नई दिल्ली: असम समझौते के खंड छह पर रिपोर्ट तैयार कर रही समिति ने का नेतृत्व करने वाले रिटायार्ड न्यायाधीश बिप्लब शर्मा ने कहा है कि समिति ने 10 फरवरी को ही अपनी रिपोर्ट को तैयार कर लिया था. इस रिपोर्ट को जल्द से जल्द गृह मंत्रालय को सौंपा जाएगा.
इस समिति का गठन पिछले साल 15 जुलाई को, गृह मंत्रालय ने 1985 में हस्ताक्षरित असम समझौते के क्लॉज छह को लागू करने के लिए 14 सदस्य समिति का गठन किया था. बिप्लब शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि समिति के सभी सदस्यों ने रिपोर्ट पर अपना हस्ताक्षर कर लिया है, रिपोर्ज को जल्द ही गृहमंत्रालय को सौंपा जाएगा.
उन्होंने कहा कि असम समझौते का खंड छह असम के लोगों के विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है. इसके अलावा यह संवैधानिक सुरक्षा भी देता है.
दरअसल, समझौते के खंड छह में लिखा है कि संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा, जितने उपयुक्त हों, उतने ही असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रदान की जाएगी.
उन्होंने कहा कि असम में छात्र संगठन के साथ-साथ राज्य के विपक्षी राजनीतिक दल भी खंड छह को जल्द लागू करने की मांग कर रहे हैं.
यहां तक कि छात्र संगठन विशेष रूप से ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) गवर्नमेंट द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लाने से पहले खंड छह को लागू करने की मांग कर रहे हैं. एएएसयू का मानना है, क्लॉज छह अवैध विदेशियों से कानून से बचा सकता है.
बता दें कि समिति के सदस्यों ने कोकराझार, तेजपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़, कार्बी आंगलोंग, दीफू और सिलचर सहित सात जिलों का दौरा किया.
शर्मा ने कहा कि इस दौरान समिति के समक्ष 1200 से अधिक अभ्यावेदन प्रस्तुत किए गए ... हम मानते हैं कि यह रिपोर्ट असम के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होगी. संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने के अलावा, असम समझौते का खंड छह अनिश्चितकालीन लोगों के विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
असम समझौते का खंड छह असम के स्थानीय लोगों के विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा सुनिश्चित के साथ साथ संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करता है.
खंड छह के अनुसार 'संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा जो भी उपयुक्त हो असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रदान किए जाएंगे'
बिप्लब शर्मा 'ने कहा कि ' सरकार द्वारा सौंपे गये नियमों और संदर्भों को हमने पूरी को कोशिश की है कि यह परिभाषित करे की कौन असमिया हैं और कौन स्वदेशी असमिया है.
जानकारी के मुताबिक ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) का भी यह मांग की थी कि नागरिक संशोधन कानून लागू करने से पहले खंड छह को लागू किया जाए.
एएएसयू का मानना है, क्लॉज छह स्वदेशी लोगों को अवैध विदेशियों से बचा सकता है.