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भारत-चीन संबंधों के लिए जरूरी है कैलाश मानसरोवर यात्रा : विजय गोखले

कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है. हालांकि, अभी तक यात्रियों का पंजीकरण पिछली बार की तुलना में कम हुआ है. भारत और चीन के संबंधों पर भी इस यात्रा का असर पड़ सकता है. जानें विदेश सचिव की राय

विजय गोखले.
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Published : May 15, 2019, 10:10 PM IST

नई दिल्ली: कैलाश मानसरोवर यात्रा में अब और भी पारदर्शिता के लिए विदेश मुख्य सचिव विजय गोखले ने तीर्थयात्रिया के चयन के लिए तैयार कम्पूटराइज्ड डेटा को देखा. साथ ही आगामी कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की. इस माध्यम से जाने वाले यात्रियों का चयन किया जाएगा. इस दौरान विजय गोखले ने इस बात पर भी जोर दिया कि ये यात्रा सिर्फ आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि चीन के साथ भारत के संबंध सुधारने के लिए भी जरूरी है.

विजय गोखले का संबोधन.

यात्रियों से सुरक्षा मानदंडों का पालन करने और पर्यावरण की रक्षा करने का विजय गोखले ने अनुरोध किया. इसके साथ ही दावा किया कि इस वर्ष कुल 3021 आवेदन ऑन-लाइन पंजीकृत किए जा चुके हैं. यह पिछले वर्ष की तुलना में 713 कम हैं.

पढ़ें: चंद्रयान- 2 पर होंगे 13 पेलोड: ISRO

2018 की तरह ही विदेश मंत्रालय ने तीर्थयात्रियों का पूरा ख्याल रखा है. तीर्थयात्रा के दौरान यत्रियों की सहायता के लिए, प्रत्येक बैच के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से दो संपर्क अधिकारी नियुक्त किए हैं. 2019 के कार्यक्रम के अनुसार 18 जत्थे बनाए जाएंगे, हर जत्थे में 60 यात्री होंगे. ये सभी लिपुलेख रूट के रास्ते जाएंगे. वहीं 10 अन्य जत्थे, जिसमें हर में 50 यात्री होंगे, वो नाथूला रूट के रास्ते जाएंगे.

सभी चैनित यात्रियों को मेल और एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाएगा. कैलाश मानसरोवर यात्रा हर साल विदेश मंत्रावय की ओर से आयोजित की जाती है. इसमें इंडो-तिब्बतियन पुलिस, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, राज्य सरकारों में दिल्ली, उत्तराखंड और सिक्किम और कुछ सिविल सोसाइटी संगठनों के सहयोग से इसको सफल बनाया जाता है.

नई दिल्ली: कैलाश मानसरोवर यात्रा में अब और भी पारदर्शिता के लिए विदेश मुख्य सचिव विजय गोखले ने तीर्थयात्रिया के चयन के लिए तैयार कम्पूटराइज्ड डेटा को देखा. साथ ही आगामी कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की. इस माध्यम से जाने वाले यात्रियों का चयन किया जाएगा. इस दौरान विजय गोखले ने इस बात पर भी जोर दिया कि ये यात्रा सिर्फ आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि चीन के साथ भारत के संबंध सुधारने के लिए भी जरूरी है.

विजय गोखले का संबोधन.

यात्रियों से सुरक्षा मानदंडों का पालन करने और पर्यावरण की रक्षा करने का विजय गोखले ने अनुरोध किया. इसके साथ ही दावा किया कि इस वर्ष कुल 3021 आवेदन ऑन-लाइन पंजीकृत किए जा चुके हैं. यह पिछले वर्ष की तुलना में 713 कम हैं.

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2018 की तरह ही विदेश मंत्रालय ने तीर्थयात्रियों का पूरा ख्याल रखा है. तीर्थयात्रा के दौरान यत्रियों की सहायता के लिए, प्रत्येक बैच के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से दो संपर्क अधिकारी नियुक्त किए हैं. 2019 के कार्यक्रम के अनुसार 18 जत्थे बनाए जाएंगे, हर जत्थे में 60 यात्री होंगे. ये सभी लिपुलेख रूट के रास्ते जाएंगे. वहीं 10 अन्य जत्थे, जिसमें हर में 50 यात्री होंगे, वो नाथूला रूट के रास्ते जाएंगे.

सभी चैनित यात्रियों को मेल और एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाएगा. कैलाश मानसरोवर यात्रा हर साल विदेश मंत्रावय की ओर से आयोजित की जाती है. इसमें इंडो-तिब्बतियन पुलिस, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, राज्य सरकारों में दिल्ली, उत्तराखंड और सिक्किम और कुछ सिविल सोसाइटी संगठनों के सहयोग से इसको सफल बनाया जाता है.

Intro:In a bid for greater transparency, Foreign Secretary Vijay Gokhale presided over the computerised draw of lots today for the selection of pilgrims for the forthcoming Kailash Mansarovar Yatra claimed that this Yatra is not only pivotal for the spiritual purposes but also important for building relationship with China.


Body:Requesting Yatris to observe safety norms and protect the environment, Vijay Gokhale claimed that total 3021 applications were registered on-line this year which is 713 less than compared to last year.

Like 2018, Ministry of External Affairs has also appointed two Liaison Officers from Central and State Governments for each batch to assist the Yatris during the pilgrimage. As per schedule for 2018, there would 18 batches consisting of 60 Yatris via the Lipulekh route, and 10 batches consisting of 50 Yatris via Nathu La route.
 





Conclusion:The selected Yatris will be informed through SMS and email messages. The Kailash Mansarovar Yatra is organised every year by the Ministry of External Affairs with support from Indo-Tibetan Border police, Home Ministry, Defense Ministry, state governments of Delhi, Uttarakhand and Sikkim and some civil society organisations.
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