रायपुर: साइंस काॅलेज ग्राउंड की जनसभा में दर्जनभर से ज्यादा बीजेपी नेता मंच पर मौजूद रहे. सब एक्टिव भी दिखे. लेकिन पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल से साझा हुई तस्वीर ने काफी हद तक विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर बीजेपी का रुख साफ कर दिया है. दरअसल पीएम ने जो तस्वीर साझा की है, उसमें बाकियों को क्राप कर केवल दो चेहरे ही दिखाए गए. ये दोनों सरगुजा के आदिवासी नेता विष्णुदेव साय और रामविचार नेताम हैं. विष्णुदेव साय को हाल ही में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य भी बनाया गया. छत्तीसढ़ में 50 परसेंट से ज्यादा सीटों पर प्रभाव रखने वाले आदिवासी समाज को लुभाने के लिए बीजेपी इनमें से किसी एक को सीएम प्रोजेक्ट कर सकती है.
छत्तीसगढ़ में हैं 40 लाख आदिवासी वोटर: छत्तीसगढ़ में आदिवासी आबादी लगभग 80 लाख है. इनमें से लगभग 70 लाख लोग बस्तर और सरगुजा में ही रहते हैं. बाकी 10 लाख मैदानी क्षेत्रों में. 80 लाख आदिवासी आबादी में लगभग 54 लाख मतदाता हैं. 2018 में 54 लाख वोटर्स में से करीब 40 लाख वोटर ने मताधिकार का प्रयोग किया. कांग्रेस को 24 लाख, जोगी की जकांछ (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़) को 2 लाख वोट मिले थे. 14 लाख आदिवासी वोट मिलने के बाद भी भाजपा को कई सीटों पर करीबी हार झेलनी पड़ी. इसलिए विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर बीजेपी अभी से अलर्ट है. केंद्रीय मंत्रियों का लगातार सूबे में आना हो रहा है. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने भी स्थिति डावांडोल होती देख छत्तीसगढ़ की कमान संभाल ली है.
2003 में सरगुजा और बस्तर ने भाजपा का साथ दिया. परिणाम सकारात्मक आये. इसके बाद भी 2008 और 2013 में कम ही सही लेकिन आदिवासी वोट भाजपा को मिले. लेकिन 2018 में आदिवासियों ने भाजपा का साथ छोड़ दिया और भाजपा सत्ता से बाहर हो गई. मोदी एक समझदार राजनीतिज्ञ हैं. ट्विटर पर इस फोटो से वो यही संदेश देना चाहते हैं. -मनोज गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार, सरगुजा
कौन हैं रामविचार नेताम और विष्णु देव साय: रामविचार नेताम भाजपा के कद्दावर आदिवासी चेहरा हैं, जिनकी पहचान प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक है. नेताम छत्तीसगढ़ सरकार में गृहमंत्री भी रह चुके हैं. साथ ही राज्यसभा सांसद भी हैं. रामविचार नेताम सन 1990 से लेकर 2013 तक विधायक रह चुके हैं. छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थी, उस दौरान अहम मंत्रालय के मंत्री भी रहे हैं. विष्णुदेव साय भी बीजेपी के दिग्गज नेता हैं. जशपुर जिले के एक किसान परिवार से आने वाले विष्णुदेव साय ने राजनीति में लंबी छलांग लगाई है. 16वीं लोकसभा के सदस्य रहे साय भारत सरकार के इस्पात और खान राज्यमंत्री भी रहे हैं. अगस्त 2022 से पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. लेकिन चुनाव को सामने देखते हुए पार्टी ने विष्णुदेव साय को हटाकर सांसद अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी.
रामविचार नेताम ट्राइबल से आते हैं. भाजपा उन्हें तवज्जो भी देती है. उनका चेहरा फ्रंट पर लाना इत्तेफाक भी हो सकता है. ऐसे में हम सिर्फ कयास लगा सकते हैं. वह काफी सीनियर नेता हैं और इसके लिए वे डिजर्व भी करते हैं. यदि चुनाव के बाद कोई ऐसी परिस्थिति निर्मित हुई कि पार्टी को लगता है कि ट्राइबल से किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाए तो उसके लिए रामविचार नेताम बेहतर उम्मीदवार हैं. -उचित शर्मा, राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार
भाजपा में हर किसी को दी गई है जिम्मेदारी: हालांकि खुद रामविचार नेताम मानते हैं कि पीएम को फोटो शेयर करने महज इत्तेफाक है. पार्टी में हर किसी को जिम्मेदारी दी गई है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से दी गई भूमिका हर कार्यकर्ता और नेता पूरी ईमानदारी से निभा रहा है.
पार्टी का बड़ा कार्यक्रम था. वहां प्रदेशभर से लोग पहुंचे थे. फोटो किसकी कहां होगी ये तो वहीं तय होता है. मुझे इस तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई है. जैसे सबको काम दिया जाता है, वैसे ही मुझे भी दिया गया है. सब मिलकर काम करेंगे. मुझे घोषणापत्र समिति बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. हमारा चेहरा भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रहेंगे.- रामविचार नेताम, पूर्व राज्य सभा सांसद, भाजपा
आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं इतनी सीटें: छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 39 सीटें आरक्षित हैं. इन आरक्षित सीटों में से 29 सीटें आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) और 10 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इनके बाद बची 51 सीटें सामान्य हैं.
छत्तीसगढ़ की राजनीति में जातिगत समीकरण: छत्तीसगढ़ में लगभग 32 फीसदी आबादी आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) की है. 13 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की और करीब 47 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग में 95 से अधिक जातियां शामिल हैं.
14 लाख वोट मिलने के बाद भी केवल 2 आदिवासी सीट: छत्तीसगढ़ में 15 साल तक भाजपा की सरकार रही. लेकिन साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में आदिवासियों की 29 सीटों में से महज 2 सीटें ही भाजपा को मिल पाई, जबकि उसे 14 लाख आदिवासी वोट मिले थे. दो सीटों पर सिमटने की वजह भाजपा को कई सीटों पर मिली करीबी हार रही. बाकी 27 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 2018 चुनाव के मुताबिक छत्तीसगढ़ की 29 आदिवासी आरक्षित सीटों में से 25 सीटें कांग्रेस को मिलीं, जो साल 2019 में दंतेवाड़ा और मरवाही उपचुनाव के बाद साल 2020 तक बढ़कर 27 हो गईं. इनके अलावा 2 आदिवासी विधायक कांग्रेस के पास ऐसे हैं, जो सामान्य सीटों से जीते हैं. इस लिहाज से कांग्रेस आदिवासी विधायकों के मामले में ज्यादा ताकतवर है.
अमित शाह हो हर हफ्ते आना पड़ रहा छत्तीसगढ़: कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि रमन सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के संकेत नहीं मिल रहे हैं. बल्कि रमन सिंह के चेहरे को भाजपा ने अभी भी नकारा हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्रियों ने 15 साल कुशासन भ्रष्टाचार किया है. भाजपा के पास भूपेश बघेल के कद का कोई भी नेता वर्तमान में नहीं है. यही कारण है कि खुद छोटे-छोटे फैसले के लिए गृह मंत्री अमित शाह को हर हफ्ते आकर बैठक करनी पड़ रही है. प्रधानमंत्री को सभा करनी पड़ रही है. आधा दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रियों का छत्तीसगढ़ दौरा हो रहा है. यह भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का स्थानीय नेताओं पर अविश्वास बताता है.
भाजपा से कौन से 3 चेहरों पर चर्चा हो रही है. क्या वह बृजमोहन, सरोज पांडे और अजय चंद्राकर हैं. लेकिन मैं पहले ही कह चुका हूं कि जब तक आप यहां से रमन सिंह को नहीं हटाएंगे, तब तक कुछ नहीं होगा. अभी भी देख लीजिए पूरी कमेटियों में रमन सिंह की चली. विष्णु देव साय और धरम लाल कौशिक केंद्रीय कार्यकारणी में गए. इन तीनों को हटा दिया गया. भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि प्रदेश में अब नेताओं का अकाल हो गया है. उनके पास अब कोई नेतृत्व नहीं रहा. -भूपेश बघेल, सीएम छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों के ताबड़तोड़ दौरे और गृहमंत्री अमित शाह के कमान संभाल लेने के बाद भाजपा और भी आक्रामक हो गई है. कार्यकर्ताओं में जोश है और बीजेपी नेता लगातार भूपेश बघेल सरकार को घपले घोटालों में घेर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि क्या वाकई भाजपा किसी आदिवासी नेता को सीएम प्रोजेक्ट करेगी या रमन सिंह को एक बार फिर नेतृत्व का मौका मिलेगा.