नई दिल्ली : यूपी में विधानसभा का रण (fight of Assembly in UP) जीतने के लिए भाजपा हर संभव कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खुद भी डटे हुए हैं और लगातार जाटों के लिए नए-नए नारे (New slogans for Jats) दिए जा रहे हैं. ताकि वे आरएलडी-सपा गठबंधन (RLD-SP alliance) के साथ जाने की गलती ना करें.
उत्तर प्रदेश के चुनाव में जाट मतदाता, खास तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान भारतीय जनता पार्टी के लिए जरुरी हैं. यही वजह है कि पार्टी लगातार आरएलडी के मुखिया जयंत चौधरी पर भी बार-बार डोरे डाल रही है. यहां तक की जाट नेताओं के साथ बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने तो खुले तौर पर कह दिया कि वह भाजपा में गठबंधन में कभी भी आ सकते हैं.
सरदाना से विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा जो योगी सरकार में मंत्री भी हैं, इस बात का दावा कर रहे हैं कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास लेकर भारतीय जनता पार्टी चल रही है. लेकिन अखिलेश यादव की सत्ता में सिर्फ एक ही समुदाय को सुरक्षित रखने का बीड़ा उठाया जाता है. इसीलिए हिंदुओं की रक्षा करना उनका कर्तव्य है. संगीत सोम ने कहा कि आज टोपी वाले अखिलेश और गमछा टोपी वाले राहुल गांधी मंदिरों में जाकर मत्था टेक रहे हैं लेकिन यह सिर्फ छलावा है.
उन्होंने कहा कि केवल चुनाव के समय ही इन नेताओं को मंदिर याद आते हैं बाकी पूरे साल तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं. उन्होंने कहा कि 5 सालों में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार सबका साथ, सबका विश्वास को साथ लेकर काम किया है और यदि आज वह यह आरोप लगा रहे हैं तो गलत है. उन्होंने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि क्या दिल्ली-मेरठ हाईवे पर मात्र हिंदू ही सफर करते हैं या यदि उत्तर प्रदेश में जो योजनाएं चल रही हैं क्या उसमें सिर्फ हिंदू ही लाभान्वित हैं.
उन्होंने कहा कि हम अखिलेश यादव की तरह तुष्टीकरण की राजनीति नहीं करते. कहा कि अखिलेश यादव की सरकार में 2013 में कैराना और मुजफ्फरनगर में क्या हुआ था वह सबको पता है इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि सभी समुदाय के लोगों को सुरक्षित रखा जाए. उन्होंने कहा कि बीजेपी तुष्टीकरण की राजनीति नहीं करती और विकास में कोई भेदभाव नहीं देखा जाता. इसीलिए जिस तरह से कैलाश मानसरोवर भवन बनाया गया तो वही हज हाउस की भी स्थापना की गई.
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने अपने समय में कांवर यात्रा रोक दी लेकिन हम लोगों ने पुष्प वर्षा की और डीजे भी बजाया. उन्होंने कहा कि मोहर्रम के जुलूस को भी निकलने के लिए इजाजत दी गई. उन्होंने कहा कि वे जिन्ना के लोग हैं और गन्ना वाले हमारे साथ हैं.
हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना में डोर टू डोर यात्रा की और साथ ही पलायन कर गए हिंदू परिवारों से मुलाकात की थी. वहां पर भी यह कोशिश की गई कि लोगों को दोबारा मुजफ्फरनगर के 2013 के हालात याद कराए जाएं. भारतीय जनता पार्टी के नेता का यह भी कहना है कि कैराना मुजफ्फरनगर खतौली और सरधाना में सभी यह जानते हैं कि यदि अखिलेश यादव की सरकार आई तो वहां के हालात क्या होंगे.
उन्होंने कहा कि 12000 लोगों के खिलाफ नाम दर्ज केस दर्ज किए गए थे और कितने युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर दी गई. लोग इसे भूले नहीं है. भारतीय जनता पार्टी लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है यहां तक कि अमित शाह ने नेताओं के साथ हुई बैठक में नेताओं से यहां तक कह दिया था कि यदि कोई गलती हुई है तो माफ कर दीजिए. मगर 2013 की घटनाओं को याद करते हुए आरएलडी के साथ जाने की गलती ना करें.
उन्होंने यहां तक कह दिया कि बीजेपी और जाटों का 650 साल पुराना है रिश्ता है. जाटों ने भी मुगलों से लड़ाई लड़ी और बीजेपी भी लड़ रही है. उन्होंने यह भी कहा कि महेंद्र सिंह टिकैत को मोदी जी के अलावा किसी ने सम्मान नहीं दिया है. 2017 में फर्स्ट फेस के चुनाव में 73 में से 51 सीटें भारतीय जनता पार्टी को मिली थी जो पार्टी के लिए एक उत्साहवर्धक परिणाम था और जीत के आंकड़े बढ़ाने में एक बड़ा सहयोग था. इसकी वजह 2013 का मुजफ्फरनगर का दंगा ही था, जिसके बाद इस इलाके का पूरा समीकरण बदल गया.
वैसे देखा जाए तो पूरे यूपी में जाट समुदाय की आबादी 4 से 6 फीसदी है लेकिन पश्चिमी यूपी में कुल वोटों में उनकी हिस्सेदारी 17 फीसदी तक है और यही वजह है कि सभी पार्टियां पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों को लुभाने में दमखम के साथ जुटी हुई हैं. हालांकि किसान बहुल इस इलाके में किसानों के तमाम वायदों को भारतीय जनता पार्टी पूरी नहीं कर पाई है और किसान बिल के बाद से किसान नाराज हैं.
यदि पश्चिमी यूपी के इलाकों को देखें तो मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, बिजनौर, सहारनपुर ,शामली, मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर, आगरा, बरेली और बदायूं क्षेत्र है जो जाट बहुल है और चुनाव के परिणाम पर असर डालते हैं. इसलिए बीजेपी इन इलाकों में जी-जान लगाकर चुनाव प्रचार कर रही है. साथ ही अपने तमाम बड़े नेताओं को चुनावी सभाओं के लिए तो भेज ही रही है.
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2013 के उन चेहरों को भी इन इलाकों में पोस्टर बॉय बनाकर आगे कर रही है जिनके नाम 2013 में मुजफ्फरनगर घटना के समय चर्चा में थे. एक तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं को लुभाने के लिए भारतीय जनता पार्टी आरएलडी को बार-बार आमंत्रण भेज रही है तो वही यदि आंकड़े देखें तो पिछले चुनाव में इस पूरे इलाके में आरएलडी को मात्र एक सीट ही मिल पाई थी. उससे पहले के चुनाव में जब उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ाई लड़ी थी तो मात्र 9 सीट पर ही जीत पाई थी.