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जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए लोगों को सरकार करे रिहा:सीताराम येचुरी

साल 2019 के अगस्त महीने में संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने के दौरान जम्मू-कश्मीर में लगाई गई पाबंदियां पूरी तरह खत्म नहीं की गई है. हालांकि सरकार की तरफ से हमेशा दावा किया जाता रहा है कि परिस्थिति के मुताबिक राज्य में धीरे धीरे ढ़ील दी जा रही है, इस बीच माकपा नेता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कश्मीर के अंदर हिरासत में रखे गए लोगों को रिहा करने की मांग की है.

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सीताराम येचुरी
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Published : Feb 5, 2020, 9:02 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 7:53 AM IST

नई दिल्ली: मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कश्मीर में हिरासत में रखे गए लोगों को रिहा करने, संचार पर लगी पाबंदियों को हटाने, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल करने और राज्य का भारतीय संघ में विलय के दौरान लोगों से किए गए वादों का सम्मान करने की मांग की है.

आपको बता दें कि पिछले साल अगस्त संसद में प्रस्ताव पारित कर संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर में छह महीने से पाबंदियां लगी हुई हैं.

यह भी पढ़ें- CAA प्रोटेस्ट: आजाद मार्केट में लगाई गई आर्ट गैलरी, तस्वीरों के जरिए जताया विरोध

पत्र में येचुरी ने कहा है कि चार- पांच अगस्त 2019 की मध्यरात्रि से हजारों लोगों को हिरासत में रखा गया है. उनमें फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला (पूर्ववर्ती राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री) और कई अन्य लोग शामिल हैं.

उन्होंने कहा, 'मैं आपको पत्र लिखकर मांग करता हूं कि हिरासत में रखे गए लोगों को रिहा किया जाए और भारत के संविधान के तहत प्रत्याभूत स्वतंत्रता उन्हें प्रदान की जाए. संचार पाबंदियों को हटाया जाना चाहिए और जल्द से जल्द लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल किया जाना चाहिए. इनसे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है और लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है'.

पत्र में कहा गया है कि 'भारतीय संघ में राज्य के विलय के दौरान लोगों से किए गए वादे का सम्मान किया जाना चाहिए'.

नई दिल्ली: मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कश्मीर में हिरासत में रखे गए लोगों को रिहा करने, संचार पर लगी पाबंदियों को हटाने, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल करने और राज्य का भारतीय संघ में विलय के दौरान लोगों से किए गए वादों का सम्मान करने की मांग की है.

आपको बता दें कि पिछले साल अगस्त संसद में प्रस्ताव पारित कर संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर में छह महीने से पाबंदियां लगी हुई हैं.

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पत्र में येचुरी ने कहा है कि चार- पांच अगस्त 2019 की मध्यरात्रि से हजारों लोगों को हिरासत में रखा गया है. उनमें फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला (पूर्ववर्ती राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री) और कई अन्य लोग शामिल हैं.

उन्होंने कहा, 'मैं आपको पत्र लिखकर मांग करता हूं कि हिरासत में रखे गए लोगों को रिहा किया जाए और भारत के संविधान के तहत प्रत्याभूत स्वतंत्रता उन्हें प्रदान की जाए. संचार पाबंदियों को हटाया जाना चाहिए और जल्द से जल्द लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल किया जाना चाहिए. इनसे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है और लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है'.

पत्र में कहा गया है कि 'भारतीय संघ में राज्य के विलय के दौरान लोगों से किए गए वादे का सम्मान किया जाना चाहिए'.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 18:36 HRS IST




             
  • येचुरी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा : जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाए



नयी दिल्ली, पांच फरवरी (भाषा) माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कश्मीर में हिरासत में रखे गए लोगों को रिहा करने, संचार पर लगी पाबंदियों को हटाने, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल करने और राज्य का भारतीय संघ में विलय के दौरान लोगों से किए गए वादों का सम्मान करने की मांग की।



संसद में प्रस्ताव पारित कर संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर में छह महीने से पाबंदियां लगी हुई हैं।



पत्र में येचुरी ने कहा है कि चार- पांच अगस्त 2019 की मध्यरात्रि से हजारों लोगों को हिरासत में रखा गया है। उनमें फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला (पूर्ववर्ती राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री) और कई अन्य लोग शामिल हैं।



उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको पत्र लिखकर मांग करता हूं कि हिरासत में रखे गए लोगों को रिहा किया जाए और भारत के संविधान के तहत प्रत्याभूत स्वतंत्रता उन्हें प्रदान की जाए। संचार पाबंदियों को हटाया जाना चाहिए और जल्द से जल्द लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल किया जाना चाहिए। इनसे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है और लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।’’



पत्र में कहा गया है, ‘‘भारतीय संघ में राज्य के विलय के दौरान लोगों से किए गए वादे का सम्मान किया जाना चाहिए।’’


Conclusion:
Last Updated : Feb 29, 2020, 7:53 AM IST
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