पटना: देश के थियेटर में 12 मई को फिल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं' रिलीज हो गई है. यह फिल्म एक आईएएस की जीवनी पर आधारित है, जो बिहार से दिल्ली जाकर आईएएस की तैयारी करता है. जिस आईएएस की जिंदगी पर यह फिल्म बनाई गई है, वे गोविंद जायसवाल हैं. गोविंद जायसवाल 2006 बैच के आईएएस हैं, जो यूपी के वाराणसी के रहने वाले हैं. इनके पिता रिक्शा चालक थे. इनकी जीवनी पर बनी फिल्म में आईएएस किरदार का नाम अभय शुक्ला है, जो बिहार के एक छोटे से गांव से आईएएस का सपना लिए दिल्ली आता है. अभय शुक्ला का किरदार निभाने वाला अभिनेता इमरान जाहिद बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं.
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सफलता और असफलता ही कहानी पर बनी फिल्मः यह फिल्म जिंदगी में सफलता और असफलता ही कहानी पर आधारित है. फिल्म में बिहार के एक छोटे से गांव का लड़का अभय शुक्ला आईएएस बनने के सपने को को संजोए दिल्ली पहुंचता है. उसका लक्ष्य है कि आइएएस परीक्षा में सफल हो कर अपने परिवार को गरीबी के चंगुल से बाहर निकालना. इस फिल्म में अभय शुक्ला का किरदार निभाने वाले अभिनेता इमरान जाहिद ने बताया कि दिल्ली दूर नहीं फिल्म 2006 बैच के आईएएस गोविंद जायसवाल की कहानी पर बेस्ड है.
बिहार के रहने वाले हैं अभिनेता इमरान जाहिदः ईटीवी भारत संवाददाता से फोन पर बात चीत के दौरान इमरान जाहिद ने बताया, ''मैं भली भाति समझ सकता हूं कि संघर्ष और कितनी कठिनाइयों के साथ एक गरीब परिवार का लड़का मुकाम तक पहुंचता है. बिहार से दिल्ली आकर प्यार में पड़कर कैरियर में रुकावट पैदा कर रहा. मन में सपना सजाता है कि आईएएस की तैयारी करने के बाद ऊंच-नीच भेद-भाव खत्म हो जाएगी. उन्होंने बताया कि गोविंद जायसवाल से मिलना काफी प्रेरणादायक रहा. उनके जीवन से जुडी जो बातें हैं, जो मुझे जानने का मौका मिला. इससे मुझे इस फिल्म में गोविंद के कैरेक्टर को निभाने में काफी सहूलियत मिली.''
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तिहार जेल के कैदियों ने किया कास्ट्यूम डिजायनः इस फिल्म की सबसे खास बात है कि फिल्म का कास्ट्यूम तिहार जेल के कैदियों ने डिजाइनर विकी सिंह की देखरेख में तैयार किया. फिल्म में अभय की गर्लफ्रेंड की किरदार में एक्ट्रेस श्रुति सोढ़ी ने शानदार काम किया है. फिल्म की शूटिंग दिल्ली के मुखर्जी नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय, राजेंद्र नगर, कमला नगर, कनॉट प्लेस, तिहार जेल और गोविंदपुरी पुलिस स्टेशन में हुई. कुछ सीन को नोएडा में भी शूट किया गया है. यह फिल्म दर्शकों को और छात्रों को संदेश दे रही है कि कभी भी मंजिल में कितनी भी कठिनाई आए, रास्ता नहीं बदलना चाहिए.
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मोटिवेशनल स्पीकर हैं महेश भट्टः इस फिल्म में महेश भट्ट ने मोटिवेशनल स्पीकर का रोल किया है. फिल्म का डायरेक्शन कमल चंद्र ने किया और इसकी कहानी दिनेश गौतम ने लिखी है. राइटर दिनेश गौतम ने बताया कि कोई भी मां बाप के सपनों को लेकर बड़े शहर में आता है. शहर में पहुंचने के साथ चकाचौंध देखकर रास्ता भटक जाता है. फिर घर परिवार के सपनों को साकार करने के लिए कई संघर्ष कर मुकाम को पाता है. गांव की याद आती है तो अपनों को तलाशता है. डर के वातावरण में जीता है और संघर्ष करता है. इस पर यह फिल्म की कहानी है.