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अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी अकेले लड़ेगी पंजाब विधानसभा चुनाव

1992 के बाद से एनडीए के पुराने सहयोगी अकाली दल ने अब साथ छोड़ दिया है. बीजेपी ने दलित वोटबैंक को साधने का काम शुरू कर दिया है. इसी सिलसिले में पार्टी ने दुष्यंत गौतम को नई जिम्मेदारी सौंपी है.

bjp targets dalit votebank in punjab
पार्टी महासचिव दुष्यंत गौतम
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Published : Nov 18, 2020, 3:18 PM IST

नई दिल्ली : पंजाब में अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में अकेले लड़ने का फैसला किया है. इसी सिलसिले में शुक्रवार को पार्टी ने नए राज्य प्रभारियों की एक टीम भी बनाई है. वहीं, सोमवार को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पंजाब के नेता तरुण चुघ ने आधिकारिक रूप से कहा कि पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी अकेले लड़ेगी. किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. बता दें, बीजेपी ने सभी 117 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का एलान किया है.

1992 तक अकेले लड़ा उसके बाद अकाली दल से किया गठबंधन

बीजेपी महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि पार्टी इसके लिए तैयारियों में जुट गई है. उन्होंने कहा कि पंजाब में बीजेपी ने 1992 तक अकेले चुनाव लड़ा था, उसके बाद राज्य में अकाली दल से गठबंधन किया. वहीं, तरुण चुघ ने कहा कि कृषि बिल को लेकर अकाली दल ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया है.

दलित वोटबैंक को साधने का कर रही प्रयास

वहीं, नए राज्य प्रभारियों की लिस्ट में पार्टी महासचिव दुष्यंत गौतम का नाम भी शामिल है. उन्हें पंजाब, चंडीगढ़ और उत्तराखंड का प्रभारी बनाया गया है. पंजाब में दलित मतदाताओं के वोट बैंक को देखते हुए पार्टी ने दुष्यंत गौतम को यह जिम्मेदारी सौंपी है. बता दें, दुष्यंत गौतम भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के दो बार अध्यक्ष रहे चुके हैं. पंजाब की 30% से अधिक आबादी दलित है, जो देश के किसी भी राज्य में सबसे अधिक है. इसी वजह से बीजेपी दलित मतदाताओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है.

राज्य में ज्यादा सफल नहीं हो पाई बीजेपी

पंजाब में भारतीय जनता पार्टी ने दलितों के वोटबैंक को हासिल करने के लिए लगातार काम किए, लेकिन वह उसमें ज्यादा सफल नहीं हो पाई. बता दें, पंजाब के एकमात्र दलित सांसद सोमप्रकाश जो वर्तमान में केंद्रीय उद्योग और वाणिज्य राज्य मंत्री हैं. इससे पहले 2014 की बीजेपी सरकार में विजय सांपला सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री के साथ-साथ बीजेपी के राज्य अध्यक्ष भी रह चुके है. बीजेपी राज्य में दलितों पर होने वाले अत्याचार को उजागर करने की कोशिश कर रही है. नवंबर 2019 में 4 सवर्ण आरोपियों ने संगरूर के दलित व्यक्ति जगमेल सिंह को खंभे से बांधकर बुरी तरह पीटा था. जिसकी बाद में अस्पताल में मृत्यु भी हो गई थी. इस घटना पर भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे की अगुवाई में 3 सांसदों की एक समिति भी बनाई थी, जिसने हत्या की जांच की और एक रिपोर्ट भी सौंपी थी.

पढ़ें: अगस्ता वेस्टलैंड डील पर भाजपा हमलावर, खुर्शीद बोले- '...जवाब नहीं दे सकता'

सभी दलित हुए एकजुट

कृषि कानून को लागू करने के बाद राज्य के ज्यादातर किसान भारतीय जनता पार्टी से नाराज हैं. जहां, सभी दलित बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो गए है. वहीं, पार्टी मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले का लाभ उठाना चाहती है, जिसमें कथित रूप से कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत शामिल हैं. बता दें, भाजपा ने सिख वोटबैंक पर ध्यान केंद्रित करते हुए जम्मू के सिख नेता नरेंद्र सिंह को पार्टी मामलों के सह प्रभारी के रूप में भी नियुक्त किया है.

नई दिल्ली : पंजाब में अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में अकेले लड़ने का फैसला किया है. इसी सिलसिले में शुक्रवार को पार्टी ने नए राज्य प्रभारियों की एक टीम भी बनाई है. वहीं, सोमवार को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पंजाब के नेता तरुण चुघ ने आधिकारिक रूप से कहा कि पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी अकेले लड़ेगी. किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. बता दें, बीजेपी ने सभी 117 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का एलान किया है.

1992 तक अकेले लड़ा उसके बाद अकाली दल से किया गठबंधन

बीजेपी महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि पार्टी इसके लिए तैयारियों में जुट गई है. उन्होंने कहा कि पंजाब में बीजेपी ने 1992 तक अकेले चुनाव लड़ा था, उसके बाद राज्य में अकाली दल से गठबंधन किया. वहीं, तरुण चुघ ने कहा कि कृषि बिल को लेकर अकाली दल ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया है.

दलित वोटबैंक को साधने का कर रही प्रयास

वहीं, नए राज्य प्रभारियों की लिस्ट में पार्टी महासचिव दुष्यंत गौतम का नाम भी शामिल है. उन्हें पंजाब, चंडीगढ़ और उत्तराखंड का प्रभारी बनाया गया है. पंजाब में दलित मतदाताओं के वोट बैंक को देखते हुए पार्टी ने दुष्यंत गौतम को यह जिम्मेदारी सौंपी है. बता दें, दुष्यंत गौतम भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के दो बार अध्यक्ष रहे चुके हैं. पंजाब की 30% से अधिक आबादी दलित है, जो देश के किसी भी राज्य में सबसे अधिक है. इसी वजह से बीजेपी दलित मतदाताओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है.

राज्य में ज्यादा सफल नहीं हो पाई बीजेपी

पंजाब में भारतीय जनता पार्टी ने दलितों के वोटबैंक को हासिल करने के लिए लगातार काम किए, लेकिन वह उसमें ज्यादा सफल नहीं हो पाई. बता दें, पंजाब के एकमात्र दलित सांसद सोमप्रकाश जो वर्तमान में केंद्रीय उद्योग और वाणिज्य राज्य मंत्री हैं. इससे पहले 2014 की बीजेपी सरकार में विजय सांपला सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री के साथ-साथ बीजेपी के राज्य अध्यक्ष भी रह चुके है. बीजेपी राज्य में दलितों पर होने वाले अत्याचार को उजागर करने की कोशिश कर रही है. नवंबर 2019 में 4 सवर्ण आरोपियों ने संगरूर के दलित व्यक्ति जगमेल सिंह को खंभे से बांधकर बुरी तरह पीटा था. जिसकी बाद में अस्पताल में मृत्यु भी हो गई थी. इस घटना पर भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे की अगुवाई में 3 सांसदों की एक समिति भी बनाई थी, जिसने हत्या की जांच की और एक रिपोर्ट भी सौंपी थी.

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सभी दलित हुए एकजुट

कृषि कानून को लागू करने के बाद राज्य के ज्यादातर किसान भारतीय जनता पार्टी से नाराज हैं. जहां, सभी दलित बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो गए है. वहीं, पार्टी मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले का लाभ उठाना चाहती है, जिसमें कथित रूप से कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत शामिल हैं. बता दें, भाजपा ने सिख वोटबैंक पर ध्यान केंद्रित करते हुए जम्मू के सिख नेता नरेंद्र सिंह को पार्टी मामलों के सह प्रभारी के रूप में भी नियुक्त किया है.

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