के प्रमुख बाजारों से जोड़ने में मदद कर सकता है. उन्होंने कहा कि हम अपनी सभी क्षमताओं को साझा करने के लिए तैयार हैं, जिसमें लघु और सस्ते परिवहन और पारगमन नेटवर्क, प्रशिक्षित जनशक्ति की असाधारण संपत्ति और साथ ही साथ ब्रिक्स को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक मदद शामिल है.

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि अपने 'आधिपत्य' को बनाए रखने के लिए पश्चिम 'प्रतिबंधों का दुरुपयोग' कर रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स में बढ़ता सहयोग प्रतिबंधों को दरकिनार करने में सक्षम होगा. 1979 से ईरान को अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने का अनुभव है. चीन के साथ ईरान का युआन-केंद्रित व्यवहार है. ईरान चीन को युआन में तेल बेचता है. जो एक 'युआन-पूल' बनाने वाले चीन के बैंक में जमा होता है.

जमा किए गए युआन का उपयोग ईरान को चीनी आयात के भुगतान के लिए किया जाता है. दिलचस्प बात यह है कि 9 अप्रैल को ब्रिक्स मंत्रिस्तरीय बैठक में, रूसी वित्त मंत्री एंटोन सिलुआनोव ने व्यापार के लिए अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करते हुए ब्रिक्स देशों की भुगतान प्रणालियों के एकीकरण का आह्वान किया था. सिलुआनोव ने कहा था कि यह हमें निर्यात-आयात संचालन के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग, भुगतान प्रणालियों और कार्डों का एकीकरण, हमारी अपनी वित्तीय संदेश प्रणाली और एक स्वतंत्र ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी का निर्माण करणा चाहिए.

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