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बॉम्बे हाई कोर्ट की अवकाश पीठ ने 12 घंटे की मैराथन सुनवाई की

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Published : May 20, 2021, 7:22 PM IST

न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तवड़े की पीठ सुबह 10.45 बजे बैठी और दोपहर के भोजन के लिए कोई ब्रेक लिए बिना रात 11.15 बजे तक मामलों के सुनवाई की.

बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ ने अपने समक्ष सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई के लिए बुधवार को 12 घंटे तक मैराथन बैठक की. न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तवड़े की पीठ सुबह 10.45 बजे बैठी और दोपहर के भोजन के लिए कोई ब्रेक लिए बिना रात 11.15 बजे उठ गई.

अदालत वस्तुतः कोविड-19 महामारी से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही है.

न्यायाधीशों ने अपने सामने सूचीबद्ध 80 मामलों की सुनवाई की, जिसमें अंतरिम जमानत और चिकित्सा सहायता की मांग करने वाले एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में आरोपियों द्वारा दायर याचिकाएं और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई एफआईआर के मामले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक याचिका शामिल है.

बीच-बीच में जजों ने दोपहर और शाम को चाय/कॉफी के साथ नाश्ता किया.

पढ़ें - आपत्तिजनक ट्वीट करने पर शरजील उस्मानी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

वैसे यह पहली बार नहीं है जब न्यायमूर्ति कथावाला अदालत के समय के बाद घंटों के बैठे हों और सुनवाई की हो. मई 2018 में भी न्यायाधीश उच्च न्यायालय में शारीरिक रूप से सुनवाई के लिए 3.30 बजे तक बैठे थे.

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ ने अपने समक्ष सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई के लिए बुधवार को 12 घंटे तक मैराथन बैठक की. न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तवड़े की पीठ सुबह 10.45 बजे बैठी और दोपहर के भोजन के लिए कोई ब्रेक लिए बिना रात 11.15 बजे उठ गई.

अदालत वस्तुतः कोविड-19 महामारी से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही है.

न्यायाधीशों ने अपने सामने सूचीबद्ध 80 मामलों की सुनवाई की, जिसमें अंतरिम जमानत और चिकित्सा सहायता की मांग करने वाले एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में आरोपियों द्वारा दायर याचिकाएं और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई एफआईआर के मामले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक याचिका शामिल है.

बीच-बीच में जजों ने दोपहर और शाम को चाय/कॉफी के साथ नाश्ता किया.

पढ़ें - आपत्तिजनक ट्वीट करने पर शरजील उस्मानी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

वैसे यह पहली बार नहीं है जब न्यायमूर्ति कथावाला अदालत के समय के बाद घंटों के बैठे हों और सुनवाई की हो. मई 2018 में भी न्यायाधीश उच्च न्यायालय में शारीरिक रूप से सुनवाई के लिए 3.30 बजे तक बैठे थे.

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