भोपाल। एमपी की अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी इस बार नियुक्तियों को लेकर विवादों में है. यूनिवर्सिटी में 55 और 60 साल की उम्र के लोगों की नियुक्तियां कर दी गई है. गजब की बात यह है कि, इन नियुक्तियों की चयन सूची विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है. कई अभ्यार्थियों का मूल निवास प्रमाण-पत्र भी दूसरे राज्य का है. इनमें से ज्यादातर अभ्यर्थियों का आरएसएस और ABVP का कनेक्शन है.
विश्वविद्यालय ने 13 नियुक्तियां: यह बात जानकर हैरानी होगी कि विश्वविद्यालय को एसिसटेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए पात्र चेहरों में 61 साल की महिला पात्र मिली है, जिसकी नियुक्ति विश्वविद्यालय ने की है. विश्वविद्यालय ने 13 नियुक्तियां की है. जिनमें ज्यादातर भर्तियों में अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं. मध्यप्रदेश में भर्ती घोटाले कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय अपनी नियुक्तियों को लेकर विवादों में घिर गया है. हिंदी विश्वविद्यालय में शैक्षणिक पदों पर भर्ती में अनियमितताएं जमकर हुई हैं. आरोप है कि जिन लोगों की नियुक्तियां हुई हैं, उनमें से ज्यादातर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और संघ से जुड़ें लोग हैं.
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अपात्र व्यक्ति नियुक्त करने का आरोप: डॉ. नीलम सिंह को छान बीन समिति के आधार पर पाया गया कि उनके पास नेट और पीएचडी नहीं है, लेकिन जब लिस्ट आई तो इसी अपात्र कैंडिडेट डॉ. नीलम सिंह को योग विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति दे दी गई. इसी तरह चित्रकला संकाय में सिर्फ एक ही अभ्यार्थी मिला उसे ही सेलेक्ट कर दिया गया.
नियुक्ति के एक दिन पहले पीएचडी: हिंदी ग्रंथ अकादमी के डायरेक्टर अशोक कडेल की पत्नी चित्रलेखा कड़ेल का चयन कई योग्य अभ्यर्थियों के होते हुए भी हुआ है. कम्प्यूटर के अभ्यर्थियों में भरत बाथम यहीं पर आई टी सेल में रहते हुए कोर्स वर्क, पी.एचडी, अध्यापन सब यहीं से कर लिया और नियुक्ति भी हो गई. इनकी पीएचडी एक दिन पहले हुई है.
इसलिए सवालों के घेरे में विश्वविद्यालय:
- वेबसाइट पर सूची चयनित अभ्यर्थियों की नहीं डाली गई, विधि विरूद्ध है.
- योग विभाग की अभ्यर्थियों में पहले जो अपात्र था उसे किस आधार पर नियुक्ति दी है.
- कॉमर्स में सिर्फ दो ही अभ्यर्थी थे, फिर कैसे नियुक्ति हो गई.
- यूजीसी के नियमों को ताक पर रख किया काम.
- यूजीसी के नियमानुसार 3 अभ्यर्थी आवश्यक हैं.
कुलपति का गोलमाल जवाब: इन सवालों पर जब कुलपति खेमसिंह डहेरिया से सवाल किए गए कि आपके यहां नियुक्तियों में नियमों को ताक पर रखा गया है, तब कुलपति खेम सिंह डहेरिया ने सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि, जो भी अपॉइंटमेंट हुए हैं वह नियम के तहत किए गए हैं जब पूछा गया कि, आपकी लिस्ट में जब पात्र लोग थे तो अब पात्रों को सशर्त क्यों नियुक्ति दी गई? इसके जवाब में कुलपति हड़बड़ा गए और कोई ठोस जवाब नहीं दे सके. बल्कि गोलमाल जवाब दे दिया.
सवाल को सिरे से नकारा: उनसे पूछा गया कि जो व्यक्ति वर्क कोर्स भी कर रहा है पढ़ा भी रहा है और उसकी पीएचडी इंटरव्यू के 1 दिन पहले हो जाती है आखिर ऐसा क्यों? कुलपति ने जवाब दिया कि, इसमें हमारी क्या गलती यदि उसकी डिग्री 1 दिन पहले हो जाती है तो उसे नियमानुसार सिलेक्ट किया जा सकता है. कुलपति से पूछा गया कि, आरोप है जिन व्यक्तियों को रखा गया है. उनमें ज्यादातर संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए हैं, इन्होंने इस सवाल को भी सिरे से नकार दिया.
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रिटायरमेंट की उम्र में नियुक्ति: कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि, मध्यप्रदेश हमेशा अजूबा करने में नंबर एक रहा है. जो उम्र रिटायरमेंट की होती है. अब आश्चर्य होता है उस उम्र में आपने नियुक्ति दे दी. यह भद्दा मजाक है. इन नियुक्तियों में साफ जाहिर है कि, संघ और उनके चहेते लोगों को भर्ती करने के लिए नियमों को ताक में रख दिया गया. मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है.