ETV Bharat / bharat

भाजपा का 'प्लान 2024', कमजोर सीटों को जीताऊ बनाने की जिम्मेदारी बड़े नेताओं पर - कमजोर सीटों पर भाजपा का फोकस

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद भारतीय जनता पार्टी देशभर के उन कमजोर निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है, जहां भारतीय जनता पार्टी कभी जीत नहीं पाई. पार्टी 'कांग्रेस मुक्त' के अपने नारे को सफल बनाने की दिशा में नई नीतियां बना रही है ताकि 2024 से पहले इन चुनाव क्षेत्रों में अपने आप को मजबूत कर सके. कौन-कौन से हैं वे क्षेत्र हैं, और क्या है पार्टी की रणनीति, पढे़ं ईटीवी भारत वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

top leader of bjp
भाजपा के शीर्ष नेता
author img

By

Published : Jul 1, 2022, 9:15 PM IST

नई दिल्ली : एक-एक कर गैर बीजेपी शासित राज्यों में भी सत्ता जमाती भारतीय जनता पार्टी आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रही है. बीजेपी अपने विस्तार कार्यक्रम के साथ-साथ सभी कार्यक्रमों की रूपरेखा इस तरह तैयार कर रही है ताकि उन क्षेत्रों में भी वह अपने पैर जमा सके, जहां वह कभी भी सत्ता में नहीं आई है या फिर वो सीटें उसके लिए जीतना मुश्किल है.

पार्टी ने सर्वे कर ऐसे 73,000 बूथ इंगित किए हैं, जो बीजेपी के लिए मुश्किल मानी जाती है. उन निर्वाचन क्षेत्रों में जहां जनता ने बीजेपी को वोट कभी भी नहीं दिया है, पार्टी बड़े नेताओं के कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. यही नहीं बीजेपी ने देश भर में 144 हारी हुई सीटों की लिस्ट बनाई है, जिन्हें जीतने के लिए वो अलग से रणनीति तैयार करेगी. इसके लिए पार्टी ने एक टीम बनाई है, जो सभी प्रदेशों में जाकर इन कमजोर सीटों में हार का विश्लेषण करेगी.

पार्टी ने यूपी में बस्ती से सांसद हरीश द्विवेदी, उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को इन सभी सीटों पर रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी दी है. इसके अलावा पार्टी की नजर ट्राइबल क्षेत्रों और महिला वोटर्स पर भी है. इसका ध्यान रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए भी एक महिला और ट्राइबल उम्मीदवार को मैदान में उतारा है.

इस कदम से पार्टी ने उन स्थानों पर अपनी पहुंच बढ़ा ली है, जिन आदिवासी इलाकों में लोग भाजपा को वोट नहीं करते थे. ध्यान से देखें तो गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 138 शेड्यूल्ड ट्राइब्स की आरक्षित सीटों पर मात्र 35 सीटों पर ही भाजपा जीत दर्ज करती आई है. इसी तरह पिछले झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 28 एसटी आरक्षित सीटों में से मात्र 2 ही जीत पाई थी. गुजरात में आदिवासी बहुल क्षेत्रों की 37 में से 19 सीटें भाजपा को मिली. मध्यप्रदेश में भी 47 में से 16 सीटें आदिवासी बहुल क्षेत्र की भाजपा की झोली में आईं, जबकि राजस्थान में 18 में से 9 सीटें आदिवासी बहुल क्षेत्रों से भाजपा जीत पाई. यही वजह है कि पार्टी द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर यह प्रचार प्रसार 2024 के लिए भी कर रही है.

साथ ही पार्टी पहले से ही महिलाओं के विकास और उत्थान की तमाम कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं, जिसे पार्टी के नेताओं को अलग-अलग राज्यों में जाकर प्रचारित प्रसारित करने का भी निर्देश दिया जा रहा है. फिलहाल पार्टी तेलंगाना में 119 क्षेत्रों में पार्टी के नेताओं का दो दिन का प्रवास कार्यक्रम चला रही है और यही कार्यक्रम दूसरे राज्यों में भी खासतौर पर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी जल्द ही शुरू किया जाएगा.

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह का कहना है कि कई ऐसे राज्यों में जहां पर गैर बीजेपी शासित राज्य हैं, वहां यदि देखा जाए तो महिलाओं और आदिवासियों का उत्थान बहुत ही कम हुआ है. पार्टी इन राज्यों को चिन्हित कर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के माध्यम से केंद्र की योजनाओं को लागू कराने का काम भी कर रही है. अरुण सिंह का कहना है कि कई राज्यों में दूसरी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का विरोध भी उन्हें सहना पड़ता है. जैसा कि अभी वारंगल में देखने को मिला जहां प्रवास कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के नेताओं के साथ काफी बदसलूकी की और राज्य की पुलिस तमाशा देखती रही.

नई दिल्ली : एक-एक कर गैर बीजेपी शासित राज्यों में भी सत्ता जमाती भारतीय जनता पार्टी आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रही है. बीजेपी अपने विस्तार कार्यक्रम के साथ-साथ सभी कार्यक्रमों की रूपरेखा इस तरह तैयार कर रही है ताकि उन क्षेत्रों में भी वह अपने पैर जमा सके, जहां वह कभी भी सत्ता में नहीं आई है या फिर वो सीटें उसके लिए जीतना मुश्किल है.

पार्टी ने सर्वे कर ऐसे 73,000 बूथ इंगित किए हैं, जो बीजेपी के लिए मुश्किल मानी जाती है. उन निर्वाचन क्षेत्रों में जहां जनता ने बीजेपी को वोट कभी भी नहीं दिया है, पार्टी बड़े नेताओं के कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. यही नहीं बीजेपी ने देश भर में 144 हारी हुई सीटों की लिस्ट बनाई है, जिन्हें जीतने के लिए वो अलग से रणनीति तैयार करेगी. इसके लिए पार्टी ने एक टीम बनाई है, जो सभी प्रदेशों में जाकर इन कमजोर सीटों में हार का विश्लेषण करेगी.

पार्टी ने यूपी में बस्ती से सांसद हरीश द्विवेदी, उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को इन सभी सीटों पर रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी दी है. इसके अलावा पार्टी की नजर ट्राइबल क्षेत्रों और महिला वोटर्स पर भी है. इसका ध्यान रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए भी एक महिला और ट्राइबल उम्मीदवार को मैदान में उतारा है.

इस कदम से पार्टी ने उन स्थानों पर अपनी पहुंच बढ़ा ली है, जिन आदिवासी इलाकों में लोग भाजपा को वोट नहीं करते थे. ध्यान से देखें तो गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 138 शेड्यूल्ड ट्राइब्स की आरक्षित सीटों पर मात्र 35 सीटों पर ही भाजपा जीत दर्ज करती आई है. इसी तरह पिछले झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 28 एसटी आरक्षित सीटों में से मात्र 2 ही जीत पाई थी. गुजरात में आदिवासी बहुल क्षेत्रों की 37 में से 19 सीटें भाजपा को मिली. मध्यप्रदेश में भी 47 में से 16 सीटें आदिवासी बहुल क्षेत्र की भाजपा की झोली में आईं, जबकि राजस्थान में 18 में से 9 सीटें आदिवासी बहुल क्षेत्रों से भाजपा जीत पाई. यही वजह है कि पार्टी द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर यह प्रचार प्रसार 2024 के लिए भी कर रही है.

साथ ही पार्टी पहले से ही महिलाओं के विकास और उत्थान की तमाम कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं, जिसे पार्टी के नेताओं को अलग-अलग राज्यों में जाकर प्रचारित प्रसारित करने का भी निर्देश दिया जा रहा है. फिलहाल पार्टी तेलंगाना में 119 क्षेत्रों में पार्टी के नेताओं का दो दिन का प्रवास कार्यक्रम चला रही है और यही कार्यक्रम दूसरे राज्यों में भी खासतौर पर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी जल्द ही शुरू किया जाएगा.

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह का कहना है कि कई ऐसे राज्यों में जहां पर गैर बीजेपी शासित राज्य हैं, वहां यदि देखा जाए तो महिलाओं और आदिवासियों का उत्थान बहुत ही कम हुआ है. पार्टी इन राज्यों को चिन्हित कर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के माध्यम से केंद्र की योजनाओं को लागू कराने का काम भी कर रही है. अरुण सिंह का कहना है कि कई राज्यों में दूसरी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का विरोध भी उन्हें सहना पड़ता है. जैसा कि अभी वारंगल में देखने को मिला जहां प्रवास कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के नेताओं के साथ काफी बदसलूकी की और राज्य की पुलिस तमाशा देखती रही.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.