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7 नवम्बर को पहली कक्षा में दाखिला लिया था डॉ अंबेडकर ने, डीयू में मनाया गया समारोह - How far did Dr Ambedkar study?

आज ही के दिन यानी 7 नवम्बर 1900 को डॉ भीमराव अंबेडकर ने प्रतापसिंह हाई स्कूल राजवाड़ा चौक सतारा में पहली कक्षा में एडमिशन लिया था. उन्होंने इस स्कूल में 1904 तक पढ़ाई की. स्कूल रजिस्टर में 1914 क्रमांक पर बालक भीवा रामजी आम्बेडकर का नाम दर्ज है.

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Published : Nov 7, 2021, 5:37 PM IST

नई दिल्ली : फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के मुताबिक इस दिन को विद्यार्थी दिवस के रूप में घोषित कराने को लेकर केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा गया है. प्रति वर्ष विद्यार्थी दिवस मनाने के लिए प्राथमिक विद्यालय से विश्वविद्यालय स्तर पर मनाया जाए.

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को जिस दिन स्कूल में प्रवेश लिया था उस दिन को यादगार बनाने के लिए कई संगठन विद्यार्थी दिवस के रूप में याद कर रहे हैं.

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के आज के दिन ( 7 नवम्बर ) दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी के निकट विद्यार्थी दिवस के रूप में सादा समारोह के रूप में मनाया और हर साल मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया.

फोरम के मुताबिक इस तरह के कार्यकर्मो से युवा पीढ़ी उनसे ग्रहण कर जीवन में अपनाए। कार्यक्रम में यह भी तय किया गया कि बाबा साहेब की जीवनी को देश के हर विद्यालयों में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि आज की पीढ़ी उनके जीवन से प्रेरणा ग्रहण कर जीवन में उतारे.

दिल्ली विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में प्रोफेसर पी डी सहारे ने कहा कि एससी, एसटी में शिक्षा का प्रारम्भ ही बाबा साहेब के स्कूल में एडमिशन से हुआ है इसलिए इस दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. आगे चलकर शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए भारत के संविधान में प्रावधान किया.

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि शिक्षा का अधिकार (कानून) लाकर इसे एससी, एसटी,एसटी, ओबीसी के छात्रों की सभी स्तर पर फीस माफ और स्कॉलरशिप देकर पहली कक्षा से पीएचडी तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान सरकार की ओर से किया जाना चाहिए.

प्रोफेसर सहारे का कहना है कि ऐसा करने से आरक्षित श्रेणी के छात्रों को आरक्षण की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. शिक्षा के क्षेत्र में वे किसी से पिछड़ेंगे नहीं। प्रोफेसर सहारे ने फोरम के सामने यह भी प्रस्ताव रखा कि शिक्षा में अग्रणीय कार्य करने वालों का सम्मान किया जाना चाहिए.

फोरम के चेयरमैन व पूर्व विद्वत परिषद के सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने अपने विचार संबोधन में बताया कि यह दिन इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. उन्होंने इस स्कूल में 1904 तक पढ़ाई की. स्कूल में बाबा साहेब को जबरदस्त भेदभाव का सामना करना पड़ता था.

पढ़ें : बाबा साहेब अंबेडकर की 130वीं जयंती पर राजनेताओं ने किया याद

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के मुताबिक इस दिन को विद्यार्थी दिवस के रूप में घोषित कराने को लेकर केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा गया है. प्रति वर्ष विद्यार्थी दिवस मनाने के लिए प्राथमिक विद्यालय से विश्वविद्यालय स्तर पर मनाया जाए.

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को जिस दिन स्कूल में प्रवेश लिया था उस दिन को यादगार बनाने के लिए कई संगठन विद्यार्थी दिवस के रूप में याद कर रहे हैं.

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के आज के दिन ( 7 नवम्बर ) दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी के निकट विद्यार्थी दिवस के रूप में सादा समारोह के रूप में मनाया और हर साल मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया.

फोरम के मुताबिक इस तरह के कार्यकर्मो से युवा पीढ़ी उनसे ग्रहण कर जीवन में अपनाए। कार्यक्रम में यह भी तय किया गया कि बाबा साहेब की जीवनी को देश के हर विद्यालयों में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि आज की पीढ़ी उनके जीवन से प्रेरणा ग्रहण कर जीवन में उतारे.

दिल्ली विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में प्रोफेसर पी डी सहारे ने कहा कि एससी, एसटी में शिक्षा का प्रारम्भ ही बाबा साहेब के स्कूल में एडमिशन से हुआ है इसलिए इस दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. आगे चलकर शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए भारत के संविधान में प्रावधान किया.

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि शिक्षा का अधिकार (कानून) लाकर इसे एससी, एसटी,एसटी, ओबीसी के छात्रों की सभी स्तर पर फीस माफ और स्कॉलरशिप देकर पहली कक्षा से पीएचडी तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान सरकार की ओर से किया जाना चाहिए.

प्रोफेसर सहारे का कहना है कि ऐसा करने से आरक्षित श्रेणी के छात्रों को आरक्षण की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. शिक्षा के क्षेत्र में वे किसी से पिछड़ेंगे नहीं। प्रोफेसर सहारे ने फोरम के सामने यह भी प्रस्ताव रखा कि शिक्षा में अग्रणीय कार्य करने वालों का सम्मान किया जाना चाहिए.

फोरम के चेयरमैन व पूर्व विद्वत परिषद के सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने अपने विचार संबोधन में बताया कि यह दिन इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. उन्होंने इस स्कूल में 1904 तक पढ़ाई की. स्कूल में बाबा साहेब को जबरदस्त भेदभाव का सामना करना पड़ता था.

पढ़ें : बाबा साहेब अंबेडकर की 130वीं जयंती पर राजनेताओं ने किया याद

(आईएएनएस)

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