नई दिल्ली : आने वाले पांच राज्यों के चुनाव में से उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश की बात करें, तो इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की स्थिति आंतरिक कलह और विरोध की वजह से बहुत अच्छी नजर नहीं आ रही है. यह ही वजह है इन तीनों ही राज्यों पर आम आदमी पार्टी अपने पांव पसारना चाह रही है. उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के साथ-साथ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.
गौरतलब है कि पिछली बार पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 20 सीटें जीतीं थीं. उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का दम भर रही है. ऐसे में एक ऐसी स्थिति बनती जा रही है, जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.
पिछले लोकसभा सीट के परिणामों को ही देखें तो बीजेपी और कांग्रेस में उत्तराखंड में एक बड़ा अंतर दिखा था, जिसमें बीजेपी को वोट प्रतिशत 61% के करीब मिला था, जबकि कांग्रेस को मात्र 31% के करीब वोट मिला था. हालांकि इस बार यहां बीजेपी विरोधी लहर भी बहुत ज्यादा है और मुख्यमंत्री का जिस तरह म्यूजिकल चेयर का खेल दिखा उससे सभी वाकिफ हैं. बावजूद इसके लोग कांग्रेस को भी किस उपलब्धि के लिए वोट दें, इसे लेकर संशय में हैं. बहरहाल इसका फायदा कुछ हद तक आम आदमी पार्टी उठा सकती है.
इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस का जनाधार घटकर लगभग 5 प्रतिशत रह गया है. पिछले चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर लगभग 40 प्रतिशत था और बीएसपी 22 प्रतिशत के करीब थी. यहां पर भले ही भाजपा की सरकार को लेकर एन्टी इनकंबेंसी है, लेकिन बड़े विपक्ष की रूप में कोई भी पार्टी उभर कर नहीं आ पाई है. ऐसे में बीजेपी के वोट शेयर तक पहुंचना आसान नहीं होगा.
विपक्षी पार्टियों के लिए ऐसे में नए प्लेयर जिनमें आम आदमी पार्टी और एमआईएम जैसी पार्टियां शामिल हैं. कांग्रेस और बाकी विपक्षी पार्टियों का वोट काट सकती हैं और बिजेपी को फायदा पहुंचा सकती हैं.
इसी तरह पंजाब में कांग्रेस की सरकार में घमासान और विरोध की लहर का सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी पार्टी को ही होता दिख रहा है.
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इस संबंध में बीजेपी के नेता सुदेश वर्मा का कहना है कि बीजेपी इन राज्यों में अपने दम पर सरकार बनायेगी. आम आदमी पार्टी के सवाल पर उनका कहना है कि दिल्ली से बाहर आप को कोई जानता ही नहीं. यदि पार्टी इन राज्यों में चुनाव लड़ती भी है, तो उनकी जमानत जब्त हो जाएगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी राज्य और केंद्र दोनों की उपलब्धियों पर चुनाव लड़ेगी.