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बीजेपी एक ऐसी पार्टी, जहां जिले और मंडल का कार्यकर्ता भी सपने देख सकता है - सांसद आरके सिंह - MP RK Singh

पहले छत्तीसगढ़, फिर मध्य प्रदेश और मंगलवार को राजस्थान में के लिए घोषित हुए मुख्यमंत्री के नामों ने न सिर्फ विरोधियों को हैरान कर दिया है, बल्कि प्रदेश की जनता को भी हैरान कर दिया है. इसी मुद्दे को लेकर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने बांदा चित्रकूट से बीजेपी सांसद आरके सिंह से खास बातचीत की. Bharatiya Janata Party, BJP MP from Banda Chitrakoot RK Singh

BJP MP RK Singh
बीजेपी सांसद आरके सिंह
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 12, 2023, 10:20 PM IST

बीजेपी सांसद आरके सिंह से खास बातचीत

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने तीनों राज्यों में इस बार पहले रिजल्ट के बाद और अब सीएम चेहरे के बाद लोगों को चौंका दिया. हालांकि प्रधानमंत्री को ठीक से जानने वाले लोग ये जानते हैं कि वर्तमान निर्णय नरेंद्र मोदी स्टाइल का हिस्सा रहा है. लेकिन इन चेहरों ने जनता से लेकर नेताओं को चौंका जरूर दिया है और बीजेपी ने इन निर्णयों से तीनों राज्यों के माध्यम से जातिगत व्यवस्था को तो साधा ही है, साथ ही पार्टी फर्स्ट के नारे को भी आत्मसात किया है.

बीजेपी का हमेशा से नारा रहा है, नेशन फर्स्ट. पार्टी ये भी कहती रही है कि पार्टी फर्स्ट लीडर बाद में आते हैं, यानी कितने बड़े भी दिग्गज नेता क्यों न हों, यदि पार्टी ने फैसला ले लिया तो वो मानने को बाध्य हैं और यही वजह है कि आज एक आम नेता या कार्यकर्ता भी पार्टी में किसी भी पद के सपने देख सकता है. ये है आधुनिक बीजेपी की दशा और दिशा भी. यदि कहा जाए तो शाह और मोदी के कार्यकाल ने समय-समय पर उन नेताओं को ये अहसास दिला दिया, जो अपने आप को पार्टी से बड़ा समझने लगे थे.

तीन राज्यों के मुख्यमंत्री के चेहरे ने अब पार्टी के सभी नेताओं के लिए दरवाजे खोल दिए है, या दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि इन तीनों राज्यों के फैसले में पार्टी ने जातीय समीकरण को भी साधा है. जहां छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश में ओबीसी और अब राजस्थान में अगड़ी जाति के मुख्यमंत्री देकर भारतीय जनता पार्टी ने अपने वोटर्स को एक संदेश दिया है, वहीं खासतौर पर उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे क्षेत्र में जातिगत समीकरण को भी साधा है.

इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के बांदा चित्रकूट से भाजपा सांसद आरके सिंह पटेल का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी है, जिसमें जिले और मंडल का कार्यकर्ता भी सपने देखता है और उसको पार्टी साकार करती है. हमारे यहां एक जिले का कार्यकर्ता भी किसी भी पद पर आ सकता है और जो लोग मुख्यमंत्री बने हैं, वो लोग भी अनुभवी हैं और पार्टी सबका साथ सबका विकास के फार्मूले लेकर चलती है.

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी छोटे से कार्यकर्ता को भी आगे लाकर उससे काम करवाती है. यही पार्टी की शक्ति होती है, नींव के पत्थर यही होते हैं, मगर बाकी पार्टियों में ये देखने को नहीं मिलेगा बीजेपी छोड़कर. इस सवाल पर की क्या इन तीनों राज्यों के माध्यम से जातिगत समीकरण को भी साधा गया है. इस पर भाजपा सांसद आरके सिंह पटेल का कहना है कि कोई जात मराठा, कोई मद्रासी, सरहद पर मरने वाले की कोई ना होती जाति, इसलिए हमारी पार्टी में कोई भी किसी भी पद पर आ सकता है.

उन्होंने कहा कि अब यूपी में भी बहुजन समाजपार्टी या समाजवादी पार्टी का जातिगत समीकरण काम नहीं आ रहा, बल्कि भाजपा ने जो विकास किया है, उससे राम राज्य आ रहा है. उन्होंने दावा किया कि ये सारी योजनाएं देकर पूरे देश के लोगों के लिए सर्वांगीण विकास मोदी जी के नेतृत्व में किया जा रहा है. आज हर तरफ विकास और साथ ही इतना बड़ा अयोध्या में मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, ये अपने आप में बड़ी उपलब्धि है.

बीजेपी सांसद आरके सिंह से खास बातचीत

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने तीनों राज्यों में इस बार पहले रिजल्ट के बाद और अब सीएम चेहरे के बाद लोगों को चौंका दिया. हालांकि प्रधानमंत्री को ठीक से जानने वाले लोग ये जानते हैं कि वर्तमान निर्णय नरेंद्र मोदी स्टाइल का हिस्सा रहा है. लेकिन इन चेहरों ने जनता से लेकर नेताओं को चौंका जरूर दिया है और बीजेपी ने इन निर्णयों से तीनों राज्यों के माध्यम से जातिगत व्यवस्था को तो साधा ही है, साथ ही पार्टी फर्स्ट के नारे को भी आत्मसात किया है.

बीजेपी का हमेशा से नारा रहा है, नेशन फर्स्ट. पार्टी ये भी कहती रही है कि पार्टी फर्स्ट लीडर बाद में आते हैं, यानी कितने बड़े भी दिग्गज नेता क्यों न हों, यदि पार्टी ने फैसला ले लिया तो वो मानने को बाध्य हैं और यही वजह है कि आज एक आम नेता या कार्यकर्ता भी पार्टी में किसी भी पद के सपने देख सकता है. ये है आधुनिक बीजेपी की दशा और दिशा भी. यदि कहा जाए तो शाह और मोदी के कार्यकाल ने समय-समय पर उन नेताओं को ये अहसास दिला दिया, जो अपने आप को पार्टी से बड़ा समझने लगे थे.

तीन राज्यों के मुख्यमंत्री के चेहरे ने अब पार्टी के सभी नेताओं के लिए दरवाजे खोल दिए है, या दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि इन तीनों राज्यों के फैसले में पार्टी ने जातीय समीकरण को भी साधा है. जहां छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश में ओबीसी और अब राजस्थान में अगड़ी जाति के मुख्यमंत्री देकर भारतीय जनता पार्टी ने अपने वोटर्स को एक संदेश दिया है, वहीं खासतौर पर उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे क्षेत्र में जातिगत समीकरण को भी साधा है.

इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के बांदा चित्रकूट से भाजपा सांसद आरके सिंह पटेल का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी है, जिसमें जिले और मंडल का कार्यकर्ता भी सपने देखता है और उसको पार्टी साकार करती है. हमारे यहां एक जिले का कार्यकर्ता भी किसी भी पद पर आ सकता है और जो लोग मुख्यमंत्री बने हैं, वो लोग भी अनुभवी हैं और पार्टी सबका साथ सबका विकास के फार्मूले लेकर चलती है.

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी छोटे से कार्यकर्ता को भी आगे लाकर उससे काम करवाती है. यही पार्टी की शक्ति होती है, नींव के पत्थर यही होते हैं, मगर बाकी पार्टियों में ये देखने को नहीं मिलेगा बीजेपी छोड़कर. इस सवाल पर की क्या इन तीनों राज्यों के माध्यम से जातिगत समीकरण को भी साधा गया है. इस पर भाजपा सांसद आरके सिंह पटेल का कहना है कि कोई जात मराठा, कोई मद्रासी, सरहद पर मरने वाले की कोई ना होती जाति, इसलिए हमारी पार्टी में कोई भी किसी भी पद पर आ सकता है.

उन्होंने कहा कि अब यूपी में भी बहुजन समाजपार्टी या समाजवादी पार्टी का जातिगत समीकरण काम नहीं आ रहा, बल्कि भाजपा ने जो विकास किया है, उससे राम राज्य आ रहा है. उन्होंने दावा किया कि ये सारी योजनाएं देकर पूरे देश के लोगों के लिए सर्वांगीण विकास मोदी जी के नेतृत्व में किया जा रहा है. आज हर तरफ विकास और साथ ही इतना बड़ा अयोध्या में मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, ये अपने आप में बड़ी उपलब्धि है.

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