नई दिल्ली : भारत के सामने दो तरफा संघर्ष की आशंका बनी हुई है. चीनी आक्रामकता बढ़ रही है और पाकिस्तान 15 नवंबर से नया विवाद शुरू करने की तैयारी कर रहा है. भारतीय मामलों पर विशेषज्ञता रखने वाले चीनी रणनीतिकार लियू जोंगी ने शनिवार को ग्लोबल टाइम्स में भारत-चीन तनाव पर लिखा कि अगर चीन पीछे नहीं हटता है तो संभावना है कि भारत-चीन सीमा पर समय-समय पर टकराव सामने आएंगे. चीन को भारत के प्रति अपने पिछले दृष्टिकोण और रवैये का पुन: मूल्यांकन करना होगा. भारत के लिए चीन को कठोर होना होगा. लियू का लेख भारत और चीन के बीच टकराव की ओर साफ तौर पर इशारा करता है.
अपना पहला बड़ा कदम उठाने की तैयारी में पाकिस्तान
एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कहा कि दक्षिण एशिया में कोई टिकाऊ शांति और स्थिरता तब तक नहीं होगी, जब तक जम्मू और कश्मीर विवाद को अंतरराष्ट्रीय वैधता के आधार पर हल नहीं किया जाता. भारत को जम्मू और कश्मीर पर पांच अगस्त 2019 में उठाए गए एक तरफा कदमों को वापस लेना होगा. अप्रैल-मई से भारत और चीन के बीच तनाव के दौरान पाकिस्तान चुप रहा. इसने कई लोगों को हैरान कर दिया. अब यह स्पष्ट हो गया है कि नवंबर में पाकिस्तान अपना पहला बड़ा कदम उठाएगा.
15 नवंबर को गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में चुनाव कराने की तैयारी
पाकिस्तान में 15 नवंबर को गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है, जिसके बाद पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के साथ गिलगित-बाल्टिस्तान को देश का पांचवा प्रांत बनाया जा सकता है. गिलगित-बाल्टिस्तान का पाकिस्तानी प्रांत के रूप में समावेश का अर्थ है, उस पर इस्लामाबाद का पूर्ण नियंत्रण. भारत, गिलगित-बाल्टिस्तान को विवादित क्षेत्र मानता है और इस पर अपना दावा करता है. पाकिस्तान के इस कदम का उद्देश्य इस क्षेत्र की विवादित स्थिति को नकारना है. इससे पहले गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को पाकिस्तानी आधिकारिक दस्तावेजों में उत्तरी क्षेत्र के रूप में संदर्भित किया गया था. इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए कि यह एक विवादित क्षेत्र है. भारत गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के एक हिस्से के रूप में संदर्भित करता है, जबकि पाकिस्तान इसे आजाद कश्मीर का हिस्सा कहता है. पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान को देश का पांचवा प्रांत बनाने से यहां के लोगों की आवाज और दब जाएगी.
सीपैक है प्रमुख कारण
विवादित क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान की स्थिति को बदलने का प्रयास अंतरराष्ट्रीय निहितार्थों से परिपूर्ण है. गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपैक) का चीनी ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू होता है. भारत के सीपैक परियोजना का विरोध करने का मुख्य कारण इसका विवादित क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान में होना है. इसे पाकिस्तानी प्रांत बनाने से क्षेत्र में चीन को भारत के दखल के डर से छुटकारा मिल जाएगा. पाकिस्तान की गिलगित-बाल्टिस्तान चाल की समयावधि भी काफी दिलचस्प है. यह भारत और चीन के बीच चल रहे सैन्य गतिरोध में दूसरे मोर्चे के उद्घाटन के समान है. नवंबर में पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास के क्षेत्रों और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारतीय सेना को टू फ्रंट वार का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही सैनिकों को सर्दी और मानसिक दबावों को भी झेलना पड़ेगा.