नई दिल्ली वाशिंग्टन : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 1.867 बिलियन डॉलर की अनुमानित लागत वाले एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (आईएडीडब्लूएस) की भारत को ब्रिकी पर मंजूरी दे दी है. इससे भारत को अपने सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने के साथ ही वर्तमान वायु रक्षा ढांचे को विस्तारित करने में मदद मिलेगी.
अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया कि वह वायु रक्षा हथियार प्रणाली को भारत को बेचने के लिए दृढ़ संकल्पित है.
डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (डीएससीए) ने सात फरवरी, 2020 को इस संभावित बिक्री के बारे में कांग्रेस को सूचित करते हुए आवश्यक प्रमाण दिया.
डीएससीए ने कहा कि भारत ने हमसे आईएडीडब्लूएस खरीदने का अनुरोध किया है.
क्या है इसकी खासियत
- इसमें पांच AN/MPQ-64Fl सेंटिनेल राडर सिस्टम
- इसमें 118 मिसाइल AMRAAM AIM-120C-7 / C-8 होगी.
- तीन AMRAAM दिशा निर्देश विभाग होगा.
- चार एएमएमएएम नियंत्रण विभाग होगा.
- 134 स्टिंगर Stinger FIM-92L मिसाइल भी है.
- इसमें 32 M4A1 रायफल लैस
- 40,300 M855 5 की 5.55mm की कारतूस भी है.
- फायर वितरण केंद्र
- मानव नियंत्रित टर्मिनल
- इलेक्ट्रिकल ऑप्टिकल या इन्फ्रारेड सेंसर सिस्टम
- AMRAAM गैर-विकासात्मक आइटम-एयरबोर्न इंस्ट्रूमेंटेशन यूनिट
- मल्टी स्पेक्ट्रल टार्गेटिंग सिस्टम मॉडल ए
- कैनिस्टर लांचर (CN)
- हाई मोबालिटी लांचर (HML)
- डुअल मांउट स्टिंगर
- एयर डिफेंस सिस्टम
- वाहन माउंटेड स्टिंगर रपिड रेंजर डिफेंस सिस्टम
बता दें कि प्रस्तावित बिक्री अमेरिका-विदेश रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने और एक प्रमुख रक्षात्मक भागीदार की सुरक्षा में सुधार करने में मदद करेगा. जो संयुक्त राज्य की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा का समर्थन करेगी. भारत प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्र में शांति, आर्थिक प्रगति, राजनीतिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति है.
बता दें कि अमेरिका ने पिछले साल नवंबर में 13 MK45 नौसेना बंदूकों और संबंधित उपकरणों की भारत को 1.0210 अरब डॉलर की अनुमानित लागत की बिक्री को मंजूरी देने के बाद यह प्रस्ताव आया था.
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गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं. भारत ने पिछले वर्षों में अमेरिका से कई हथियार खरीदे हैं.