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यूजीसी के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची आदित्य ठाकरे की युवा सेना

युवा सेना के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा कोरोना वायरस के खतरे को नजरअंदाज करते हुए विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. पढ़ें पूरी खबर..

युवा सेना के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे
युवा सेना के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे
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Published : Jul 18, 2020, 6:24 PM IST

मुंबई : युवा सेना ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा कोरोना वायरस के खतरे को नजरअंदाज करते हुए विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

युवा सेना के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे ने पहले ही यूजीसी और एमएचआरडी को पत्र लिखकर परीक्षा रद्द करने और छात्रों को औसत अंकों के आधार पर बढ़ावा देने का अनुरोध किया था.

शिवसेना की छात्र शाखा का तर्क है कि सितंबर 2020 में आयोजित परीक्षाएं आगे की चुनौतियों का सामना करेंगी, जो पेपर चेकिंग तक सीमित नहीं हैं. इसमें परीक्षा परिणाम घोषित करने और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश और उसमें होने वाली देरी, ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी के मुद्दे भी शामिल हैं. ऐसे में परीक्षाएं अगर ऑनलाइन आयोजित की जाती हैं तो ये ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए मुश्किल भरा होगा और अगर अभी परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं तो ऐसे में कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा हो जाता है.

याचिका में मांग की गई है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय को स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर परीक्षा के संबंध में स्वयं निर्णय लेने के लिए कहा जाए. युवा सेना ने कहा कि वह भारत के छात्रों के न्याय और अधिकारों का दृढ़ता से समर्थन करेगी.

मुंबई : युवा सेना ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा कोरोना वायरस के खतरे को नजरअंदाज करते हुए विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

युवा सेना के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे ने पहले ही यूजीसी और एमएचआरडी को पत्र लिखकर परीक्षा रद्द करने और छात्रों को औसत अंकों के आधार पर बढ़ावा देने का अनुरोध किया था.

शिवसेना की छात्र शाखा का तर्क है कि सितंबर 2020 में आयोजित परीक्षाएं आगे की चुनौतियों का सामना करेंगी, जो पेपर चेकिंग तक सीमित नहीं हैं. इसमें परीक्षा परिणाम घोषित करने और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश और उसमें होने वाली देरी, ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी के मुद्दे भी शामिल हैं. ऐसे में परीक्षाएं अगर ऑनलाइन आयोजित की जाती हैं तो ये ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए मुश्किल भरा होगा और अगर अभी परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं तो ऐसे में कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा हो जाता है.

याचिका में मांग की गई है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय को स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर परीक्षा के संबंध में स्वयं निर्णय लेने के लिए कहा जाए. युवा सेना ने कहा कि वह भारत के छात्रों के न्याय और अधिकारों का दृढ़ता से समर्थन करेगी.

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