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टेक्स्ट मैसेज पर 'तीन तलाक' देने के आरोपी को बॉम्बे हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत दी

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने टेक्स्ट मैसेज के जरिए तीन तलाक देने के एक मामले पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी है.

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Published : Aug 30, 2021, 3:44 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने एक ऐसे व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी है, जिस पर अपनी पत्नी को टेक्स्ट मैसेज (text message) भेज कर तीन तलाक (triple talaq) देने का आरोप है.

शिकायतकर्ता पत्नी ने बताया कि दंपति ने अप्रैल 2015 में शादी की और यहां तक कि उनका एक बच्चा भी था. उसने दावा किया कि पति और ससुराल वाले (husband and in-laws ) उससे 10 लाख रुपये की मांग कर रहे थे और उसे मानसिक और शारीरिक रूप से भी परेशान कर रहे थे.

महिला ने आरोप लगाया कि पहले, तो उसके ससुराल वालों ने उसे 22 मई को कीट नियंत्रण के बहाने (pretext of pest control) अपने माता-पिता के घर जाने के लिए कहा और फिर उसके पांच दिन बाद पति ने टेक्स्ट मैसेज कर के उसे तलाक दे दिया.

उसकी शिकायत पर पुलिस ने पति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा (Indian Penal Code and Section) 498A और IPC अधिनियम की धारा 4 (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) और मुस्लिम महिला को (तुरंत तीन तलाक के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया है.

मुंबई के डिंडोशी में एक सत्र न्यायालय (Sessions Court at Dindoshi) ने 29 जुलाई 2017 को उन्हें अग्रिम जमानत (anticipatory bail) देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (Justice Sandeep Shinde ) ने कहा कि निचली अदालत द्वारा गिरफ्तारी से पहले जमानत से इनकार करने का एकमात्र आधार यह था कि पति के पास अपनी पत्नी के गहने थे, जिसकी विस्तृत जांच आवश्यक थी.

पढ़ें - कोरोना से कई जिंदगियां बर्बाद, बच्चों का जीवन दांव पर लगा देखना हृदय-विदारक: सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने कहा कि पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायतों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है, क्योंकि आरोपों की सामान्य प्रकृति (general nature of allegations ) पैसे की मांग (demand of money) के संबंध में थी, जिसके लिए महिला को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा.

शिकायतकर्ता की ओर से एडवोकेट योगिता जोशी (Advocate Yogita Joshi) ने निर्देश लेने के लिए समय मांगा तो कोर्ट ने मान लिया. हालांकि, इस बीच उसने पति को अग्रिम जमानत दे दी.

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने एक ऐसे व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी है, जिस पर अपनी पत्नी को टेक्स्ट मैसेज (text message) भेज कर तीन तलाक (triple talaq) देने का आरोप है.

शिकायतकर्ता पत्नी ने बताया कि दंपति ने अप्रैल 2015 में शादी की और यहां तक कि उनका एक बच्चा भी था. उसने दावा किया कि पति और ससुराल वाले (husband and in-laws ) उससे 10 लाख रुपये की मांग कर रहे थे और उसे मानसिक और शारीरिक रूप से भी परेशान कर रहे थे.

महिला ने आरोप लगाया कि पहले, तो उसके ससुराल वालों ने उसे 22 मई को कीट नियंत्रण के बहाने (pretext of pest control) अपने माता-पिता के घर जाने के लिए कहा और फिर उसके पांच दिन बाद पति ने टेक्स्ट मैसेज कर के उसे तलाक दे दिया.

उसकी शिकायत पर पुलिस ने पति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा (Indian Penal Code and Section) 498A और IPC अधिनियम की धारा 4 (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) और मुस्लिम महिला को (तुरंत तीन तलाक के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया है.

मुंबई के डिंडोशी में एक सत्र न्यायालय (Sessions Court at Dindoshi) ने 29 जुलाई 2017 को उन्हें अग्रिम जमानत (anticipatory bail) देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (Justice Sandeep Shinde ) ने कहा कि निचली अदालत द्वारा गिरफ्तारी से पहले जमानत से इनकार करने का एकमात्र आधार यह था कि पति के पास अपनी पत्नी के गहने थे, जिसकी विस्तृत जांच आवश्यक थी.

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अदालत ने कहा कि पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायतों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है, क्योंकि आरोपों की सामान्य प्रकृति (general nature of allegations ) पैसे की मांग (demand of money) के संबंध में थी, जिसके लिए महिला को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा.

शिकायतकर्ता की ओर से एडवोकेट योगिता जोशी (Advocate Yogita Joshi) ने निर्देश लेने के लिए समय मांगा तो कोर्ट ने मान लिया. हालांकि, इस बीच उसने पति को अग्रिम जमानत दे दी.

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