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Bihar Caste Census : 'राज्य को जनगणना का अधिकार ही नहीं', केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा

बिहार में जाति आधारित गणना कराने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. जहां केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर अदालत के सामने अपना रुख स्पष्ट किया. जिसमें कहा गया कि जनगणना कराने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है, यह अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 28, 2023, 7:08 PM IST

Updated : Aug 28, 2023, 7:29 PM IST

जाति जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का हलफनामा
जाति जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का हलफनामा

नई दिल्ली/पटना: भले ही बिहार में जातीय जनगणना का काम पूरा हो चुका है और अब डाटा एंट्री का काम अंतिम दौर में है लेकिन अभी भी इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इसका कारण है मामले में केंद्र सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के सामने अपना पक्ष रखना. सोमवार को इसको लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में जो तर्क दिया है, उससे पेंच फंस सकता है.

ये भी पढ़ें: Bihar Politics: 'जातीय गणना रोकने की कोशिश कर रहा PMO'- राजद सांसद ने इन तर्कों के साथ लगाये आरोप

केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा: सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि जनगणना अधिनियम 1948 के अनुसार यह अधिकार केंद्र के पास है, लिहाजा कोई भी राज्य सरकार जनगणना नहीं करवा सकती है. अधिनियम की धारा 3 का हवाला देते हुए बताया कि केंद्र सरकार अधिसूचना जारी कर यह ऐलान करती है कि देश में जनगणना कराई जा रही है. इसके साथ ही उसके आधार भी स्पष्ट तौर पर बताए जाते हैं. ये अधिकार किसी अन्य निकाय या प्राधिकरण के पास नहीं है.

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हलफनामे में केंद्र सरकार ने क्या कहा? केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में इस बात का भी जिक्र किया है कि ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए केंद्र सरकार की ओर से तमाम जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, जो कि कानून और संविधान सम्मत हैं.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?: दरअसल, 21 अगस्त को पिछली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय से केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था. 21 अगस्त को बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी. इससे पहले बिहार सरकार ने कोर्ट के सामने दलील दी थी कि राज्य में सर्वे का काम पूरा हो चुका है और सभी डाटा ऑनलाइन अपलोड भी कर दिए गए हैं.

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पटना हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद हुआ सर्वे: आपको बताएं कि इस साल 7 जनवरी को बिहार में जातीय जनगणना का काम शुरू हुआ था. पहले फेज में मकान का सर्वे हुआ. 21 जनवरी तक पहले चरण का काम पूरा होने के बाद 15 अप्रैल से दूसरे फेज का सर्वे शुरू हुआ था लेकिन बीच में ही पटना हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय जाने का कहा. बाद में 3 जुलाई से पटना हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई और 1 अगस्त को विरोध में दायर सभी याचिका को खारिज कर दिया.

नई दिल्ली/पटना: भले ही बिहार में जातीय जनगणना का काम पूरा हो चुका है और अब डाटा एंट्री का काम अंतिम दौर में है लेकिन अभी भी इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इसका कारण है मामले में केंद्र सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के सामने अपना पक्ष रखना. सोमवार को इसको लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में जो तर्क दिया है, उससे पेंच फंस सकता है.

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केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा: सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि जनगणना अधिनियम 1948 के अनुसार यह अधिकार केंद्र के पास है, लिहाजा कोई भी राज्य सरकार जनगणना नहीं करवा सकती है. अधिनियम की धारा 3 का हवाला देते हुए बताया कि केंद्र सरकार अधिसूचना जारी कर यह ऐलान करती है कि देश में जनगणना कराई जा रही है. इसके साथ ही उसके आधार भी स्पष्ट तौर पर बताए जाते हैं. ये अधिकार किसी अन्य निकाय या प्राधिकरण के पास नहीं है.

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हलफनामे में केंद्र सरकार ने क्या कहा? केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में इस बात का भी जिक्र किया है कि ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए केंद्र सरकार की ओर से तमाम जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, जो कि कानून और संविधान सम्मत हैं.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?: दरअसल, 21 अगस्त को पिछली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय से केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था. 21 अगस्त को बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी. इससे पहले बिहार सरकार ने कोर्ट के सामने दलील दी थी कि राज्य में सर्वे का काम पूरा हो चुका है और सभी डाटा ऑनलाइन अपलोड भी कर दिए गए हैं.

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पटना हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद हुआ सर्वे: आपको बताएं कि इस साल 7 जनवरी को बिहार में जातीय जनगणना का काम शुरू हुआ था. पहले फेज में मकान का सर्वे हुआ. 21 जनवरी तक पहले चरण का काम पूरा होने के बाद 15 अप्रैल से दूसरे फेज का सर्वे शुरू हुआ था लेकिन बीच में ही पटना हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय जाने का कहा. बाद में 3 जुलाई से पटना हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई और 1 अगस्त को विरोध में दायर सभी याचिका को खारिज कर दिया.

Last Updated : Aug 28, 2023, 7:29 PM IST
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