शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा का ये चुनाव बागियों के लिए याद किया जाएगा. सदस्यों के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के मुखिया हिमाचल के जिस जिले से संबंध रखते हैं, उसी जिले में बागियों ने अपना दम दिखाया है. जेपी नड्डा के गृह प्रदेश हिमाचल में भाजपा से बागी संभाले ही नहीं गए. कांग्रेस ने भाजपा के मुकाबले बागियों का डैमेज अच्छे से कंट्रोल किया है. (BJP Congress rebels will have an important role )
पहली बार बड़ी संख्या में बागी: अब भाजपा के रिवाज बदलने के दावे के रास्ते में बागियों की बारात कितना घात करेगी, इसका खुलासा कल हो जाएगा. ये पहली दफा है जब सत्ताधारी दल से इतनी बड़ी संख्या में बागी चुनाव मैदान में उतरे हैं. भाजपा के 21 बागी हैं और कांग्रेस के सात. ये सभी टिकट न मिलने से इस कदर नाराज हुए कि हाईकमान की एक न सुनी. भाजपा नेता कृपाल परमार को तो खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने फोन किया था, लेकिन वे भी मैदान से नहीं हटे.(himachal assembly elections 2022)
भाजपा-कांग्रेस के अच्छे लगने लगे बागी: अब मतदान के बाद हालात ये हैं कि भाजपा सरकार बनाने की उम्मीद इन्हीं बागियों के सहारे कर रही है. फिलहाल, कल यानी गुरुवार को दोपहर 12 बजे तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि चुनाव से पहले जो बागी भाजपा व कांग्रेस के लिए अछूत बन गए और निष्कासन झेल रहे हैं, वे दोनों ही दलों के प्यारे हो जाएंगे या नहीं. (counting of votes in himachal tomorrow)
भाजपा की स्थिति पर नजर : सबसे पहले भाजपा की स्थिति पर नजर डालते हैं. टिकट न मिलने से नाराज होकर भाजपा से इस बार सिटिंग एमएलए किशोरी लाल आनी से चुनाव मैदान में हैं. पूर्व विधायकों में किन्नौर से तेजवंत नेगी, नालागढ़ से केएल ठाकुर, इंदौरा से मनोहर धीमान का नाम शामिल है. देहरा सीट से सिटिंग एमएलए होशियार सिंह चुनाव मैदान में हैं. वे पहले निर्दलीय जीते थे और फिर भाजपा में शामिल हो गए थे. होशियार सिंह को टिकट न मिला. भाजपा ने देहरा से रमेश धवाला को मैदान में उतार दिया. इससे पहले ही होशियार सिंह पार्टी छोड़ निर्दलीय के चोले में वापस आ गए. (himachal assembly result 2022)
कई सीटों पर भाजपा को दिक्कतें: इसी तरह मंडी सदर सीट से भाजपा के तेजतर्रार युवा नेता प्रवीण शर्मा, कुल्लू से राम सिंह, बंजार से भाजपा नेता महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर सिंह, कांगड़ा के फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के कृपाल परमार बागी हैं. इसके अलावा मंडी जिले में सुंदरनगर सीट से भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री रूप सिंह ठाकुर के बेटे अभिषेक ठाकुर मैदान में हैं. नाचन से ज्ञान चंद ने भाजपा की परेशानी बढ़ाई है.
बड़सर से भाजपा के सक्रिय नेता स्व. राकेश शर्मा बबली के भाई संजीव शर्मा ने चुनाव लड़ा. प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में धर्मशाला सीट से भाजपा एसटी मोर्चा के उपाध्यक्ष विपिन नैहरिया, कांगड़ा से कुलभाष चौधरी, हमीरपुर से नरेश दर्जी ने भाजपा की परेशानी बढ़ाई है. चंबा सदर से भाजपा ने पहले इंदिरा कपूर को टिकट दिया, लेकिन बाद में टिकट काट दिया तो इंदिरा बागी हो गई.
कांग्रेस के बागी जीत सकते चुनाव: वहीं, कांग्रेस के बागियों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कद्दावर नेता गंगूराम मुसाफिर, पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट, राजेंद्र ठाकुर, जगजीवन पाल, इंदू वर्मा व विजयपाल खाची का नाम प्रमुख है.आनी से परसराम ने कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी की है. अब स्थिति ये है कई जगह बागी अच्छी पोजीशन में हैं. कांग्रेस के लिहाज से देखें तो ठियोग में इंदू वर्मा, अर्की में राजेंद्र ठाकुर, चौपाल में डॉ. सुभाष मंगलेट पोटेंशियल बागी हैं.
बागी बनेंगे किंगमेकर: भाजपा से तेजवंत नेगी, केएल ठाकुर, राम सिंह में संभावना दिख रही है. यदि हिमाचल में 1998 की तरह दोनों दलों का स्कोर बराबरी का रहा तो निर्दलीय अपने आप किंग मेकर हो जाएंगे. यदि भाजपा व कांग्रेस दोनों को 32-32 या फिर 33-33 सीटें मिलती हैं तो निर्दलीयों को खींचने की होड़ मचेगी. ट्रैक रिकार्ड के अनुसार बागियों या निर्दलीयों को काबू करने में भाजपा आगे है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय कुमार अंथ्वाल का कहना है कि इस बार भी बागी किंगमेकर हो सकते हैं. ऐसे में भाजपा रिवाज बदलने के दावे को सच भी कर सकती है. फिलहाल, सभी को इंतजार आठ दिसंबर को ईवीएम खुलने का है.
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